Jan १३, २०१८ १७:०४ Asia/Kolkata

हालिया दशकों में चिकित्सा जगत में हैरत में डालने वाले बदलाव आए हैं जो सभी इंसान के लिए बेहतर जीवन का शुभ संदेश हो सकता है।

आज चिकित्सा विज्ञान उन्नति के इस चरण में पहुंच गयी है कि बोन मैरो अर्थात हड्डी के गूदे, दिल, लीवर और गुर्दे का प्रतिरोपण एक आम बात हो चुकी है। इसी तरह डीएनए और ह्यूमन जिनोम की खोज, टेस्ट ट्यूब बेबी, पशुओं की ब्रीड में सुधार और स्टेम सेल से इलाज भी प्रचलित हो गया है। अब दुनिया में चिकित्सा के प्रतिष्ठित शोध केन्द्रों में दवाओं से इलाज की बात नहीं होती बल्कि इंसान के विभिन्न अंगों और विभिन्न प्रकार के टिश्यू अर्थात ऊतकों के उत्पादन और ऑर्गेनोथ्रेपी की बात होती है।

 

आपने स्टेम सेल के बारे में ज़रूर सुना होगा। स्टेम सेल वह मूल कोशिका होती है जो शरीर में हर तरह की कोशिका बनाने में सक्षम होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, शरीर में जहां जहां ऊतक हैं वहां वहां पर स्टेम सेल होते हैं जो उसी विशेष ऊतक की कोशिका का रूप धारण कर सकते हैं। ये कोशिकाएं ऊतकों में किसी तरह की ख़राबी होने की स्थिति में दोबारा पैदा होती हैं और प्रभावित ऊतक की मरम्मत करती हैं। स्टेम सेल को प्रभावित ऊतक के साथ प्रतिरोपित करते हैं और ये ख़राब हो चुकी कोशिका का स्थान लेते हैं और ऊतक में आया ख़राबी को दूर करते हैं। इसी क्षमता के कारण इन्हें स्टेम सेल कहा जाता है। इंसान के शरीर के ज़्यादातर सेल को बांटा नहीं जा सकता और ये सेल अपने वजूद के आरंभ से अंत तक बिना विभाजित हुए काम करते हैं। इंसान के ख़ून, त्वचा और स्नायुतंत्र की नलिका के ऊतक तेज़ी से बदलते रहते हैं और हर दिन दसियों लाख त्वचा और स्नायुतंत्र की कोशिशकाएं पैदा होती हैं।

स्टेम सेल को सभी कोशिकाओं की मां कहा जाता है। ये सेल शरीर की विशेष स्थिति में विशेष काम करने वाले सेल बन जाते हैं। जैसे हृदय की मांसपेशी या पैनक्रिया में इंसुलिन पैदा करने वाले सेल बन जाते हैं।        

          

आज स्टेम सेल से इलाज की शैली विभिन्न अनुसंधानिक चरण से गुज़रने के बाद अब रोगों के एलाज के चक्र में शामिल हो गयी है। स्टेम सेल, रीजेनरेटिव मेडिसिन की एक शाखा है जिसमें शरीर से बाहर प्रॉसेस हुए सेल को ऊतक या शरीर के अंग की मरम्मत के लिए इंजेक्ट करते हैं। कुछ बीमारियों के इलाज के लिए स्टेल सेल के क्षेत्र में शोध का नतीजा बहुत अच्छा रहा है। ट्रान्सप्लांट अर्थात प्रतिरोपण के क्षेत्र में स्टेम सेल के इस्तेमाल का हैरत में डालने वाला परिणाम सामने आया है और उनमें जीन की नज़र से ऐसा बदलाव किया जा सकता है कि प्रतिरोपण के बाद ख़राब न हो। मिसाल के तौर पर दिल की मांसपेशी की कोशिका को पेश कर सकते हैं। जब भी दिल के ऊतक ख़राब होते हैं, तो उसके स्थान पर असक्रिय ऊतक आ जाते हैं। भ्रूण के स्टेम सेल दिल की मांसपेशी के सेल में बदल सकते हैं और उन्हें दिल का दौरा पड़ने जैसे रोग में कि जिसके कारण दिल की मांसपेशी ख़राब हो जाती है, इसी तरह जन्मजात विक्लांगता के उपचार में या थ्लासीमिया जैसी ख़ून की बीमारी के उपचार के लिए बोन मैरो के प्रतिरोपण में और इसी तरह बच्चों और प्रौढ़ लोगों में होने वाले कैंसर के इलाज में इस्त्माल कर सकते हैं। ईरान में यह ऑप्रेशन हीमटॉलोजी और अंकॉलोजी सेंटर में और शरीअती अस्पताल में बोन मैरो का प्रतिरोपण होता है।

स्वास्थ्य से जुड़ा एक विषय कुछ बीमारियों या दुर्घटना के कारण इंसान की त्वाचा के पूरी तरह ख़राब होने या उसमें आने वाले गंभीर बदलाव का इलाज है। कोढ़ या विटिलाइगो त्वचा से जुड़ी ऐसी बीमारियां हैं कि इनके साथ मेलानोसाइट के ज़रिए पिगमेन्ट के उत्पादन में भी रुकावट आती है। अभी तक इसके कारण का पता नहीं चल सका है। शरीर के विभिन्न भाग में सफ़ेद धब्बे पैदा होना कोढ़ की बीमार के लक्षण है। इन सफ़ेद धब्बों के बीच में विकसित होने वाले बाल भी प्रायः सफ़ेद रंग के होते हैं। दुनिया में लगभग 1 से 2 फ़ीसद लोग कोढ़ का शिकार हैं। इस बीमारी के लक्ष्ण 95 फ़ीसद लोगों में 40 साल की उम्र से पहले ज़ाहिर होते हैं। यह बीमारी सभी जातियों में मर्दों और औरतों दोनों को होती है। ऐसा देखा गया है कि उन लोगों में कोढ़ ज़्यादा होता है जो ऑटोइम्यून डिज़ीज़ से ग्रस्त होते हैं।

