Apr २०, २०२४ ११:५० Asia/Kolkata
  • क़ुरान की वह आयत जो दुनिया की हक़ीक़त से पर्दा उठाती है

इतिहास पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि इंसान अपनी ज़रूरतों को पूरा करने का प्रयास करता रहा है। क्योंकि मूल रूप से इंसान एक ज़रूरतमंद प्राणी है। अपनी ज़ररूतों की ग़लत पहचान और ज़रूरतों को सही ढंग से पूरा नहीं करना, इंसान के लिए एक बड़ा ख़तरा होता है।

इस ख़तरे को पार पाने के लिए ईश्वर ने दूतों के रूप में अपने प्रतिनिधि भेजे हैं, ताकि वे क़ुरान जैसी उसकी शिक्षाओं से इंसान को शिक्षित करें, ताकि वह कल्याण प्राप्त कर सके। यहां हम क़ुरान की एक आयत के बारे में आयतुल्लाह ख़ामेनई की व्याख्या दे रहे हैं।

सूरए हदीद की 20वीं आयत में ईश्वर कहता हैः

اعْلَمُوا أَنَّمَا الْحَیَاةُ الدُّنْیَا لَعِبٌ وَلَهْوٌ وَزِینَةٌ وَتَفَاخُرٌ بَیْنَکُمْ وَتَکَاثُرٌ فِی الْأَمْوَالِ وَالْأَوْلَادِ ۖ کَمَثَلِ غَیْثٍ أَعْجَبَ الْکُفَّارَ نَبَاتُهُ ثُمَّ یَهِیجُ فَتَرَاهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ یَکُونُ حُطَامًا ۖ وَفِی الْآخِرَةِ عَذَابٌ شَدِیدٌ وَمَغْفِرَةٌ مِنَ اللَّهِ وَرِضْوَانٌ ۚ وَمَا الْحَیَاةُ الدُّنْیَا إِلَّا مَتَاعُ الْغُرُور

क़ुरान की यह आयत जीवन की सच्चाई को हमारे लिए स्पष्ट करती हैः    

«ٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّمَا ٱلۡحَیَوٰةُ ٱلدُّنۡیَا»  जान लो कि परलोक के बिना, लोक का जीवन, समस्त प्रतिस्पर्धाओं और इच्छाओं के, बच्चों के खेल की तरह है और नहीं कहा जा सकता कि इसका क्या लाभ है। «وَلَهۡوٞ»

और बेकार काम है,  «وَزِینَةٞ» और सिर्फ़ सजावट और डेकोरेशन के लिए है, लेकिन किसी ज़रूरत को पूरा नहीं करता है। और सिर्फ़ शेख़ी बघारने के लिए है, लेकिन हक़ीक़त में उसका कोई फ़ायदा नहीं है। और माल और औलाद बढ़ाने के लिए एक उद्देश्यहीन प्रतिस्पर्धा है।

वास्तव में क़ुरान की यह आयत कहती हैः

इंसान जब तक बच्चा होता है, खेलता कूदता है, नौजवानी को उद्देश्यहीन कामों में गंवा देता है, जवानी सजने धजने में बिता देता है और अधैड़ उम्र और बुढ़ापे को शेख़ी बघारने और माल और औलाद में इज़ाफ़ा करने में लगा देता है।

दुनिया एक खेल है, हमें सावधान रहना चाहिए कि कहीं हमें इस खेल में मात नहीं हो जाए, हमें अंहकारी नहीं बनना चाहिए और अगर नीचे हैं तो निराश नहीं होना चाहिए।

क़ुरान दुनिया को खेल बता रहा है, हालांकि दुनिया के दूसरे जाल भी हैं। जैसे कि मनोरंजन, हर समय सजने संवरने में लगे रहना। हर दिन एक नया स्टाइल और नया फ़ैशन। दुनिया के अन्य धोखों में गर्व, अंहकार और लालच है। दौलत जमा करने का लालच और औलाद और नस्ल बढ़ाने का जुनून।

क़ुरान की नज़र में पूरी दुनिया इन्हीं पांच चीज़ों में सिमटकर रह जाती है। msm

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