Mar १६, २०२४ १०:५४ Asia/Kolkata
  • संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में इस्लामोफ़ोबिया से निपटने का प्रस्ताव मंज़ूर

संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में इस्लामोफ़ोबिया और मुस्लिम विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ पाकिस्तान की ओर से पेश किया गया निंदा प्रस्ताव मंज़ूर कर लिया गया।

इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने इस्लामोफ़ोबिया पर विशेष दूत नियुक्त करने और इस्लाफ़ोबिया से निपटने के लिए ज़रूरी क़दम उठाए जाने पर ज़ोर दिया।

प्रस्ताव तब पास हुआ जब 15 मार्च को इस्लामोफ़ोबिया की रोकथाम के दिन के रूप में मनाया गया। इस दिन मुनीर अकरम ने प्रस्ताव पेश किया जिसमें ज़ोर दिया गया कि इस्लामोफ़ोबिया के फैलाव को स्वीकार करने के बावजूद दुनिया भर में मुसलमानों को अब बभी भेदभाव का सामना है।

मुनीर अकरम ने कहा कि इस्लामोफ़ोबिया इस्लाम के शुरू से ही मौजूद है यह गहरे ख़ौफ़ और द्वेष से जन्म लेता है। उन्होंने कहा कि 11 सितम्बर 2001 को न्यूयार्क और वाशिंग्टन में होने वाले हमलों के बाद इस्लामोफ़ोबिया तेज़ी से फैलने लगा था।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि महासभा ने दो साल पहले इस्लामोफ़ोबिया से संबंधित प्रस्ताव मंज़ूर किया लेकिन इस्लामोफ़ोबिया, भेदभाव, नफ़रत और मुसलमानो के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती गई हैं।

मुनीर अकरम ने कहा कि कई देशों में मुसलमानों को इमीग्रेशन पालीसियों में भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

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