पश्चिमी मीडिया लीबियाई संकट में नैटो की भूमिका को क्यों छिपाता है?
(last modified 2024-09-21T11:10:56+00:00 )
Sep २१, २०२४ १६:४० Asia/Kolkata
  • पश्चिमी मीडिया लीबियाई संकट में नैटो की भूमिका को क्यों छिपाता है?
    पश्चिमी मीडिया लीबियाई संकट में नैटो की भूमिका को क्यों छिपाता है?

पार्सटुडे- ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस के नेतृत्व में नैटो ने 9700 से अधिक हवाई हमलों और 7700 से अधिक गाइडेड बम गिराकर लीबियाई सरकार का तख़्ता उलट दिया।

शुपाक का मानना ​​है कि इन बम विस्फोटों के परिणामस्वरूप हजारों लोग मारे गए जिन्हें नैटो ने बचाने की कोशिश करने का दावा किया था। प्राकृतिक और मानवीय आपदाएं आमतौर पर अलग नहीं की जा सकतीं, खासकर जब विदेशी सैन्य हस्तक्षेप शामिल हो जाए तब।

डेनियल तूफ़ान जो सितम्बर 2023 में लीबिया में आया और हज़ारों लोगों की जान ले ली, केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं थी, बल्कि एक बड़ी आपदा का हिस्सा थी, जिसकी जड़ें 2011 और देश में नैटो के सैन्य हस्तक्षेप तक पहुंचती हैं।

इस घटना को कवर करने में पश्चिमी मीडिया ने संकट के प्राकृतिक पहलुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया और इस स्थिति के बनने में नैटो की भूमिका को नज़रअंदाज कर दिया।

पार्सटुडे की यह रिपोर्ट इस बात की समीक्षा करती है कि पश्चिमी मीडिया अस्थिरता पैदा करने और लीबिया के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने में नैटो की वास्तविक भूमिका बताने से इनकार क्यों करता है? 2011 में लीबिया पर नैटो के हमले ने इस देश में मानवीय और ढांचागत संकट को काफ़ी बढ़ा दिया था।

रिस्पॉन्सिबल स्टेटक्राफ्ट (Responsible Statecraft) के अनुसार, सितम्बर 2023 में तूफान डैनियल की वजह से लीबिया में हाल ही में आई बाढ़, जिसमें 10 हज़ार लोग मारे गए, न केवल एक प्राकृतिक आपदा थी, बल्कि नैटो सैन्य हस्तक्षेप का नतीजा भी थी।

रिस्पॉन्सिबल स्टेटक्राफ्ट के ग्रेगरी शूपक का कहना है कि लीबिया पर हमले के वर्षों में नैटो की भूमिका का उल्लेख किए बिना, मीडिया ने मुख्य रूप से इस आपदा के सामने लीबिया की तैयारी के लिए युद्ध को एक वजह के तौर पर पेश किया है।

डेनियल तूफान जो पूर्वी भूमध्य सागर में बना और सितम्बर 2023 की शुरुआत में लीबिया पहुंचा, भूमध्य सागर और अफ़्रीक़ा के इतिहास में सबसे घातक और सबसे महंगे तूफान के रूप में जाना जाता है।

शूपक ने कहा कि 2011 में मुअम्मर क़ज्ज़ाफ़ी के खिलाफ नैटो की बग़ावत के दौरान, अमेरिकी मीडिया ने दावा किया कि लीबियाई वायु सेना ने प्रदर्शनकारियों पर बमबारी की, लेकिन उन्होंने इन दावों के लिए कोई सबूत नहीं पेश किया और पेंटागन ने ऐसी बमबारी की पुष्टि नहीं की।

ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस के नेतृत्व में नैटो ने 9700 से अधिक हवाई हमलों और 7700 से अधिक गाइडेड बम गिराकर लीबियाई सरकार का तख़्ता उलट दिया। शुपाक का मानना ​​है कि इन बम विस्फोटों के परिणामस्वरूप हजारों लोग मारे गए जिन्हें नैटो ने बचाने की कोशिश करने का दावा किया था जिसकी वजह से और इसके कारण लीबिया, साहिल और यहां तक ​​कि सीरिया में भी हजारों ख़तरनाक हथियार भर गए। 2011 में लीबिया में नैटो के युद्ध के बाद से, देश दो प्रतिद्वंद्वी सरकारों में विभाजित हो गया है जिनमें से हर एक सत्ता के लिए लड़ रही है।

शुपाक इस बात पर जोर देते हैं कि नैटो बमबारी सीधे तौर पर दुरना में बांधों के ढहने का कारण नहीं बनी, लेकिन युद्ध ने लीबियाई सरकार को नष्ट कर दिया और उसके सामाजिक ताने-बाने को तबाह व बर्बाद कर दिया, जिसका एक ख़ास नतीजा, एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बनाए रखने में असमर्थता के रूप में सामने आया।

शुपाक बताते हैं कि यह नज़रिया मुख्यधारा के मीडिया में सामने नहीं आता है, यहां तक ​​कि उनमें भी जो युद्ध का उल्लेख करते हैं।

उन्होंने पाया कि न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जर्नल और वाशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख मीडिया में उन्हें छह दिनों में मिले 67 लेखों में से केवल 40 लेखों में "युद्ध" शब्द का इस्तेमाल किया गया था और उनमें से केवल तीन में नैटो की भूमिका पर चर्चा की गई थी।

आख़िर में  शूपाक ने यह नतीजा निकाला कि नैटो भी यूक्रेन युद्ध में पूरी तरह से शामिल था, अंततः घटनाओं की श्रृंखला में वृद्धि हुई जिसने रूस को अपनी सैन्य कार्रवाई के लिए प्रेरित किया।

 

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