क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-977
सूरए ज़ारियात आयतें 47 से 51
आइये अब सूरए ज़ारियात की 47 से लेकर 49 तक की आयतों की तिलावत सुनतेहैं।
وَالسَّمَاءَ بَنَيْنَاهَا بِأَيْدٍ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ (47) وَالْأَرْضَ فَرَشْنَاهَا فَنِعْمَ الْمَاهِدُونَ (48) وَمِنْ كُلِّ شَيْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ (49)
इन आयतों का अनुवाद हैः
और हमने आसमानों को बड़ी शक्ति से बनाया और बेशक हममें सब क़ुदरत है [51:47] और ज़मीन को भी हम ही ने बिछाया तो हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं [51:48] और हम ही ने हर चीज़ के दो दो जोड़े बनाए ताकि तुम लोग नसीहत हासिल करो। [51:49]
ये आयतें ज़मीन और आसमानों की रचना व पैदा करने में एक बार फ़िर महानईश्वर की असीम शक्ति की ओर संकेत करती हैं ताकि क़यामत का इंकार करने वालों का संदेह दूर हो जाये। अतः ये आयतें आरंभ में आसमानों की महानता व भव्यता की ओर संकेतकरती और कहती हैं कि जिन तारों को तुम अपने ऊपर देख रहे हो और जो आकाशगंगायें हैं
वे लगातार बढ़ रही हैं तुम्हारे अंदर इनके आरंभ और अंत को देखने की क्षमता नहींहै। ये सबके सब महान ईश्वर की असीम शक्ति के स्पष्ट प्रमाण हैं।
ये आयतें स्पष्ट रूप से संकेत करती हैं कि महान ईश्वर ने आसमानों को पैदा
किया है और वह लगातार उसे बड़ा व विस्तृत कर रहा है। वैज्ञानिकों ने जो खोज कियाहै उससे भी यह बात स्पष्ट हो गयी है कि ब्रह्मांड स्थिर व टिका नहीं है बल्कि वह लगातार बढ़ता व बड़ा होता जा रहा है। इस दृष्टिकोण के आधार पर जो तारे किसी एक आकाशगंगामें हैं वे तीव्र गति से अपने केन्द्र से दूर होते जा रहे हैं।
अलबत्ता वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड का फ़ैलना और बड़ा होते रहने का लाज़ेमा यह है कि ब्रह्मांड का एक आरंभ बिन्दु था और वह उससे बड़ा होतेहोते आज यहां पहुंचा है।
न केवल आसमान तुम्हारे उपर है बल्कि महान ईश्वर ने ज़मीन भी पैदा की है जो तुम्हारे पैरों के नीचे है। इस ज़मीन पर जंगल, मरुस्थल, नदी और समुद्र आदि कोइस प्रकार से बनाया है कि तुम इस पर रह सकते हो और उसने तुम्हारी ज़रूरत की हर चीज़ पैदा की है। दूसरे शब्दों में महान ईश्वर ने अपने मेहमान इंसान के आथित्य - सत्कारके लिए हर चीज़ की रचना और पैदा किया है। इस बात को स्पष्ट करने के लिए एक मिसाल देते हैं जिससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि ज़मीन पर इंसानों के रहने में वायुमंडल कीभूमिका क्या है। ज़मीन का जो वायुमंडल है वह समूची ज़मीन पर फ़ैला हुआ है और सूरज की गर्मी को अपने अंदर लिए हुए है और वह रातों को ज़मीन को ज़रूरत से ज़्यादा ठंडाहोने से बचाता है। इसी प्रकार यह वायुमंडल दिनों को बहुत अधिक गर्म होने से रोके हुए है। इसके अलावा जो वायुमंडल है वह ज़मीन और उस पर रहने वालों को आसमानीपत्थरों के हमलों से मज़बूत ढ़ाल की भांति रक्षा करता है इस तरह से कि जैसे ही कोई आसमानी पत्थर वायुमंडल से टकराता है उसे जला कर नष्ट कर डालता है।
आसमान और ज़मीन की रचना के बारे में बहस व चर्चा समाप्त होने के बाद विभिन्नप्राणियों की बात होती है। महान ईश्वर ने हर प्राणी का जोड़ा बनाया है ताकि वह चीज़ बाक़ी रहे और स्वाभाविक रूप से इंसान और दूसरे प्राणियों की नस्ल चलती वबाक़ी रहे। जिन चीज़ों का उल्लेख किया गया वह यह समझने के लिए काफ़ी हैं कि महान ईश्वर की शक्ति असीमित है और क़यामत में मुर्दों को ज़िन्दा करना महान ईश्वर केलिए कोई काम ही नहीं है। अतः क़यामत का इंकार करने वालों के पास क़यामत के न होने की कोई दलील नहीं है।
इन आयतों से हमने सीखाः
ब्रह्मांड स्थिर नहीं है बल्कि वह लगातार गतिशील और बड़ा होता जा रहा है।
महान ईश्वर ने हर चीज़ का जोड़ा बनाया है। चाहे वह इंसान हों, जानवर हों, पक्षी हों या पेड़- पौधे आदि।
पवित्र क़ुरआन प्राकृतिक वस्तुओं से परिचित कराने की किताब नहीं है परंतुइंसान की नज़रों के सामने से अज्ञानता के पर्दों को हटाने के लिए इस प्रकृति में मौजूद महान ईश्वर की असीम शक्ति की ओर संकेत करता है।
आइये अब सूरए ज़ारियात की 50 से 51 तक की आयतों की तिलावत सुनते हैं,
فَفِرُّوا إِلَى اللَّهِ إِنِّي لَكُمْ مِنْهُ نَذِيرٌ مُبِينٌ (50) وَلَا تَجْعَلُوا مَعَ اللَّهِ إِلَهًا آَخَرَ إِنِّي لَكُمْ مِنْهُ نَذِيرٌ مُبِينٌ (51)
इन आयतों का अनुवाद हैः
तो ख़ुदा ही की तरफ़ भागो मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ़ से खुल्लम खुल्ला चेतावनी देने वाला हूँ [51:50] और ख़ुदा के साथ दूसरा माबूद न बनाओ मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ [51:51]
इन आयतों में महान ईश्वर पैग़म्बरे इस्लाम को काफ़िरों औरअनेकेश्वरवादियों को डराने की ज़िम्मेदारी सौंपता है। ब्रह्मांड और उसमें मौजूद चीज़ों के बारे में महान ईश्वर का किसी को शरीक व सहभागी बनाने या मानने के बजाये जिनबुतों आदि को काल्पनिक अल्लाह मानते हैं काफ़िरों को उनसे परहेज़ करना और महान ईश्वर की शरण में आना चाहिये ताकि ज़िन्दगी का सही रास्ता पा सकें और बुरे व विनाशकारीअंजाम से बच जायें।
इन आयतों से हमने सीखाः
धन दौलत, शक्ति, दोस्त और जान- पहचान में से किसी भी चीज़ पर इंसान को भरोसा नहीं करना चाहिये। सबसे विश्वस्त और आश्वस्त आश्रय महान ईश्वर है। अतः इंसानको केवल उस पर भरोसा करना चाहिये।
पैग़म्बर लोगों को महान ईश्वर की ओर बुलाने और नेक काम करने और बुरे कार्यों से बचने का निमंत्रण देने के अलावा लोगों को बुरे कार्यों के अंजाम सेडराते हैं।