बुधवार- 4 नवम्बर
4 नवम्बर सन 1918 ईसवी को ऑस्ट्रिया-हंग्री साम्राज्य ने ऐसे समय में, जब प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति को मात्र एक सप्ताह का समय रह गया था, संयुक्त सेना के समक्ष हथियार डाल दिए।
इस साम्राज्य को, जिसने युद्ध की आग भड़काई थी, प्रथम विश्व युद्ध में एक के बाद दूसरे युद्ध में पराजय का सामना हुआ। परिस्थितियों को स्वीकार करने तथा संयुक्त सेना की विजय के अवसर पर वह पाडोवा संधि पर हस्ताक्षर करने पर विवश हो गया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद यह साम्राज्य टूट गया और ऑस्ट्रिया तथा हंग्री सहित कई देश बन गए।
4 नवम्बर सन 1924 ईसवी को इटली के संगीतकार जियाकोमो पोचीनी का निधन हुआ। वे सन 1858 ईसवी में एक कला प्रेमी परिवार में जन्मे। उन्होंने 36 वर्ष की आयु में एडगर नामक अपनी पहली रचना प्रस्तुत की। उनकी सबसे विख्यात रचना का नाम मैडम बटरफ़लाई है।
4 नवम्बर सन 1946 ईसवी को राष्ट्र संघ की वैज्ञानिक व सांस्कृतिक मामलों की संस्था युनेस्को का गठन 43 देशों के सहयोग से हुआ। इस संस्का की स्थाप्ना का लक्ष्य राष्ट्रों के मध्य वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संपर्क स्थापित करना था उसका अन्य काम विभिन्न भाषाओं में पुस्तकों और पत्रिकाओं का प्रकाशन तथा राष्ट्रों के मध्य सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ करना हैं। युनेस्को के घोषणापत्र में ध्यान योग्य बिंदु न्याय का सब लोगों द्वारा सम्मान क़ानून की प्रभुसत्ता तथा मूल स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा है। युनेस्को का मुख्यालय फ़्रांस की राजधानी पेरिस में है।
4 नवंबर 1995 को तत्कालीन ज़ायोनी प्रधान मंत्री इस्हाक़ रॉबिन एक चरमपंथी ज़ायोनी के हाथों मारे गए। रॉबिन 1974 से 1977 तक ज़ायोनी लेबर पार्टी की ओर से प्रधान मंत्री बनाए गए किन्तु आर्थिक भ्रष्टाचार के कारण उन्हें हटा दिया गया। इसी प्रकार वह 1992 में दूसरी बार प्रधान मंत्री बने और तथा कथित मध्यपूर्व शांति वार्ता को उन्होंने जारी रखा। एक चरमपंथी ज़ायोनी के हाथों इस्हाक़ रॉबिन की हत्या ने ज़ायोनियों के भीतरी मतभेद को स्पष्ट कर दिया और यह दर्शा दिया कि अतिवादी ज़ायोनी अरबों को न्यूनतम अधिकार देने के भी विरोधी हैं। उल्लेखनीय है कि इस्हाक़ रॉबिन स्वयं ज़ायोनी आतंकवादी गुटों के सरग़ना रह चुके थे। उन्होंने अरबों और फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध अनेक आतंकवादी कृत्यों का दिशा निर्देशन किया था और फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध बहुत से जघन्य अपराध किए थे।
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14 आबान सन 1357 हिजरी शम्सी को ईरान की मुसलमान जनता के शाही शासन के ख़िलाफ़ संघर्ष के दौरान शरीफ़ इमामी की सरकार इस्तिफ़ा देने पर मजबूर हुयी। विश्व साम्राज्य के मोहरे माने जाने वाले शरीफ़ इमामी ने इस्लामी क्रान्ति के दौरान लुभावने और झूठे वादों द्वारा इस्लामी क्रान्ति को मार्ग से हटाने का प्रयास किया। शरीफ़ इमामी के बाद जनरल ग़ुलाम रज़ा अज़हारी ने सैनिक सरकार का गठन किया किंतु इमाम ख़ुमैनी ने अपनी जागरुकता और दूरदर्शिता का परिचय दिया और पहलवी शासन की इस नई चाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए घोषणा की कि जनता सरकार के पतन तक अपना संघर्ष जारी रखेंगी ।
14 आबान वर्ष 1369 हिजरी शम्सी को ईरानी शोधकर्ता डाक्टर फ़रामर्ज़ आशूरी जापान में कुछ प्राकृतिक पदार्थों में एंटी रेडिएशन विशेषता का पता लगाने में सफल हुए। डाक्टर आशूरी ने बायोकेमिस्ट्री और औषधिनिर्माण में पोस्ट डॉक्ट्रेट की डिग्री प्राप्त की और इस क्षेत्र में 14 वर्षों तक निरंतर शोध के पश्चात नए दवा खोजने में सफल हुए। यह दवा आम समस्याओं, नाड़ी की समस्या, यकृत में संक्रमण, मधुमेह, आंखों की समस्याओं सहित उन समस्याओं के उपचार में सहायता करती है जो आरयन के कारण उत्पन्न होती है। इसी प्रकार यह दवा इन समस्याओं की पूर्व रोकथाम के लिए भी प्रयोग की जाती है और मनुष्य के शरीर की प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाती है।
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18 रबीउल अव्वल पहली हिजरी क़मरी को पवित्र नगर मदीना में मस्जिदुन्नबी के निर्माण का काम आरंभ हुआ। मक्के में स्थित मस्जिदुल हराम के बाद यह संसार की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण मस्जिद है। मक्का से पलायन करके मदीना नगर पहुंचने के तुरंत बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने इस मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया और स्वयं भी इस निर्माण कार्य में भाग लिया। इस मस्जिद की दीवारें ईंट और पत्थर की तथा छत लकड़ी की बनाई गयी थी। मस्जिद से लग कर पैग़म्बरे इस्लाम और उनके कुछ साथियों के कमरे बने हुए थे। पैग़म्बरे इस्लाम मस्जिद का प्रयोग केवल एक उपासना स्थल के रुप में नहीं बल्कि न्यायिक मामलों को निपटाने, सलाह मशविरे की बैठकें करने, रणकौशल की शिक्षा तथा मुसलमानों के विभिन्न मामलों को सुलझाने के लिए भी करते थे इसी लिए मुसलमानों के निकट इस मस्जिद का महत्व बहुत अधिक है।
अब यह मस्जिद बहुत विस्तृत कर दी गयी है और प्रतिवर्ष दसियों लाख लोग विश्व के कोने कोने से वहॉं जाकर मस्जिद का दर्शन करते हैं।