Jan २९, २०१८ १८:५९ Asia/Kolkata

पिछले कुछ दशकों के दौरान विश्व की अर्थव्यवस्था में कृषि को आय के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में देखा जाने लगा है। 

यही कारण है कि दुनिया के बहुत से देश अपने यहां कृषि के विकास को विशेष महत्व देते हैं।  कृषि के उत्पादों में फल भी आते हैं।  फलों की मांग लोगों में सदैव से रही है किंतु कुछ फल ऐसे हैं जिनकी मांग अन्य फलों की तुलना में बहुत अधिक है।  इन्ही फलों में से एक, सेब भी है।  सेब बहुत ही प्राचीन फल है।  संसार के बहुत से लोगों का यह मानना है कि सेब, स्वर्ग का फल है जिसे हज़रत आदम और हव्वा धरती पर लाए।  उनका यह भी मानना है कि सेब ही ऐसा फल है जो स्वर्ग से धरती पर आया है।  यही कारण है कि दुनिया के बहुत से लोग सेब के प्रति विशेष लगाव रखते हैं।

 

सेब के बारे में कहा जाता है कि 19वीं शताब्दी के मध्य तक सेब को भी आम फलों जैसा महत्व प्राप्त था लेकिन उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य के बाद से इसके बारे में लोगों की सोच में बदलाव आया।  विश्ववासियों को जैसे-जैसे सेब के महत्व और इसके उपचारिक गुणों के बारे में पता चलता गया वैसे-वैसे इसकी मांग बढ़ती गई।  वर्तमान समय में पूरे संसार में सेब की मांग बहुत तेज़ी से बढ़ रही है जिससे इसका व्यापारिक महत्व बढ़ता जा रहा है।

सेब सामान्यतः तीन रंगों का होता है।  लाल, पीला और हरा।  सेब अधिक्तर लाल रंग का मश्हूर है।  सेब ठंडे क्षेत्रों में पैदा होता है।  वैज्ञानिकों का कहना है कि संसार में 7500 प्रकार से अधिक प्रकारर के सेब पाए जाते हैं।  सेब की इन जातियों को दो भागों में बांटा जाता है।  बाग़ों में पैदा होने वाले सेब और जंगलों में उगने वाले सेब।  जो सेब जंगली कहलाते हैं उनमें से अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों या दूरस्थ क्षेत्रों में पैदा होते हैं।  इनको ज़्यादातर जानवर खाते हैं या फिर यह पेड़ से गिरकर नष्ट हो जाते हैं।  वे सेब जिनका प्रयोग हम करते हैं वे जंगली सेबों की तुलना में अधिक स्वादिष्ट एवं सुन्दर होते हैं।  इनके पेड़ थोड़े लंबे होते हैं।

उपचारिक दृष्टि से सेब बहुत ही महत्वपूर्ण फल है।  इसमें तरह-तरह के विटमिन पाए जाते हैं जिनकी मानव शरीर को आवश्यकता होती है।  अपने उपचारिक महत्व के कारण बहुत से चिकित्सक सेब को स्वास्थ्य का फल पुकारते हैं।  सेब में विटमिन ए, बी-1, बी-2, बी-3 और विटमिन सी पाए जाते हैं।  सेब के भीतर कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नेशियम, पोटैश्यिम और लौह तत्व पाए जाते हैं जिसके कारण इसे ऊर्जा का स्रोत बताया जाता है।  सेब के अदभुत लाभों के कारण उसे चमत्कारिक फल भी कहते हैं।

 

डाक्टर श्रीमती मरयम मेहराज़ी सेब के बारे में कहती हैं कि इसके भीतर पाए जाने वाले रासायनिक घटकों के कारण इसके अलग-अलग प्रकार के लाभ हैं।  वे कहती हैं कि सुबह के समय एक सेब खाने से अमाश्य को बहुत लाभ मिलता है।  सेब की बनावट के हिसाब से इसे दातों से खाने से जबड़े मज़बूत होते हैं।  सेब का खाना एक प्रकार से दातों के लिए भी लाभदायक है।  सेब में पाया जाने वाला एसिड, मुंह के भीतर के कीटाणुओं को नष्ट कर देता है।  इसके प्रयोग से मुंह की बदबू भी समाप्त हो जाती है।

डाक्टरों का कहना है कि वे लोग जो चाहते हैं कि वे चर्म रोगों से बचे रहें या वे लोग जिनकी स्किन सूखी हुई है उनको चाहिए कि वे प्रतिदिन सेब का प्रयोग करते रहें।  बहुत से लोग मांस के अधिक प्रयोग या फिर चिकना खाना खाने के कारण जोड़ों के दर्द का शिकार हो चुके हैं उनकों इन चीज़ों का इस्तेमाल कम करने के साथ ही सेब का प्रयोग आरंभ कर देना चाहिए।  सेब मनुष्य के शरीर के भीतर एसिड जमा नहीं होने देता और इसके प्रयोग से शरीर में मौजूद एसिड पेशाब के रास्ते निकल जाता है।  डाक्टरों का यह भी कहना है कि वे लोग जो दिमाग़ी काम ज़्यादा करते हैं उनको सेब का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं भूलना चाहिए।  सेब, शरीर के भीतर एकत्रित होने वाली दूषित चीज़ों को बाहर निकालने का सबसे प्रभावी कारक है।  चिंता और स्ट्रेस को दूर करने में भी सेब बहुत प्रभावी है।

