सोमवार - 16 नवम्बर
16 नवम्बर सन 1846 को उर्दू के मशहूर शायर अकबर इलाहबादी का जन्म हुआ।
16 नवम्बर सन 1524 ईसवी को पुर्तग़ाल के विश्व विख्यात नाविक वास्को डी गामा का निधन हुआ। उनका जन्म 1469 ईसवी में हुआ था। उनकी उपलब्धियों में योरोप से एशिया और भारत के जलमार्ग की खोज है। उन्होंने यह कारनामा वर्ष 1498 में किया था। उनकी यह खोज इस लिए महत्वपूर्ण है कि वर्ष 1453 में उसमानी शासन ने योरोप से एशिया के ज़मीनी रास्ते को बंद कर दिया था। वास्को डी गामा ने अफ़्रीक़ा महाद्वीप का चक्कर काट कर भारत तक पहुँचने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने स्थानीय लोगों के व्यापक जनसंहार के बाद इस देश के एक भाग को पुर्तग़ाल का उपनिवेश बना लिया।
16 नवम्बर सन 1632 ईसवी को स्वीडन के महाराजा एडल्फ़ की हत्या हुई। उनका जन्म सन 1594 ईसवी को हुआ। 17 वर्ष की आयु में उन्होंने सत्ता संभाली। उनका नाम गोस्टाव द्वितीय था किंतु वे एडल्फ़ के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी ख्याति का मुख्य कारण 1618 से 1648 ईसवी के बीच कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट ईसाइयों के बीच धार्मिक युद्ध के दौरान उनकी सफलताएं हैं। उन्होंने जर्मनी के प्रोटेस्टेंटों के पक्ष में फ़्रांस के समर्थन के साथ रोम साम्राज्य तथा उसके घटकों से लड़ाइयां लड़ीं। एडल्फ़ ने जो स्वीडन की सेना के कमांडर भी थे दो युद्धों में विजय प्राप्त की। तीसरे युद्ध में भी वे आगे ही बढ़ते जा रहे थे कि शत्रु के आक्रमण में उनकी मौत हो गयी किंतु इसके बावजूद स्वीडन की सेना को इस युद्ध में विजय प्राप्त हुई।
16 नवम्बर सन 1945 ईसवी को वियतनाम पर फ़्रांसीसी सेना के आक्रमण के पश्चात वियेतनामी जनता द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता के लिए एक लम्बा तथा भयानक युद्ध आरंभ हुआ। वियतनाम पर फ़्रांस का एक शताब्दी तक नियंत्रण रहा किंतु द्वितीय विश्व युद्ध के हंगामे ने इस देश को अपनी चपेट में ले लिया, विश्व युद्ध में जापान की पराजय और वियेतनाम से उसकी सेना के वापस जाने के बाद फ़्रांस ने दोबारा इस देश पर अधिकार कर लिया किंतु इस देश की जनता ने फ़्रांस की सेना से कड़ा संघर्ष किया और 1954 में उसे पराजित कर दिया।
16 नवम्बर सन 1946 ईसवी को संसार में पहली बार कृत्रिम वर्षा की गयी थी। वातावरण में कारबोनिक गैस के तत्व छोड़कर कृत्रिम वर्षा करने में सफलता प्राप्त की। कृत्रिम वर्षा को उन क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है जहॉ वर्षा कम होती है, परंतु इस पर आने वाले भारी ख़र्च के कारण यह वर्षा संसार के शुष्क क्षेत्रों में प्रचलित नहीं है।
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26 आबान सन 1347 हिजरी शम्सी में ईरान के प्रसिद्ध अध्ययनकर्ता व ईरानी विशेषज्ञ इक्राहिम पूर दाऊद का 83 वर्ष की आयु में देहान्त हुआ। इब्राहीम पूर दाऊद ईरान के बारे में अपना अध्ययन पूरा करने के लिए जर्मनी और फिर भारत गये और उसके बाद युनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे। बाद में उन्हें तेहरान युनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए बुलाया गया। उन्हें वेटिकन की तरफ़ से सम्मानित भी किया गया। वह सत्ताइस वर्षों तक युनिवर्सिटियों में पढ़ाने के बाद अन्तत: रिटायर्ड हुए। आनाहीता और हुरमुज़नामा उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं।
26 आबान सन 1358 शम्सी को ईरान और लीबिया के मध्य कूटनैतिक संबंध स्थापित हुए। यह संबंध ईरान में क्रांति की सफलता से पहले ही ख़त्म हो गये थे। क्योंकि मुअम्मर क़ज़्ज़ाफ़ी का मानना था कि ईरान की शाही सरकार अमरीका की पिटठू है और इस्राईल के हितों को फ़िलिस्तीनियों के हितों पर प्राथमिकता देती है।