स्पेन में आतंकवादी हमला, 15 से अधिक हताहत
केवल सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करके आतंकवाद से मुकाबला नहीं किया जा सकता और पश्चिमी व यूरोपीय सरकारों को चाहिये कि आतंकवाद से मुकाबले के संबंध में वे दोहरा मापदंड छोड़ दें
स्पेन के बार्सिलोना नगर में होने वाले आतंकवादी हमले से पूरे स्पेन में भय व चिंता व्याप्त हो गयी है। स्पेन के सूत्रों ने घोषणा की है कि आतंकवादी गुट दाइश ने इस हमले की ज़िम्मेदारी स्वीकार की है। आतंकवादी गुट दाइश इससे पहले इस प्रकार का आतंकवादी हमला फ्रांस और ब्रिटेन में भी कर चुका है।
आतंकवादी हमलों के लिए दाइश के तत्व ऐसी शैलियों का प्रयोग कर रहे हैं जिसकी न तो भविष्यवाणी की जा सकती है और न ही उन्हें रोका जा सकता है।
बार्सिलोना में होने वाले आतंकवादी हमले ने दर्शा दिया है कि केवल सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करके आतंकवाद से मुकाबला नहीं किया जा सकता और पश्चिमी व यूरोपीय सरकारों को चाहिये कि आतंकवाद से मुकाबले के संबंध में दोहरे मापदंड को छोड़ दें।
अब यह नहीं हो सकता कि आतंकवादियों के समर्थक, अतिवादी विचार धारा के प्रसार के स्रोत और शांति व न्यायप्रेमी इस्लामी धर्म की छवि बिगाड़ कर पेश करने वाले आले सऊद के साथ स्ट्रैटेजिक संबंध रखा जाये और साथ ही यह अपेक्षा भी रखी जाये कि यूरोपीय देश आतंकवादी हमलों व ख़तरों से सुरक्षित रहेंगे।
प्रतिदिन पांच हज़ार आम यमनी और उनमें अधिकतर बच्चे हैज़े से ग्रस्त हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने यमन में मानव त्रासदी के लिए सऊदी अरब को ज़िम्मेदार बताया है परंतु संयुक्त राष्ट्र संघ की इस रिपोर्ट पर किसी भी यूरोपीय व पश्चिमी देश ने प्रतिक्रिया नहीं जताई।
इसी तरह आम तौर पर जब नाइजीरिया, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया और इराक में आतंकवादी हमले होते हैं तो इन हमलों के संबंध में पश्चिमी सरकारों की ओर से कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिलती है परंतु स्पेन के बार्सिलोना नगर में होने वाले आतंकवादी हमले के बाद पश्चिमी सरकारों की ओर से सहानुभूति दिखाई व प्रतिक्रिया जताई जा रही है।
अलबत्ता मानवता के नाते यह प्रतिक्रिया सही है और दुनिया का हर स्वतंत्र इंसान इस आतंकवादी हमले की भर्त्सना करेगा परंतु यूरोप और पश्चिम देशों की नज़र में इराकी, सीरियाई, अफ़ग़ानी, यमनी और नाइजीरियाई नागारिकों की जान का मूल्य व महत्व यूरोपीय नागरिकों के बराबर नहीं है और अगर यूरोपीय व पश्चिमी देश सीरिया, इराक, यमन और अफ़ग़ानिस्तान आदि देशों में होने वाले आतंकवादी हमलों पर प्रतिक्रिया दिखाते, उसकी निंदा करते, यूरोपीय व ग़ैर यूरोपीय लोगों की हत्या में कोई अंतर न करते और सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों में पुनर्विचार करते तो आज आतंकवादी इन देशों में नहीं पहुंच पाते। MM