Sep १५, २०२५ १५:४८ Asia/Kolkata
  • क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-1016

सूरए हश्र आयतें 20 से 24

आइए सबसे पहले सूरए हश्र की आयत संख्या 20 की तिलावत सुनते हैं: 

لَا یَسْتَوِی أَصْحَابُ النَّارِ وَأَصْحَابُ الْجَنَّةِ أَصْحَابُ الْجَنَّةِ هُمُ الْفَائِزُونَ(20)

इस आयत का अनुवाद है: 

जहन्नम वाले और जन्नत वाले बराबर नहीं हो सकते। जन्नत वाले ही सफलता पाने वाले हैं। [59:20]   

यह आयत पिछले कार्यक्रम की आयतों के सिलसिले में, परहेज़गारों और अल्लाह से ग़ाफ़िल लोगों के अंजाम की तुलना करते हुए फ़रमाती है: सिर्फ़ यह मत देखो कि कौन-सा समूह दुनियावी चीज़ों को पा लेता है और कौन-सा समूह दुनिया से वंचित रह जाता है, बल्कि उनके अंजाम को देखो कि क़यामत के दिन कौन जहन्नम में जाएगा और कौन जन्नत में प्रवेश करेगा! 

इस आयत से हमने सीखाः 

 ज़िंदगी का रास्ता चुनते समय, मौत को इंसान की मंज़िल न समझो कि सिर्फ़ दुनिया हासिल करने की कोशिश करो, बल्कि दुनिया को आख़ेरत की खेती समझो और परहेज़गारी के साथ जन्नत को अपना हिस्सा बनाओ। 

 हक़ और बातिल के बीच कोई तीसरा रास्ता नहीं है, इसलिए इंसान का अंजाम या तो जन्नत है या जहन्नम, क़यामत में कोई तीसरा ठिकाना नहीं है। 

आइए अब सूरए हश्र की आयत नंबर 21 की तिलावत सुनते हैं: 

لَوْ أَنْزَلْنَا هَذَا الْقُرْآنَ عَلَى جَبَلٍ لَرَأَیْتَهُ خَاشِعًا مُتَصَدِّعًا مِنْ خَشْیَةِ اللَّهِ وَتِلْکَ الْأَمْثَالُ نَضْرِبُهَا لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ یَتَفَکَّرُونَ(21)

इस आयत का अनुवाद है: 

अगर हम इस क़ुरआन को किसी पहाड़ पर उतारते, तो तुम उसे अल्लाह के डर से झुका हुआ और टूटा हुआ देखते। और हम लोगों के लिए ऐसी मिसालें बयान करते हैं, ताकि वे सोच-विचार करें। [59:21]   

क़ुरआन के तरबियती तरीक़ों में से एक है, बातों को अप्रत्यक्ष रूप से और मिसालों के ज़रिए बयान करना। क़ुरआन ने अलग-अलग मौक़ों पर इस तरीक़े का इस्तेमाल किया है। यह आयत भी क़ुरआन के प्रभाव और असर को बताने के लिए एक मिसाल देती है कि अगर अल्लाह का कलाम मज़बूत और सख़्त पहाड़ों पर उतरे, तो वे फट जाएँगे और बिखर जाएँगे। 

लेकिन यही अल्लाह का कलाम कुछ इंसानों के दिलों पर कोई असर नहीं करता, मानो उनके दिल पत्थर से भी ज़्यादा सख़्त हैं। वे अल्लाह के सामने झुकने की बजाय, हठ और ज़िद करते हैं और उसके हुक्मों से बग़ावत करते हैं। सूरह बक़रह में भी इस बात की तरफ़ इशारा किया गया है और यह ज़ोर दिया गया है कि ये लोग पत्थर और बेजान चीज़ों से भी गए गुज़रे हैं। 

इस आयत से हमने सीखाः 

 इस्लामी तालीम और तरबियत में कभी-कभी लोगों पर असर डालने के लिए अप्रत्यक्ष तरीक़ों जैसे मिसालों और ऐतिहासिक सबक़ देने वाली कहानियों का इस्तेमाल किया जाता है। 

 कुछ इंसान न सिर्फ़ जानवरों से, बल्कि बेजान चीज़ों से भी घटिया होते हैं। 

 दिल के सख़्त होने और कठोरता की निशानी यह है कि इंसान अल्लाह के कलाम में सोच-विचार न करे और उससे सबक़ न ले। 

अब आइए सूरए हश्र की आयत नंबर 22 से 24 तक की तिलावत सुनते हैं: 

