Apr २८, २०१८ १६:३९ Asia/Kolkata

आरंभ में हम पश्चिमी संचार माध्यमों  अश्वेतों के बारे में व्यक्त किये जाने विचारों का उल्लेख केरंगे। एक अमरीकी लेखक '' क्रिस बार्कर '' कहते हैं कि पश्चिमी संचार माध्यमों में अश्वेतों या कालों को इस प्रकार दर्शाया जाता है कि यह ऐसे लोग हैं जो उचित ढंग से सोच- विचार नहीं कर सकते और वे अपने भविष्य का निर्धारण करने में अक्षम होते हैं यही कारण है कि उनका व्यक्तित्व बनाने में श्वेतों की भूमिका होती है।

अश्वेत, बाहर के लोग हैं जो गोरों के समाज के लिए गंभीर समस्या हैं। यह बात क्रिस बार्कर ने अपनी एक किताब में लिखी है जिसका शीर्षक है, '' टेलिविज़न , वैश्वीकरण और पहचान''।

डोनाल्ड बागल ने अपनी एक रचना, Toms , Coons, Mulattoes, Mammies and Bucks : An Interpretative History of Black in Films में कहते हैं कि उन्होंने हालीवुड सिनेमा में अश्वेतों के बारे में 5 विषयों को वर्गीकृत किया है। चुने हैं जो इस प्रकार हैं। अश्वेत अनुयाई, अश्वेत जोकर , आकर्षक महिला, घरेलू नौकरानी, हिंसक पुरूष।

 

हमने हालीवुड में अश्वेतों के बारे में बनने वाली जिन फ़िल्मों का उल्लेख किया है वे इस प्रकार हैं।

The Birth of a Nation- 1915- द बर्थ आफ़ अ नेशन

Uncle Tom's Cabin- 1927- अंकल टाम्स केबिन

Pinky – 1949- पिंकी

Guess Who's Coming to Dinner- 1967- गेस हूज़ कामिंग टू डिनर

American History- 1998- अमेरिकन हिस्ट्री

The Blind Side -2009- द ब्लाइंड साइड

12 years a Slave- 2013- ट्वेल्व ईयर्स अ स्लेव

The Butler- 2013- द बटलर

Fruitvale Station- 2013- फ़्रूइटवेल स्टेशन

The Hateful Eight – 2015- द हेटफ़ुल एट

इन फ़िल्म की समीक्षा, से हम अश्वेतों के बारे में विभिन्न प्रकार की बातों से अवगत हुए। यह एक वास्तविकता है कि अश्वेतों के बारे में अमरीकी सिनेमा के क्रियाकलाप, एक जैसे नहीं रहे हैं। हालीवुड ने उनके बारे में जो बातें पेश की हैं वे अमरीकी समाज के सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तनों और समय के साथ बदलते गए।

अब हम यहां पर उन दस फ़िल्मों की संक्षिप्त समीक्षा करने जा रहे हैं जिनको हमने अबतक कार्यक्रमों में पेश किया है। 1915 में बनी फ़िल्म, The Birth of a Nation- 1915- द बर्थ आफ़ अ नेशन में अधिक्तर जोकर और हिंसक प्रवृत्ति के अश्वेतों को दिखाया गया है। 1927 में बनने वाली फ़िल्म Uncle Tom's Cabin-1927- अंक्ल टाम्स केबिन में जिस अश्वेत को दिखाया गया है वह , हालांकि कुछ आक्रामक सा है किंतु कुल मिलाकर वह अनुसरण करने वाला एक व्यक्ति है। 1949 की फ़िल्म Pinky-1949- पिंकी में दोग़ली नस्ल की एक लड़की को दिखाया गया हैं जो लैंगिक और जातीय भेदभाव के मुक़ाबले में डटकर प्रतिरोध करती है । सन 1967 में बनने वाली फ़िल्म , Guess Who's Coming to Dinner -1967- गेस हूज़ कमिंग टू डिनर में जो व्यक्तित्व दिखाया गया है वह डोनाल्ड बोग्ल की ओर से पेश किये जाने वाले पांच विषयों में से किसी पर भी खरा नहीं उतरता। इस फ़िल्म में दिखाया जाने वाला अश्वेत डाक्टन शिक्षित और शारीरिक रूप से शक्तिशाली है। 1998 की फ़ील्म, American History-1998- अमेरिकन हिस्ट्री में हम नए कैरेक्टर को देखते हैं। इसमें एसे कालों को दिखाया जाता है जो समाज में उपद्रव फैलाने में लिप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त फ़िल्म में एक अश्वेत शिक्षक को भी दिखाया गया है।

