Jun १६, २०२४ १९:०९ Asia/Kolkata
  • हमलावरों को बुरा मत कहो, जापान में अमरीकी सैनिकों के अपराधों को धोने का वाशिंगटन का प्रयास

वाशिंगटन पोस्ट की वेबसाइट पर ब्रायन पी. वॉल्श का एक आर्टिकल छपा है, जिसमें लिखा गया है कि विश्व युद्ध के बाद जापान में अमरीकी सैनिकों की उपस्थिति से संबंधित कहानियां, अमरीका की सही छवि पेश नहीं करती हैं, बल्कि इन कहानियों पर शक किया जा सकता है।

वाशिंगटन पोस्ट में छपने वाले इस नोट की हेडलाइन हैः इतिहास की किताबो में अमरीकी सैनिकों की ग़लत तस्वीर कैसे दर्ज हो गई?

इस नोट के लिखने वाले ने पहले जापान के प्रधान मंत्री शिगेरू योशिदा की तार्किक छवि पेश की, जिन्होंने हमलावर अमरीकी सैनिकों की उपस्थिति के लिए दरवाज़ा खोला था। इसीलिए हमलावर सेना के साथ सहयोग और उनके हाथों वतन फ़रोशी को तार्किक क़दम बताया गया है।

यहां ध्यान योग्य बिंदू यह है कि इस नोट में जापान के दो शहरों पर अमरीका की परमाणु बमबारी का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है। इतिहास में सिर्फ़ एक ही ऐसा देश है, जिसने परमाणु बम का इस्तेमाल किया है। ऐसा दो बार हुआ, और दोनों ही बार जापान के ख़िलाफ़ अमरीका ने इसका इस्तेमाल किया। यहां दिलचस्प बात यह है कि वाशिंगटन पोस्ट के नोट में जापान युद्ध के बारे में अमरीका के ख़िलाफ़ नफ़रत की तो बात की गई है, लेकिन मानव इतिहास के सबसे भयानक परमाणु हमले की तरफ़ इशारा तक नहीं किया गया है।

इस नोट में उन इतिहास की किताबों को बिल्कुल ग़लत ठहराया गया है, जिनमें अमरीका के इस अपराध का ज़िक्र मौजूद है। इसी तरह से जापान पर क़ब्ज़ा करने के बाद शुरूआती 10 दिनों के दौरान, जापानी महिलाओं के बलात्कार की घटनाओं पर संदेह व्यक्त किया गया है और बिना किसी ऐतिहासिक दस्तावेज़ के 1366 जापानी महिलाओं के बलात्कार को रद्द किया गया है। इसमें सिर्फ़ सहयोगी देशों के सैनिकों के ज़रिए पूरे जापान में 6 साल के दौरान, बलात्कार की 1100 घटनाओं का उल्लेख किया गया है।

इस आर्टिकल के दूसरे भाग में लेखक ने अमेरिकी सैनिकों के बीच यौन संचारित रोगों की उच्च दर को कम रंग करने का प्रयास किया है। जापान पर क़ब्ज़े के बारे में लिखी गई किताबों और अकादमिक स्रोतों में अमेरिकी विरोधी माहौल से निराश होकर ब्रायन वॉल्श लिखते हैः अमरीकी उच्च शिक्षा में अकादमिक इतिहास का राजनीतिकरण इतना तीव्र है कि अपेक्षाकृत तटस्थ इतिहासकार भी प्रचलित अमरीकी विरोधी भावनाओं से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते।

वॉल्श ऐतिहासिक शोधकर्ताओं पर पूर्वाग्रह का आरोप लगाते हुए कहते हैः जो पूर्वाग्रह आज फ़ैशन में है, उसके मुताबिक़ अमरीका और विशेष रूप से उसकी सेना, दमनकारी ताक़त है और इसलिए दुनिया में वह कोई भी सकारात्मक बदलाव लाने में असमर्थ हैं।

वॉल्श ने जिन लोगों पर पक्षपात का आरोप लगाया है, उनमें से एक जॉन डब्ल्यू डावर हैं, जिन्होंने 2019 में अमरीका और जापान के बीच संबंधों को अपमानजनक बताया था। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा थाः हम अमरीका-जापान सुरक्षा संधि को जारी रखने के विरोध में हैं, जिसने जापान को अमरीकी साम्राज्य का गढ़ बनाकर और उसे चीन के साथ शत्रुतापूर्ण स्थिति अपनाने के लिए मजबूर करके जापान की स्वतंत्रता को ख़तरे में डाल दिया है।

जापान के साथ अमरीका के अर्ध-औपनिवेशिक व्यवहार की आलोचना के कारण वॉल्श ने मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर और अमरीकी-जापानी संबंधों के शोधकर्ता को कट्टरवादी तक बता दिया।

मोटे तौर पर, एक तरफ़ जहां जापानी मीडिया और इतिहासकार अमरीकी सेना की भूमिका पर कमज़ोर प्रतिक्रिया जताते रहे हैं, वहीं मुख्यधारा का अमरीकी मीडिया, धीरे-धीरे इतिहास को विकृत करने और अमरीकी सेना के अपराधों को उचित ठहराने की कोशिश कर रहा है।

कई आलोचकों का मानना ​​है कि जापानी मीडिया ने अपनी कमज़ोरी के कारण, अमरीका जैसे जल्लाद की जगह ले ली है, और इस नैरेटिव को स्वीकार कर लिया कि जापान पर अमरीका के  परमाणु हमले के लिए ख़ुद जापानी दोषी थे। msm

टैग्स