Apr १७, २०२४ २१:३३ Asia/Kolkata
  • एक सवालः क्यों दाइश ने प्रतिरोध से जंग की मगर इस्राईल से नहीं ?

पार्सटुडे- पश्चिम एशिया की अनुचित आर्थिक स्थिति का लाभ उठाकर और अफगानिस्तान में पूर्व सोवियत संघ के खिलाफ दाइश नाम के एक चरमपंथी और आतंकवादी गुट का गठन किया गया।

इस आतंकवादी गुट ने इराक, सीरिया, लेबनान और ईरान में प्रतिरोध के खिलाफ जंग की और विनाशकारी कार्यवाहियां अंजाम दी और इस आतंकवादी गुट का नारा पश्चिम एशिया से अमेरिका की सैनिकों को निष्कासन था।

जो समीक्षायें की गयी हैं वे इस बात की सूचक हैं कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ जायोनी सरकार के अपराधों के जारी रहने के साथ यह सरकार लेबनान, सीरिया और दमिश्क में ईरानी काउंस्लेट पर हमले के बाद आतंकवादी गुट दाइश की भांति क्षेत्र में जंग को विस्तृत करने की चेष्टा में है। इस समय यह महत्वपूर्ण सवाल किया जा रहा है कि क्या इस्राईल पश्चिम एशिया में प्रतिरोध के खिलाफ विनाशकारी योजना को पूरा करने की चेष्टा में है? इससे पहले दाइश के माध्यम से इस परियोजना पर काम हो रहा था।

इसी प्रकार यह मशहूर प्रश्न भी दोबारा किया जा रहा है कि क्यों दाइश ने इस्राईल की तरफ एक गोली भी नहीं चलाई जबकि दाइश स्वयं को मुसलमान भी कहता है?

इस गुट की ओर से जो वीडियो और फिल्में प्रकाशित हुई हैं उनकी समीक्षा इस वास्तविकता को स्पष्ट करती है कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि यह गुट फिल्मों और वीडियो फिल्मों के निर्माण में सबसे माहिर व दक्ष आतंकवादी है। लोगों को जलाने और उनकी हत्या करने की तस्वीरें बहुत ही माहिराना तरीक़े से ली गयी हैं और इन फिल्मों को देखकर हालीवुड की फिल्में याद आ जाती हैं।

दाइश के वाहन और भारी सैनिक संसाधनों व हथियारों की तस्वीर

 

इस प्रकार के जो संसाधन हैं उन्हें हासिल करने और सजाने के लिए बहुत अधिक आर्थिक मदद और वित्तीय समर्थन की ज़रूरत है और यह काम केवल फिल्मों का निर्माण करने वाली बड़ी- बड़ी कंपनियां और संचार माध्यम ही कर सकते थे।

आतंकवादी गुट अलक़ायदा दाइश की एक शाखा है और उसने भी बहुत अधिक विध्वंसकारियां अंजाम दी हैं जिसे कुछ बड़ी शक्तियों ने क्षेत्र में अपनी अवैध उपस्थिति का औचित्य दर्शाने के लिए हथकंडे के रूप में इस्तेमाल किया है।

अमेरिका की पूर्व विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन अपनी किताब में दाइश को विश्व के कुछ क्षेत्रों में अराजकता और अशांति उत्पन्न करने वाले तत्व के रूप में याद किया है। वह अपने एक भाषण में स्वीकार करती हैं कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अमेरिका ने दाइश को बनाया है और यह उसकी योजना की उपज है। हिलेरी क्लिंटन के इस बयान की अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हमेशा आलोचना की है।

इस गुट में और जो क्षेत्र में पहले आतंकवादी गुट थे दोनों के मॉडल में काफी अंतर था। अलबत्ता इस गुट की नई जिम्मेदारी भी परिभाषित कर दी गयी थी।