 

ईरान का रोयान केन्द्र उन केन्द्रों में है जहां त्वचा के पिगमेन्ट, विटिलाइगो, आंख और हड्डी से जुड़ी कुछ बीमारियों और इसी प्रकार कुछ प्रकार के कैंसर का एलाज होता है कि जिनका उपचार बहुत मुश्किल से होता है। दवाओं, रेडियो थ्रेपी और इम्यूनोथ्रेपी के ज़रिए विटिलाइगो का एलाज होता है लेकिन कुछ केस में इन शैलियों से कोई फ़ायदा नहीं पहुंचा। रोयान के स्टेम सेल से इलाज के केन्द्र में ईरानी डॉक्टरों ने विशेष शैली अब तक 1500 रोगियों का कोढ़ की बीमार के इलाज किया है। विटिलाइगो के मरीज़ के इलाज की जिस शैली की ईरानी डॉक्ट्ररों ने खोज की है उससे रोगी को बेड रेस्ट की ज़रूरत नहीं होती। शरीर के प्रभावी भाग पर स्वस्थ कोशिकाओं के इंजेक्शन लगाते हैं जिससे न तो कोई घाव होता है और न ही त्वचा पर कोई छाला पड़ता है।

ईरान का रोयान सेल थ्रेपी केन्द्र, रोयान शोध केन्द्र की एक शाखा है जहां पर स्टेम सेल के क्षेत्र में शोध की होता है। यह केन्द्र अपनी वैज्ञानिक सफलताओं व उपलब्धियों की वजह से दुनिया के 10 सबसे बड़े केन्द्रों में है। इस केन्द्र में एम एस जैसी स्नायु तंत्र और कुछ प्रकार के कैंसर के बारे में शोध चल रहा है। इस केन्द्र में अर्थ्राइटिस के रोगियों पर स्टेम सेल थ्रेपी के नतीजे दर्शाते हैं कि कार्टलिज की स्वस्थ कोशिकाओं को शरीर के प्रभावित भाग पर इंजेक्ट करके इस रोग का उपचार किया जा सकता है। ईरान में इस रोग का ख़र्च योरोप के कुछ विकसित देशों में आने वाले ख़र्च का दसवां हिस्सा है।

ईरान में एक और बड़ा उपचार केन्द्र है जिसका नाम हेलाल ईरान फ़ार्मासूटिकल ऐन्ड क्लिनिकल कॉम्पलेक्स है। यह केन्द्र 1999 में इस्लामी गणतंत्र ईरान के रेड क्रेसंट विभाग के पूंजि निवेश से क़ायम हुआ। इस केन्द्र में डेन्टिस्ट्री, न्यूरोलोजी, डर्मटॉलजी ऐन्ड लेज़र, गले, नाक और कान की क्लिनिक, सेंटर आफ़ इन्फ़र्टिलिटी, आर्थोपेडी, यूरोलोजी, गाइनकॉलोजी, क्लिनिक आफ़ इन्फ़ेक्शस डिज़ीज़ जैसे विभाग मौजूद हैं।

इसी तरह आंख के इलाज, इन्फ़र्टिलिटी, नेफ़्रोलोजी, डायलिसिज़, कार्डियोवस्कुलर, मधुमेह और मटैबलिज़्म के सुपर स्पेशलिटी क्लिनिक मौजूद हैं।

हेलाल ईरान फ़ार्मासूटिकल ऐन्ड क्लिनिकल कॉम्पलेक्स तेहरान के पूर्वी भाग में स्थित है। यह केन्द्र त्वचा से जुड़ी बीमारियों के एलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर और प्रयोगशाला से समृद्ध है। इस केन्द्र में स्टेम सेल की विशेष क्लिनिक है जहां त्वचा पर पड़ने वाली झुर्रियों का दूर किया जाता है। हेलाल ईरान फ़ार्मासूटिकल ऐन्ड क्लिनिकल कॉम्पलेक्स में मेडिकल टूरिज़्म का भी विभाग है। विदेशी मरीज़ इसकी वेबसाइट के ज़रिए ज़रूरी सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं। इस केन्द्र की वेबसाइट है, http://www.helalclinic.com

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरान के रेड क्रेसंट विभाग की प्रतिष्ठा के मद्देनज़र विदेशी मरीज़ बिना किसी चिंता के इस केन्द्र का अपने उपचार के लिए चयन कर सकते हैं। इस केन्द्र के भीतर होटल की सुविधा भी है। इसी प्रकार यह केन्द्र मरीज़ों को स्वास्थ्य बीमा और अनुवादक इत्यादि की सुविधा मुहैया करता है। इस समय इराक़, सऊदी अरब, लीबिया, आज़रबाइजान, ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और तन्ज़ानिया के मरीज़ हेलाल ईरान फ़ार्मासूटिकल ऐन्ड क्लिनिकल कॉम्पलेक्स में अपना एलाज करवा के शिफ़ा पा रहे हैं।