Nov २१, २०१६ १३:२९ Asia/Kolkata

24 नवम्बर सन 1632 ईसवी को हॉलैंड के समाजशास्त्री और भौतिक शास्त्री बारुथ स्पिनोज़ा का जन्म हुआ।

उन्हें उच्चस्तरीय शिक्षा के दौरान प्रसिद्ध दार्शनिक डेकार्ट के विचारों में रुसि पैदा हो गयी। उन्होंने यहूदी धर्म पर टिप्पणियां कीं इसी कारण इस धर्म के लोग उनके दुश्मन हो गये और वे कुछ समय बाद सबसे कट कर रहने लगे। स्पिनोज़ा के विचार सूफीइज़्म से मिलते हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं हैं।

 

 

24 नवम्बर सन 1831 ईसवी को ब्रिटेन के भौतिकशास्त्री माइकल फैरोडे ने बिजली की खोज की। उनके इस कारनामे से भैतिकशास्त्र विशेषकर इलेक्ट्रिसिटी के मैदान में बहुत बड़ी प्रगति हुई फैरोडे 1791 ईसवी में जन्मे थे। उन्होंने पहले एक पुस्तकालय में काम किया जहां वे अध्ययन भी करते रहे। कुछ वर्षों बाद वे प्रयोगशाला में ब्रिटिश भौतिक शास्त्री हम्फरे के सहयोगी बन गए। उन्होंने अपने अनेक प्रयोगों में बिजली का बल्ब बनाया और रसायनशास्र के क्षेत्र में भी कई उपलब्धियॉ अर्जित कीं। उनकी एक अन्य सफलता बिजली के मोटर का निर्माण है भौतिकशास्त्र का एक महत्वपूर्ण नियम फैरोडे के नाम पर है । फैरोडे गैसों को तरल पदार्थ में परिर्तित करने वाले अग्रिणी वैज्ञानिकों में गिने जाते हैं।

 

 

24 नवम्बर सन 1864 ईसवी को फ़्रांसीसी चित्रकार हेनरी तोलोज़ लूत्रोक का जन्म हुआ। उनका संबंध मध्यवर्गीय परिवार से था। बहुत सी आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी कला दक्षता को विकसित किया और फ़्रांस के वरिष्ठ चित्रकारों में गिने जाने लगे। हेनरी तोलोज़ लूत्रोक का 1901 में उनका निधन हुआ।

 

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4 आज़र सन 1329 हिजरी शम्सी को ईरान की संसद के तेल आयोग ने ईरान और ब्रिटेन की तेल कम्पनियों की सहकारिता के समझौते को रदद कर दिया। यह समझौता उस समय हुआ था जब ईरान में तेल के राष्ट्रीय करण का अभियान व्यापक हो रहा था और इस देश के तेल स्रोतों की लूटमार के लिए अमरीका और ब्रिटेन के मध्य प्रतिस्पर्धा जारी थी। यह समझौता ईरान के तेल भंडारों के प्रयोग में ब्रिटेन की स्थिति को मज़बूत करने के लिए किया गया था जिससे ईरान के राष्ट्रीय हित खतरे में पड़ गये। यह स्थिति देखकर तत्कालीन जागरुक लोगों ने आयतुल्ला काशानी के नेतृत्व में और राष्ट्रीय सेना ने दिवंगत मुसद्दिक़ के नेतृत्व में इस समझौते के विरोध में तथा ब्रिटेन के वास्तविक लक्ष्यों से पर्दा हटाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई।

अंतत: ईरानी जनता का संघर्ष रंग लाया और इसी वर्ष के अंतिम महीने में तेल उद्योग को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दिया गया।

 

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8 रबीउस्सानी सन 232 हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहेस्सलाम का मदीना नगर में जन्म हुआ। उन्होंने बचपने में ही अब्बासी शासन के दबाव के चलते अपने पिता इमाम अली नक़ी (अ) के साथ इराक़ के सामर्रा नगर की ओर पलायन किया और इस नगर में 13 वर्षों तक अपने महान पिता की शिक्षाओं से तृप्त हुए।

पिता की शहादत के बाद इमाम हसन असकरी (अ) ने पांच वर्ष तक इमामत अर्थात ईश्वरीय प्रतिनिधित्व के महत्वपूर्ण दायित्व को निभाया। उनके काल में अब्बासी शासकों की राजनैतिक और सैनिक उन्नति और विकास हो चुका था। इमाम हसन असकरी का कुल जीवन 28 वर्ष का ही था जिसमें कई वर्ष उन्होंने निर्वासन और कारवास में बिताए किंतु उन्होंने मार्गदर्शन का काम जारी रखा और उनके कई शिष्य विद्वानों में गिने जाने लगे और उन लोगों ने बड़ी ही मूल्यवान पुस्तकों की रचना की।

 

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