मानव तस्करी- 3
पश्चिमी देश यह दिखाने के लिए कि उन्हें विश्व में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर चिंता है, प्रतिदिन नई-2 रिपोर्टें प्रकाशित करते रहते हैं किन्तु ये रिपोर्टें राजनीति से प्रेरित होती हैं और उन्हें इन देशों द्वारा मानवाधिकार को ध्यान में रखने के चिन्ह के रूप में नहीं देखा जा सकता।
इस बीच मानव तस्करी भी एक विषय है जिसका अमेरिका दुरुपयोग कर रहा है।
आज क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर और मानवीय संबंधों में काफ़ी परिवर्तन उत्पन्न होने के बावजूद बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि विश्व में माफिया गुटों द्वारा संगठित ढंग से मानव तस्करी बहुत बड़े मुनाफे वाले व्यापार में परिवर्तित हो चुकी है और शायद मुनाफे की दृष्टि से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी से भी अधिक मुनाफे वाले व्यापार में परिवर्तित हो जायेगी। इस समय मानव तस्करी से जो मुनाफा हो रहा है वह मादक पदार्थों और हथियारों से होने वाली तस्करी के बाद तीसरे स्थान पर है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार गंतव्य देशों में तस्करी किये गये लोगों की उपस्थिति और उनके कार्यों से 32 अरब डॉलर से अधिक का मुनाफा होता है और इस मुनाफे के आधे भाग का संबंध औद्योगिक देशों से है।
पश्चिमी यूरोप में यौन शोषण के लिए प्रतिवर्ष पांच लाख लड़कियों और महिलाओं की तस्करी की जाती है। इस तस्करी के 60 प्रतिशत भाग का संबंध दक्षिण एशिया और पूर्वी यूरोपीय देशों से होता है। जिन महिलाओं व लड़कियों की तस्करी अमेरिका की जाती है उनकी भी स्थिति त्रासदीपूर्ण है। इस देश में यौन शौषण के लिए तस्करी होने वाली अधिकांश महिलाओं और लड़कियों को पुरूषों की ओर से हिंसा का भी सामना है।
पूर्व सोवियत संघ से प्रतिवर्ष एक लाख लड़कियों और महिलाओं, 75 हज़ार पूर्वी यूरोप और 50 हज़ार अफ्रीका से अमेरिका तस्करी होती है और इस बात की पुष्टि स्वयं अमेरिकी सरकार ने की है। रोचक बात यह है कि अमेरिका स्वयं को मानवाधिकारों की रक्षा का दावा करता है।
यहां इस बात का उल्लेख आवश्यक है कि प्रतिवर्ष लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों से अमेरिका होने वाली तस्करी भी लगभग एक लाख है।
विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 30 लाख मानव तस्करी होती है। इस बात की पुष्टि संयुक्त राष्ट्रसंघ ने की है। इस तस्करी के 56 प्रतिशत भाग की तस्करी एशिया से और 10 प्रतिशत भाग की तस्करी लैटिन अमेरिका से की जाती है जबकि 9 प्रतिशत का संबंध मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका से है।
मानव तस्करी ग़ैर कानूनी कार्यों के लिए होती है और विश्व के बहुत से देशों को इस अभिशाप का सामना है। अधिकांश अवसरों पर मानव तस्कर ग़ैर कानूनी ढंग से लोगों को दूसरे देशों में स्थानांतरित करते हैं और उसके बाद उनका दुरुपयोग करते हैं।
जिन लोगों की तस्करी की जाती है उनमें से अधिकांश को नौकरी और अच्छे वेतन का झांसा दिया जाता है। इस बहकावे में आकर उन्हें दास बना लिया जाता है और वे समुद्रों और मरुस्थलों की खतरनाक यात्रा करते हैं ताकि विवादों, निर्धनता और दुखों व समस्याओं से मुक्ति पा जायें किन्तु वे मानव तस्करों के हत्थे चढ़ जाते हैं।
