क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-657
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-657
أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ (7) إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (8) وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (9)
क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें हर प्रकार की कितनी उत्तम वस्तुएं पैदा की हैं? (26:7) निश्चय ही इस (सृष्टि) में एक (बड़ी) निशानी है, किंतु उनमें से अधिकतर इस पर ईमान लाने वाले नहीं हैं। (26:8) और निश्चय ही तुम्हारा पालनहार वही है जो अजेय और अत्यन्त दयावान है। (26:9)
وَإِذْ نَادَى رَبُّكَ مُوسَى أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ (10) قَوْمَ فِرْعَوْنَ أَلَا يَتَّقُونَ (11)
और (हे पैग़म्बर! याद कीजिए उस समय को) जब आपके पालनहार ने मूसा को पुकारा कि अत्याचारी जाति के पास जाओ। (26:10) फ़िरऔन की जाति के पास (जाओ) कि क्या वे (लोग ईश्वर से) नहीं डरते? (26:11)
قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَنْ يُكَذِّبُونِ (12) وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنْطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَى هَارُونَ (13)
मूसा ने कहा, हे मेरे पालनहार! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे। (26:12) और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं खुलती। अतः (मेरे भाई) हारून को भी पैग़म्बरी दे दे (ताकि वह मेरे सहायता कर सकें।) (26:13)