Sep १२, २०२४ १६:४८ Asia/Kolkata
  • डी-डॉलराइज़ेश अमरीकी वर्चस्व को समाप्त करने के लिए एक कारगर हथियार

पिछले कुछ वर्षों के दौरान दुनिया भर के कई देशों ने और ख़ास तौर पर अमरीकी प्रतिबंधों से प्रभावित देशों ने डॉलर को साइड लाइन करने की नीति अपनाई है।

डी-डॉलराइज़ेश से न सिर्फ़ इन देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग और व्यापार में वृद्धि हुई है, बल्कि ब्रिक्स जैसे संगठनों ने भी इस संबंध में नए क़दम उठाए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने इस संदर्भ में कहा थाः लेनदेन में उपयोग की जाने वाली मुद्रा वैश्विक अर्थव्यवस्था में उस देश की भूमिका से प्रभावित होती है, और अब एक बदलाव हो रहा है, क्योंकि ग्लोबल साउथ देश, वर्तमान में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 50 फ़ीसद हिस्सा बनाते हैं, जो स्वाभाविक रूप से राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग में प्राथमिकताओं को बदलता है।

अमरीकी प्रतिबंधों की नीति, डॉलर के वर्चस्व का एक हथकंडा

अमरीका और उसके सहयोगियों ने अपने विरोधी देशों के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों की नीति अपना रखी है, जिससे डॉलर को किनारे लगाने का प्रभावित देशों का इरादा और भी मज़बूत हो गया है। उदाहरण के रूप में रूस और चीन के बीच व्यापारिक लेन-देन अब रूबल और युआन में हो रहा है। इसी तरह से चीन के और कई सहयोगी, यूआन में लेन-देन कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और अमेरिकी बैंक मॉर्गन स्टेनली के पूर्व अर्थशास्त्री स्टीफ़न जेन का कहना हैः अमेरिकी डॉलर से दूरी के लिए वैश्विक दृष्टिकोण को बदलने की गति पिछले 15 वर्षों की तुलना में फ़रवरी 2022 से 10 गुना बढ़ गई है।

ब्रिक्स का स्वागत और इस आर्थिक मंच में शामिल होने के लिए विभिन्न देशों का अनुरोध विश्व अर्थव्यवस्था में डॉलर को विनिमय से बाहर करने की देशों की इच्छा का एक उदाहरण है। ब्रिक्स के सदस्य देशों ने घोषणा की है कि वे भविष्य में अपनी घरेलू मुद्राओं का उपयोग करने का इरादा रखते हैं और कुछ समय बाद डॉलर के स्थान पर एक आम डिजिटल मुद्रा का उपयोग करेंगे।

डॉलर की जगह लेती डिजिटल मुद्रा

विभिन्न देश अब एक साझा डिजिटल मुद्रा का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, जिसे डॉलर के लिए एक गंभीर ख़तरे के रूप में देखा जा सकता है।

ब्रिक्स डिजिटल मुद्रा ब्लॉकचेन तकनीक की शक्ति का उपयोग कर सकती है और वैश्विक वित्त के डिजिटलीकरण के लिए एक उन्नत समाधान प्रदान कर सकती है। यह विकल्प सीमा पार लेनदेन को सुविधाजनक बनाता है और सदस्य देशों के बीच व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देता है।

दरअसल, ब्रिक्स मुद्रा की शुरूआत डॉलर के उन्मूलन की दिशा में एक साहसिक क़दम माना जा सकता है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती दे सकती है।

नए ऑर्डर के लिए डी-डॉलराइज़ेश

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की कार्यकारी निदेशक क्रिस्टीना जॉर्जीवा ने हाल ही में घोषणा की थीः दुनिया की आरक्षित मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर का महत्व कम होता जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की इस वरिष्ठ अधिकारी के बयान से पता चलता है कि डी-डॉलराइज़ेश परियोजना, सार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मौद्रिक समझौतों का विस्तार हो रहा है।

इसी सन्दर्भ में यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ़ बोरेल का भी मानना है कि अमेरिका ने अपनी आधिपत्य स्थिति खो दी है और 1945 के बाद की बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था अपना स्थान खो रही है।

ईरान और डी-डॉलराइज़ेश की नीति

ईरान भी उन देशों में से एक है जिन्होंने डी-डॉलराइज़ेश की नीति का स्वागत किया और इस संबंध में वह इस वर्ष की शुरुआत से ब्रिक्स में शामिल हो गया है। इस्लामी गणतंत्र ईरान के अधिकारी हमेशा अमेरिका की प्रतिबंध नीतियों और ईरान पर राजनीतिक और आर्थिक दबाव डालने की आलोचना करते रहे हैं। प्रतिबंधों की प्रभावशीलता को कम करने और अर्थव्यवस्था को अन्य मुद्राओं से लाभान्वित करने के लिए एक परिचालन तरीक़ा बनाने के लिए डी-डॉलराइज़ेश को महत्वपूर्ण समाधानों में से एक माना गया है। इस संबंध में, डी-डॉलराइज़ेश के लिए ईरान के समाधानों में से एक रूस और चीन के साथ मौद्रिक संबंधों का विकास और ब्रिक्स में गतिविधि है।

डी-डॉलराइज़ेश के बाद नए अवसर

ऐसा लगता है कि डी-डॉलराइज़ेश की प्रक्रिया का उद्देश्य अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को कम करना और बढ़ती वित्तीय प्रणालियों में देशों के लचीलेपन को बढ़ाना है, और विशेष रूप से अन्य देशों की आर्थिक शक्ति में वृद्धि के साथ, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में सक्रिय खिलाड़ी, दुनिया का नक़्शा बदल सकते हैं। चीन, रूस, भारत, दक्षिण अफ्रीक़ा और अन्य देशों के पास नए अवसर होंगे।

अमेरिकी मामलों के विशेषज्ञ और शोधकर्ता सईद मोहम्मदी काविंद लिखते हैः तार्किक रूप से और पहले चरण में वैश्विक मौद्रिक प्रणाली को अमेरिकी डॉलर पर केंद्रित एकध्रुवीय शासन से बहुध्रुवीय में बदलने की संभावना की कल्पना की जा सकती है डॉलर, यूरो, युआन और संभवतः कुछ अन्य मुद्रा गठबंधन सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

ब्रेटन वुड्स प्रणाली के पतन के बाद से यह वैश्विक वित्त में सबसे बड़ा बदलाव होगा; ऐसे माहौल में, यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि एक नई आर्थिक और राजनीतिक वास्तविकता ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर दस्तक दी है। msm

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