ईरान में बहुत बड़े पैमान पर सेब पैदा किया जाता है।  ईरान में अति प्राचीनकाल से सेब की खेती होती आई है।  सेब की पैदावार के लिए जिस प्रकार की जलवायु और वातावरण की ज़रूरत होती है वह ईरान के अधिकांश क्षेत्रों में पाया जाता है।  यही कारण है कि ईरान के बहुत से क्षेत्रों में सेब पैदा होता है।  ईरान के पूर्वोत्तरी, पश्चिमोत्तरी, उत्तरी और दक्षिणी हर क्षेत्र में सेब पैदा होता है।  ईरान में दौ मौसमों में सेब पैदा होता है।  एक जाड़े में और दूसरा गर्मी के मौसम में।  दोनो मौसमों में पैदा होने वाले सेबों के स्थानीय नाम भी हैं।  ईरान में कुछ विदेशी जातियों के भी सेब पैदा होते हैं।

जैसाकि आपको पहले बताया था कि ईरान में बड़े पैमान पर खेब की खेती होती है।  सन 2014 के आंकड़े यह बताते हैं कि इस वर्ष ईरान में सेब का उत्पादन, विश्व में चौथे नंबर पर रहा।  सरकार की ओर से सेब के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के कारण पिछले 30 वर्षों में देश में सेब की पैदावार तीन बराबर हो चुकी है।  ईरान में तीन लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में सेब की खेती होती है।  औसतन एक हेक्टेयर में 17 टन सेब पैदा किया जाता है किंतु कुछ कुशल किसानों ने अधिक परिश्रम करके एक हेक्टेयर में इससे भी अधिक सेब की खेती की है।

ईरान के जिन प्रांतों में सेब की खेती की जाती है वे हैं- आज़रबाइजाने ग़रबी, आजरबाइजाने शरक़ी, फ़ार्स, इस्फहान, तेहरान, ख़ुरासाने रज़वी, हमदान और चहार महाल व बख़्तियारी आदि।  इन प्रांतों में सबसे अधिक सेब आज़रबाइजाने ग़रबी में पैदा होते हैं।  यहां पर प्रतिवर्ष लगभग दस लाख टन सेब पैदा होता है।  ईरान में जो सेब की खेती की जाती है उसमें से 38 प्रतिशत खेती आज़रबाइजाने ग़रबी, विशेषकर उरूमिये में होती है।  आज़रबाइजाने ग़रबी का उरूमिये क्षेत्र की जलवायु के कारण वहां पर अन्य क्षेत्रों की तुलना में फल बहुत अधिक पैदा होते हैं जिनमे सेब सर्वोपरि है।

 

ईरान के जिन क्षेत्रों में अच्छी क्वालिटी के सेब पैदा होते हैं उनमें से एक इस्फ़हान प्रांत का “सेमीरेम” क्षेत्र है।  यहां पर प्रतिवर्ष दस लाख टन से अधिक सेब पैदा होते हैं।  यहां की जलवायु सेब की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है।  सेमीरेम क्षेत्र, समुद्रतल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर है।  यहां पर पैदा होने वाला सेब पूरे देश में बहुत मश्हूर है।

तेहरान प्रांत के दमावंद क्षेत्र के लाल सेब को ईरान ही नहीं विदेश में भी ख्याति प्राप्त है।  दमावंद का सेब बहुत ही उच्च क्वालिटी का होता है।  इस सेब पर किये गए शोध के परिणाम दर्शाते हैं कि अन्य सेबों की तुलना में दमावंद के सेब की विशेषताएं बहुत अधिक हैं।  दमावंद, तेहरान प्रांत का एक छोटा सा नगर है जो दमावंद पर्वत की गोद में बसा है।  यहां के सेब को दमावंदी सेब कहा जाता है।  तेहरान प्रांत में पैदा किये जाने वाले सेबों में से एक का नाम है, गुलाबे शफीआबादी।  इसे सीबे गुलाब भी कहा जाता है।  इस सेब को सीबे गुलाब इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके भीतर से गुलाब की खुशबू आती है।  यह सेब वैसे तो आकार में छोटा होता है किंतु बहुत स्वादिष्ट और सुगंधित होता है।  ईरान के सेमनान प्रांत के शाहरूद नगर में भी छोटे आकार के सेब पैदा होते हैं जो सीबे गुलाब की भांति होते हैं किंतु इसका अंतर यह है कि शाहरूद के सेब अंदर से लाल होते हैं।  इसकी पैदावार के समय की अवधि बहु४५ कम है इसलिए यह जल्द ही ख़त्म हो जाता है।

वर्तमान काल में उद्योग के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है।  अब पहले की तरह नहीं रहा कि पैदावार के अधिक होने पर प्रयोग से बची हुई फसल बेकार हो जाए।  अब प्रयोग न होने वाली फसल को बहुत से रूपों में सुरक्षित रखा जाता है जिनकों बाद में प्रयोग किया जाता है।  सेब को उसके प्राकृतिक रूप में प्रयोग करने के अतिरिक्त उसे जैली, जैम या सुखाकर भी इस्तेमाल किया जाता है।  ईरान में पैदा होने वाला सेब जहां देशवासियों की आवश्यकता की पूर्ति करता है वहीं पर इसे बहुत से देशों में निर्यात भी किया जाता है जैसे जर्मनी, रूस, मलेशिया, संयुक्त अरब इमारात, बहरैन, ओमान, इराक़ कुवैत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, तुर्कमनिस्तान, क़िरक़ीज़िस्तान और भारत आदि।