इराक के नैनवां शहर में दाइश द्वारा बम रखने का एक नमूना

अलबत्ता अलक़ायदा की भांति आतंकवादी गुट दाइश के क्रियाकलाप भी क्षेत्र में अमेरिका की वर्चस्ववादी नीतियों और उपस्थिति का औचित्य दर्शाने का हथकंडा बन गया।

आतंकवादी गुट दाइश ने  पश्चिम  एशिया में दो बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावी देशों इराक और सीरिया को लक्ष्य बनाया। अलबत्ता लेबनान, क्षेत्र के कुछ दूसरे देश और ईरान भी आतंकवादी गुट दाइश का लक्ष्य था।

सीरिया प्रतिरोधक बलों के लिए पश्चिम एशिया में एक महत्वपूर्ण देश है और उसे अपनी क्षमताओं व संभावनाओं का प्रयोग देश की आंतरिक समस्याओं के समाधान और आतंकवादी गुटों से मुकाबले के लिए करना चाहिये ताकि पश्चिम का अस्ली घटक जायोनी सरकार पूर्णरूप से सुरक्षित रहे।

कुछ बड़ी शक्तियों ने आतंकवादी गुट दाइश को बनाया ताकि वर्ष 2000 में नये मध्यपूर्व की योजना को व्यवहारिक बनाया और क्षेत्र के भौगोलिक नक्शे को बदला जा जाये। इस योजना के अनुसार उन देशों को तोड़ना व बांटना था जिनकी नीतियां अमेरिकी हितों से मेल नहीं खातीं हैं।

बहुत से लोगों के लिए जो चीज़ आश्चर्य का कारण थी वह यह था कि क्यों दाइश इस्लाम के नाम पर मुसलमानों की हत्या करता है? मगर ज़ायोनी व यहूदी उसके दुश्मन नहीं हैं!


दाइश की एक विस्तृत विध्वंसक कार्यवाही इराक और सीरिया में एतिहासिक मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करना था

आतंकवादी गुट दाइश की योजनाओं का एक सिद्धांत यह था कि अमेरिका और उसके घटकों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिये। दाइश इराक, सीरिया और कभी लेबनान में विध्वंसक कार्यवाहियां अंजाम देता था मगर कभी भी उसने इस्राईल में कोई कार्यवाही नहीं की। इसी प्रकार दाइश ने इस्राईल में या इस्राईल से बाहर उसके खिलाफ एक गोली भी नहीं चलाई और क्षेत्र में उसके घटक यानी जार्डन के खिलाफ भी कुछ नहीं किया।

इन सबके बावजूद आतंकवादी गुट दाइश को बनाना और उसका इस्तेमाल सब कुछ प्रायोजित था। इस आधार पर आतंकवादी गुट दाइश से मुकाबले के लिए प्रतिरोधक बलों का गठन किया गया। मिसाल के तौर पर इराक और सीरिया में प्रतिरोधक बलों का गठन हुआ जो इन देशों की सेनाओं के साथ मिलकर आतंकवादी गुटों व तत्वों से मुकाबले के लिए लड़ते हैं। लेबनान में भी शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी जैसे मशहूर ईरानी कमांडरों के परामर्श से आतंकवादी गुट दाइश का हमेशा के लिए सफाया कर दिया गया।

यद्यपि आरंभ में ही इस बात पर बल दिया गया था कि आतंकवादी गुट दाइश को जड़ से खत्म करने के लिए उसकी सोच और आइडियालोजी को खत्म करना ज़रूरी है परंतु विदित में कुछ इस्लामी देश दाइश की बका के लिए अमेरिका के साथ सहयोग कर रहे हैं। MM

नोटः स्रोत मेहरन्यूज़ साइट में मेहदी अज़ीज़ी का लेख



इराक़ी और सीरियाई प्रतिरोधक बलों के साथ दाइश के खिलाफ प्रतिरोध के अस्ली कमांडर शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी

 

 

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