घोषित आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 25 लाख लोगों की तस्करी विकास शील देशों से की जाती है जिनमें आधे बच्चे होते हैं। इन लोगों में से एक लाख से अधिक की तस्करी अमेरिका की जाती है। जिन लोगों की तस्करी अमेरिका के लिए जाती है उनमें मुख्यरूप से अल्सल्वाडोर, मैक्सिको, चीन और वियतनाम के लोग होते हैं। जो मानव तस्करी होती है मुख्य रूप से उसका लक्ष्य यौन शोषण होता है पर अमेरिका में इन लोगों से कठिन और घंटों कार्य भी कराया जाता है। रोचक बात है कि इन लोगों को न तो वेतन दिया जाता है और न ही छुट्टी और किसी प्रकार के अवकाश के बिना कई- कई घंटे और सप्ताहों उन्हें काम करना पड़ता है।
सार्वजनिक कल्याण नामक एक गुट के प्रमुख नोरमा हैटलिंग इस वास्तिवकता की पुष्टि करते हुए कहते हैं" निर्धन देशों में परिवारों द्वारा लड़कियों और महिलाओं का बेचा जाना एक मुनाफे वाले सौदे में परिवर्तित हो गया है। जिन महिलाओं व लड़कियों को बेचा जा चुका है उनमें से कुछ ने कहा है कि हमसे झूठ में कहा गया था कि हमें रेस्तरां और घर में काम करना होगा या हमसे कपड़ा बेचने का काम लिया जायेगा और हमसे कानूनी व प्रतिष्ठित काम कराया जायेगा।
यूरोपीय संघ की आतंरिक नीतियों की आयुक्त सिसिलिया मैलमश्ट्रोम ने एक जर्मन समाचार पत्र डी वेल्ट के साथ साक्षात्कार में यूरोप में भी इस अभिशाप के होने की ओर संकेत किया और कहा यूरोपीय संघ में दसियों हज़ार लोग एसे जिन्दगी करते हैं कि उन्हें सामानों की भांति बेचा- खरीदा जाता है। यह कटु वास्तविकता है कि इंसानों का व्यापार हमारे चारों ओर है और उससे बहुत अधिक है जितना हम सोचते हैं।
इस वक्त ब्राज़ील और थाईलैंड से तस्करी की हुई लगभग 70 हज़ार महिलाएं और लड़कियां जापान और स्पेन में वेश्यावृत्ति के काम में संलग्न हैं और उनमें से केवल 8 हज़ार को स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हैं और अंत में उनमें से अधिकांश की एडस जैसी प्राणघातक बीमारी लग जाने या मादक पदार्थों की लत के कारण मृत्यु हो जायेगी।
अमेरिका के पेन्सेल्वानिया विश्व विद्यालय की प्रोफेसर कैत्रिन बेरी वेश्यावृत्ति के संबंध में अपनी किताब में लिखती हैं” निर्धन देशों में महिलाओं का अधिक यौन शौषण किया जाता है इस प्रकार से कि 70 के दशक से अब तक पूरी दुनिया में वेश्यावृत्ति के लिए लाखों महिलाओं को बेचा जा चुका है और उनमें से अधिकांश का संबंध दक्षिणपूर्वी एशिया, पूर्वी यूरोप, दक्षिणी अमेरिका और अफ्रीक़ा से है।
जो मानव तस्कर हैं उनके लिए इंसानों का व्यापार गाड़ी और हथियारों के खरीदने- बेचने जैसा है। महिलाओं और लड़कियों के साथ यौन शोषण के संबंध में दुनिया में जो हृदयविदारक रिपोर्टें प्रकाशित होती हैं वह विश्व समुदाय की चिंता का कारण बनी हैं और इससे निपटने के लिए गम्भीर प्रयास किये जा रहे हैं पंरतु खेद के साथ कहना पड़ता है कि अब तक इन प्रयासों का वह परिणाम नहीं निकला है जिसकी अपेक्षा की जा रही थी। इंसानों की तस्करी करने वाले ग्राहकों को लुभाने और उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए महिलाओं को दिखाते हैं और कुछ एजेन्सियों में महिलाओं के व्यापार के लिए उन्हें मासिक आफर पर रखा जाता है। रोचक बात यह है कि यह उस स्थिति में है जब पश्चिमी देश अपनी रिपोर्टों में मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरते हैं और दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं।
गुप्त और खुले रूप से इस कार्य का जारी रहना इस बात का कारण बना है कि मानव तस्करी को समाप्त करने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो प्रयास किये जा रहे हैं उनका वांछित परिणाम न निकले।