هُوَ اللَّهُ الَّذِی لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ عَالِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ هُوَ الرَّحْمَنُ الرَّحِیمُ (22)هُوَ اللَّهُ الَّذِی لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ الْمَلِکُ الْقُدُّوسُ السَّلَامُ الْمُؤْمِنُ الْمُهَیْمِنُ الْعَزِیزُ الْجَبَّارُ الْمُتَکَبِّرُ سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا یُشْرِکُونَ (23) هُوَ اللَّهُ الْخَالِقُ الْبَارِئُ الْمُصَوِّرُ لَهُ الْأَسْمَاءُ الْحُسْنَى یُسَبِّحُ لَهُ مَا فِی السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَهُوَ الْعَزِیزُ الْحَکِیمُ (24)

इन आयतों का अनुवाद है: 

वही अल्लाह है जिसके सिवा कोई माबूद (पूज्य) नहीं, वह ग़ैब (अदृश्य) और शहादत (दृश्य) का जानने वाला है, वह बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है। [59:22] वही अल्लाह है जिसके सिवा कोई माबूद नहीं, वह बादशाह है, हर ख़ामी से पाक है, सलामती देने वाला है, अमन देने वाला है, हर चीज़ पर निगरानी रखने वाला है, ज़बरदस्त है, शक्तिमान है, बड़ाई वाला है। अल्लाह पाक है उस शिर्क से जो वे करते हैं।  [59:23]  वही अल्लाह है जो पैदा करने वाला, बनाने वाला, सूरत देने वाला है, सब अच्छे नाम उसी के हैं। आसमानों और ज़मीन में जो कुछ है, सब उसकी तस्बीह करते हैं और वह ज़बरदस्त और हिकमत वाला है।[59:24]

ये आयतें, जो सूरए हश्र का अंत करती हैं, अल्लाह के कुछ सिफ़ात बयान करती हैं। अल्लाह उसका ख़ास नाम है, जिससे ये तीनों आयतें शुरू होती हैं और इसके बाद 15 सिफ़ात बयान किए गए हैं। इन आयतों में सबसे पहली और अहम बात जिस पर ज़ोर दिया गया है, वह अल्लाह का बेनज़ीर होना और एकेश्वरवाद है। 

अल्लाह ही पूरी कायनात का ख़ालिक़ है और वह दुनिया और इंसान के सारे छिपे और खुले कामों को जानता है। उसकी रहमत भी बहुत विस्तृत है और हर चीज़ को घेरे हुए है। वह हाकिम और मालिक है, हर तरह की कमी और ख़ामी से पाक है, वह किसी पर ज़ुल्म नहीं करता और सब उसकी सलामती में हैं, उसका नाम और याद लोगों के लिए अमन और इत्मीनान का सबब है। 

वह हर चीज़ पर क़ाबू रखता है, वह अज़ीज़ यानी अजेय है और कोई उसके सामने टिक नहीं सकता, उसकी मर्ज़ी हर चीज़ पर ग़ालिब है, उसकी शान बुलंद है और वह हर चीज़ से बुलंद है, उसके इन सिफ़ात में कोई उसके समान नहीं है। 

वह वही ख़ालिक़ है जिसने अपनी मख़लूक़ात को ख़ुद ही बनाया है और उन्हें सूरत या आकार दिया है, उसने किसी की मदद नहीं ली और न ही किसी से नमूना लिया। उसके सारे नाम और सिफ़ात अच्छे हैं। पूरी कायनात की हर चीज़ उसकी तस्बीह करती है और उसे हर तरह की कमी और ख़ामी से पाक बताती है। 

इन आयतों से हमने सीखा:  

 अल्लाह का इल्म और रहमत किसी भी तरह की हद से परे है और वह ज़ाहिर और बातिन हर चीज़ को जानता है। अगर उसका हमारे कामों को जानना हमें डराता है, तो उसकी रहमत हमें माफ़ी और क्षमा की उम्मीद देती है। 

 कायनात का एकमात्र माबूद वही है जो पूरी दुनिया का मालिक और हाकिम है और हर चीज़ पर उसका पूरा क़ाबू है। 

 अल्लाह की हुकूमत हर तरह के ज़ुल्म और कमी से पाक है, और उसकी तरफ़ से जो चीज़ आती है, वह अमन, सलामती और भलाई है, न कि बुराई और नुक़सान। 

 वही तस्बीह और पवित्रता के वर्णन का हक़दार है जो सारे कमालात रखता है, हर तरह की कमी और ख़ामी से पाक है, और उसकी तरफ़ से बंदों को सिर्फ़ अमन और सलामती मिलती है।