रविवार - 15 नवम्बर
1920, जिनेवा में लीग ऑफ़ नेशंस की पहली बैठक आयोजित की गई।
15 नवम्बर सन 1630 ईसवी को जर्मनी के प्रसिद्ध खगोल शास्त्री युहान केपलर का 59 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे 1571 ईसवी में पैदा हुए तथा शिक्षा प्राप्ति के बाद ऑस्ट्रिया चले गये और वहॉ शिक्षा देने लगे। उपग्रहों की चाल के बारे में केपलर क़ानून तथा मंगलग्रह द्वारा अपनी कक्षा में अंडाकर चक्कर की खोज उन्ही के अध्ययन का परिणाम है।
15 नवम्बर सन 1884 ईसवी को अफ़्रीक़ा महाद्वीप में योरोपीय देशों के लिए उपनिवशों को बॉटने के लिए जर्मनी की राजधानी बर्लिन में कॉन्फ़्रेन्स आरंभ हुई। अगले वर्ष 26 फ़रवरी तक चलने वाली इस कॉन्फ़्रेन्स में फ़्रांस बिटेन, रुस, बेल्जियम, पुर्तग़ाल ऑस्ट्रिया तथा जर्मनी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अफ़्रीक़ा महाद्वीप में अपने उपनिवेशों के विस्तार को लेकर इन देशों में मतभेद उत्पन्न हो गये थे जिसे दूर करने के लिए यह कॉन्फ़्रेन्स हुई। इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि जो योरोपी देश अफ़्रीक़ा के किसी भाग को अपना उपनिवेश बनाएगा , तो बनाने से पहले वह इस बारे में समस्त योरोपीय देशों को सूचित करेगा। इस समझौते के बाद भी उपनिवेशों में विस्तार को लेकर योरोपीय देशों में प्रतिस्पर्ध जारी रही।
15 नवम्बर सन 1884 ईसवी को जर्मनी के लेखक ग्रेहाई होप्टमैन का जन्म हुआ। उन्होंने युवावस्था से ही लिखना आरंभ कर दिया और पहाड़ का बेटा नाम से अपनी पहली पुस्तक प्रकाशित की जिसका जनता ने बड़ा स्वागत किया। 1912 ईसवी में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1940 में ग्रेहाई का निधन हो गया।
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25 आबान वर्ष 1292 हिजरी शम्सी को ईरान की संवैधानिक क्रांति के प्रसिद्ध संघर्षकर्ता सत्तार ख़ान का निधन हुआ। वे सरदारे मिल्ली अर्थात राष्ट्रीय कमांडर के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने युवाकाल में ही अपना पैतृक नगर तबरेज़ अत्याचारी क़ाजारी शासन के सैनिकों से झड़प के बाद छोड़ दिया था। संवैधानिक क्रांति के आरंभ होते ही वे अपने पैतृक नगर तबरेज़ लौटे। उन्होंने क्रांति के दौरान तबरेज़ की जनता का नेतृत्व किया और मुहम्मद अली क़ाजार के अत्याचार के विरुद्ध व्यापक संघर्ष किया। संवैधानिक क्रांतिकारियों द्वारा तेहरान पर विजय और मुहम्मद अली शाह के अपदस्थ होने बाद सत्तार ख़ान लोगों के अह्वान पर तेहरान आए और जनता ने उनका भव्य स्वागत किया। तेहरान में उनके प्रविष्ट होते ही अत्याचारी शासकों और उसके पिट्ठुओं ने उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचना आरंभ कर दिया और उनपर आराजकता का आरोप लगाया। कुछ दिन बाद क्रांतिकारियों और सुरक्षा बलों के मध्य भीषण झड़प हुई जिसमें बहुत से क्रांतिकारी मारे गये और सत्तार ख़ान गंभीर रूप से घायल हो गये। आज ही के दिन उनका निधन हो गया।
25 आबान सन 1359 हिजरी शम्सी को ईरान के सीमावर्ती नगर सूसनगिर्द में ईरानी सैनिकों ने इराक़ की अतिक्रमणकारी सेना के मुक़ाबले में डटकर प्रतिरोध किया।
यह प्रतिरोध 200 बसीजियों अर्थात स्वेच्छा से देश की रक्षा करने वाले जवानों और कुछ स्थानीय लोगों ने किया। शहीद डॉक्टर मुसतफ़ा चमरान के नेतृत्व में इन लोगों ने इराक़ी सेना के टैंकों और तोपों का डटकर मुक़ाबला किया और इस नगर को इराक़ियों के अधिकार से छुड़ा लिया। इस कार्रवाई में बहुत से ईरानी जवान शहीद हो गये थे।।
25 आबान 1365 हिजरी शम्सी को ईरान के प्रसिद्ध लेखक, साहित्यकार और शोधकर्ता मुहम्मद तक़ी मुदर्रिस रिज़वी का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जन्म ईरान के पूर्वोत्तरी नगर मशहद में हुआ था। वे तेहरान आ गये। उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने के बाद शोधकार्य आरंभ किया। मुदर्रिस रिज़वी वर्षों तक युवाओं को शिक्षा देने में व्यस्त रहे और वर्षों तक दहख़ुदा डिकश्नरी लिखने में सहायता की। उन्होंने ईरानी साहित्य की प्राचीन विषय वस्तुओं पर नोट लिखे और उनमें संशोधन किया। वे इसी प्रकार धर्मशास्त्र, तर्कशास्त्र, दर्शनशास्त्र और फ़्रेंच भाषा में भी दक्ष थे। उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में तारीख़े बुख़ारा, अहवाल व आसारे ख़्वाजा नसीरूद्दीन तूसी और दीवाने अनवरी का नाम लिया जा सकता है।
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29 रबीउल अव्वल सन 1345 हिजरी क़मरी को ईरान के वरिष्ठ विद्वान और धर्मशास्त्री सैयद मोहम्मद यज़दी फ़िरोज़ाबादी नजफ़ी का निधन हुआ। उनकी गणना आख़ुन्द ख़रासानी और सैयद मोहम्मद काज़िम यज़्दी के शिष्यों में होती थी। 29 रबीउल अव्वल 1345 हिजरी क़मरी की रात को इराक़ के सामर्रा नगर में उनका देहान्त हो गया और पवित्र नगर नजफ़ में उन्हें दफ़्न कर दिया गया। जामेउल कलिम फ़ी हुक्मिल्लेबासिल मशकूक उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है।