तो क्या अमेरिका अब चीन के ख़िलाफ़ गठबंधन बनाने की तैयारी में है? अमेरिकी विदेश मंत्री के बयान से एक बड़ी साज़िश की आई बू!
(last modified Wed, 22 Jul 2020 04:12:34 GMT )
Jul २२, २०२० ०९:४२ Asia/Kolkata
  • तो क्या अमेरिका अब चीन के ख़िलाफ़ गठबंधन बनाने की तैयारी में है? अमेरिकी विदेश मंत्री के बयान से एक बड़ी साज़िश की आई बू!

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन पर कोरोना वायरस की महामारी को अपने हित के लिए इस्तेमाल करने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अमेरिका इससे निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक गठबंधन चाहता है।

समाचार एजेंसी रोएटर्ज़ की रिपोर्ट के मुताबिक़, अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि चीन कोरोना संकट के ज़रिए अपने पड़ोसियों पर धौंस जमा रहा है और साउथ चाइना सी में सैन्य ताक़त बढ़ा रहा है। माइक पोम्पियो ने मंगलवार रात लंदन में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर आरोप लगाया कि वह कोरोना महामारी में दुनिया की मदद करने के बजाय अपने पड़ोसियों पर दादागिरी दिखा रहा है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब के साथ वार्ता के बाद एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि पूरे विश्व को मिलकर काम करने की ज़रूरत है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हर देश अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को लेकर तय अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का पालन करें। अमरीकी विदेश मंत्री ने एक बार फिर चीन पर महामारी के शुरूआती दौर के ब्यौरे को छिपाने का आरोप लगाया।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने चीन को अमेरिका का मुख्य प्रतिद्वंद्वी क़रार देते हुए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपींग पर आरोप लगाया था कि वह व्यापार में अपने देश का पलड़ा भारी रखना चाहते हैं इसलिए कोरोना वायरस के पूरे सच को छिपा रहे हैं। ट्रम्प ने कोरोना को चीनी वायरस भी बताया था। चीन पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों के बाद अब माइक पोम्पियो का चीन के ख़िलाफ़ गठबंधन बनाए जाने की बात पर राजनीतिक टीकाकारों का कहना है कि अमेरिका, इस क्षेत्र में एक नई साज़िश रच रहा है कि जिसकी बू अमेरिकी विदेश मंत्री के ताज़ा बयान से साफ़ महसूस की जा सकती है।

इस बीच चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने पोम्पियो के बयान पर अपना विचार रखा है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, चीन और यूरोप के बीच मूल्यों और राजनीतिक प्रणालियों पर मतभेद हैं, लेकिन क्या पोम्पियो चीन को जिस रूप में दिखा रहे हैं, वह ऐसा है? उनके आरोप तथ्यों से मेल नहीं खाते? यूरोपीय लोगों में चीन को लेकर कुछ पूर्वाग्रह हैं, इसका मतलब क्या यह है कि वे चीन के साथ नहीं मिल सकते हैं? दुनिया कितनी ख़तरनाक हो जाएगी अगर देश केवल उन्हीं देशों के साथ संबंध रखें जिनसे उनके सिद्धांत मिलते हों। चीनी समचार पत्र ने लिखा कि, वॉशिंगटन को अंततः यह पता चल जाएगा कि वह चीन को अलग करने के लिए भले ही जितनी कड़ी मेहनत कर ले, लेकिन वास्तव में वह कई मामलों में खुद को और अलग कर लेगा। ग्लोबल टाइम्स ने कहा, अमेरिका दुनिया के साथ ज़बरदस्ती कर रहा है, दुनिया से अनुरोध कर रहा है, ठीक वैसे ही जैसे ताइवान के अधिकारियों और ऑस्ट्रेलिया के साथ किया। अमेरिका शक्तिशाली है लेकिन वह इसमें विफल हो जाएगा क्योंकि वह दूसरे देशों से अपने हित की बात कर रहा है। (RZ)

 

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