सन 2009 में बनने वाली फ़िल्म , The Blind Side -2009- द ब्लाइंड साइड में अश्वेत समाज में उपद्रव फैलाने वाले युवा अश्वेतों को दिखाया जाता है हालांकि फ़िल्म में मुख्य रोल निभाने वाला अश्वेत इसके विपरीत की भूमिका में है। वह शक्तिशाली होने के साथ कृपालू भी है। वह लोगों के साथ प्रेमपूर्वक ढंग से रहता है और दूसरों की सहायता करता है। हालांकि संचार माध्यमों के कुछ समीक्षक, खेल जगत में कालों की सकारात्मक योग्यताओं की भूमिका को शंका की दृष्टि से देखते हैं। इसका कारण यह है कि कहीं पर कालों को फ़िल्मों में सफल व्यक्ति के रूप में पेश किया जाता है जबकि बहुत सी फ़िल्मों में यह दर्शाने का प्रयास किया जाता है कि मानो काले केवल खेल जगत में कामयाब रहते हैं और दूसरे क्षेत्रों में नहीं। इनमें यह दिखाया जाता है कि अश्वेत शारिरिक रूप में ठीक हैं किंतु बौद्धिक दृष्टि से सफल नहीं हैं।

सन 2013 में बनने वाली फ़िल्म , 12 Years a Slave-2013- ट्वेल्व ईयर्स अ स्लेव में एक आज्ञाकारी व्यक्ति और दोग़ले नस्ल की एक महिला को दिखाया जाता है। इस फ़िल्म का मुख्य केरेक्टर हालांकि एक अश्वेत महिला है जो स्वाधीन सोच की मालिक है। वह उन्नीसवीं शताब्दी के दूसरे अर्ध की उपज है किंतु कोई जोकर न होकर एक दक्ष कलाकार है।

2013 में ही बनने वाली एक अन्य फ़िल्म द बटलर है। इस फ़िल्म में महिलाओं की तुलना में अश्वेत पुरुषों की संख्या अधिक है। इसमें उपद्रवी और हिंसक प्रवृत्ति वाले अश्वेता के स्थान पर विनम्र स्वभाव वाले कालों को देखा जा सकता है। यह लोग अभद्र न होकर शालीन हैं। इस प्रकार के लोग संघर्ष करने वाले और न्याय प्रेमी हैं। अपनी स्वतंत्रता के लिए वे अपनी शारीरिक और वैचारिक शक्ति पर भरोसा करते हैं।

सन 2013 में ही अश्वेतों के बारे में एक अन्य फ़िल्म बनाईगई जिसका नाम था, Fruitvale Station-2013- फ़्रूडटवेल स्टेशन। हालांकि इसके मुख्य किरदार में बुरे आदमी की विशेषताएं पाई जाती हैं किंतु उसने मादक पदार्थ बेचना छोड़ दिया है। अब वह नौकरी की तलाश में है। वह सड़कों पर झगड़ों से बचता है। इस फ़िल्म में श्वेत पुलिसवालों के लिए काले लोगों की तुलना में गोरे अपराधी और हिंसक लोग अधिक महत्व रखते हैं।

सन 2015 में बनने वाली फ़िल्म , The Hateful Eigh- द हेटफ़ुल एट में इसका मुख्य कलाकार एक उपद्रवी तो है किंतु उसकी होशियारी, शारीरिक क्षमता , योग्यता और युद्ध के कौशल उसे एक हीरो बनाते हैं। इस फ़िल्म में एक आदर्श घरेलू महिला नौकर के रूप में एक अश्वेत को दिखाया गया है। हालांकि उसका रोल कम है किंतु बहुत प्रभावी है। हालीवुड की फ़िल्मों में कुछ स्थानों पर अलग-अलग काल में अश्वेतों के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन का चित्रण वास्तव में देखने योग्य है। व्यक्तिगत रूप में अशवेतों की विशेषताएं , श्वेतों के बहुत निकट हो गई हैं किंतु सामाजिक दृष्टि से उनके बीच अभी बहुत दूरी बाक़ी है। फ़िल्मों के आरंभिक काल अर्थात 19वीं शताब्दी के आरंभ में जो फ़िल्में बनाई गई उनमें अश्वेतों की छवि को किसी सीमा तक नकारात्मक ही पेश किया जाता रहा किंतु बीसवीं शताब्दी के अंत और 21वीं शताब्दी में आरंभ में हालिवुड में अशवेतों के बारे में जो फ़िल्में बनीं उनमें उनकी नकारात्म विशेषताओं को बहुत अधिक कम किया गया बल्कि कुछ सकारत्मक विशेषताओं क तप्रदर्शित किया जाने लगा। इन फ़िल्मों में अश्वेतों में कृपा , तर्क, होशियारी, योग्यता, साक्षरता और शालीनता जैसी विशेषताएं दिखाई जाने लगीं। अमरीका में African- American civil rights movement या अश्वेतों के आन्दोलन के आरंभ होने के साथ फ़िल्मों में उनके बारे में जटिलताएं सामने आने लगीं।

हालीवुड में अश्वेतों के बारे में बनने वाली फ़िल्मों के संबन्ध में की गई समीक्षा के बारे में यदि आप ध्यान दें तो पाएंगे कि हालीवुड ने अश्वेतों के बारे में आरंभ में जो नीति अपनाई थी वह समय के गुज़रने के साथ बदलती चली गई। हालीवुड में इन लोगों के बारे में नकारात्मक छवि पेश की जाती थी अब वह सकारात्मक छवि में बदलती जा रही है।

 

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