May २०, २०१८ १४:३५ Asia/Kolkata

इस्लामी गणतंत्र ईरान , चूंकि विश्व स्तर पर एक स्वाधीन देश है इस लिए हमेशा उसे वर्चस्वादी शक्तियों के प्रकोप का निशाना बनना पड़ा है और इन शक्तियों ने हमेशा यही कोशिश की है कि ईरान के विकास के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करें।

लेकिन यह एक वास्तविकता है कि ईरान का विकास  अमरीका सहित कुछ शक्तियों के साथ सहयोग पर निर्भर नहीं है और इस्लामी गणतंत्र ईरान अमरीका और अन्य शक्तियों की इच्छा के विरुद्ध विकास के मार्ग में आगे बढ़ रहा है। ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद दुश्मनों ने ईरान के विकास को धीमा करने के लिए बहुत सी साज़िशें की लेकिन इन सब साज़िशो के बावजूद  आज ईरान, परमाणु , चिकित्सा, नेनो तकनीक जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेषकर इस्लामी देशों के मध्य, एक विशेष स्थान रखता है। इस्लामी जगत में ज्ञान विज्ञान की स्थिति पर नज़र रखने वाली वेबसाइट के प्रमुख मुहम्मद जवाद देहक़ानी इस बात का वर्णन करते हुए कि इस्लामी जगत में ज्ञान की पैदावार का 22 प्रतिशत ईरानी बुद्धिजीवियों द्वारा पैदा किया जाता है, कहा कि ईरान सन 2017 में ज्ञान की पैदावार के क्षेत्र में इस्लामी देशों  में पहले नंबर पर था। 

 

परमाणु तकनीक , कैंसर के रोगियों की दवाओं तथा नेनो तकनीक  के क्षेत्र में ईरान की सफलताएं यह बताती हैं ज्ञान विज्ञान को स्वदेशी बनाने में ईरान सफल  रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में सफलताओं के बारे में ईरान के जेनेटिक संघ के प्रमुख महमूद तवल्लाई इस बात का वर्णन करते हुए जेनेटिन साइंस में ईरान असाधारण गति से आगे बढ़ रहा है, कहा कि ईरान क्षेत्र में पहले और विश्व में 14 से 17 वें नंबर है। 

 

रक्षा और मिसाइल के क्षेत्र में ईरान की सफलताएं , स्वदेशी क्षमता का असाधारण नमूना है। यह उपलब्धि इस बात का कारण बनी कि इस्लामी गणतंत्र ईरान विश्व स्तर पर एक सक्रिय देश के रूप में उभरे और वर्तमान समय में ईरान से जो शत्रुता की जा रही है उस का, ईरान के विकास से सीधा संबंध है। इसके अलावा ईरान में प्रकृतिक संसाधन और इस देश की भौगोलिक स्थिति भी , ईरान के खिलाफ शत्रुता का एक महत्वपूर्ण कारण है क्योंकि इन विशेषताओं की वजह से ईरान विकास की ओर अग्रसर एक शक्तिशाली देश बन गया है। इस संदर्भ में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने  गत नौ मई को इस्लामी क्रांति के बाद के वर्षों में अमरीकी नेताओं की दुष्टता का उल्लेख करते हुए कहा कि अमरीकी, एेसे नौकर चाहते हैं जो क्षेत्र के कुछ देशों के शासकों की तरह केवल उनके आदेशों का पालन करें लेकिन इस्लामी गणतंत्र ईरान अपनी और अपने देश की जनता के सम्मान और शक्ति का उनके सामने प्रदर्शन करता है और यह महानता और गौरव, उनके लिए सहनीय नहीं है। 

वरिष्ठ नेता  ने अमरीका की दुश्मनी की मुख्य वजह, इस्लामी क्रांति की सफलता , इ्सलामी गणतंत्र का गठन और ईरान से अमरीकियों का  निकाला जाना बताया और कहा कि वह इस व्यवस्था को खत्म और महत्वपूर्ण संसाधनों के स्वामी व रणनीतिक भौगोलिक स्थिति रखने वाले ईरान पर दोबारा वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं। 

 

जेसीपीओ एक के बारे में वर्तमान अमरीकी सरकार की नीति  , इस्लामी गणतंत्र ईरान की व्यवस्था से अमरीका की शत्रुता का अधिक स्पष्ट उदाहरण है। ट्रम्प का अमरीका, जेसीपीओए को केवल ईरान के हित में समझता था और उसे लगता था कि परमाणु समझौते से ईरान के परमाणु कार्यक्रम और मिसाइल योजना में मदद मिल रही है। जेसीपीओए के बारे में ट्रम्प सरकार  यह दर्शाेने का प्रयास कर रही है कि वह ईरान को विभिन्न क्षेत्रों में शक्तिशाली होने का अवसर नहीं देगी। अमरीका सरकार का यह प्रचार एेसी दशा में था कि ईरान, उस समय परमाणु वार्ता में शामिल हुआ जब वह परमाणु विकास के क्षेत्र में सब से अधिक महत्वपूर्ण चरण अर्थात यूरेनियम के संवर्धन को पार कर चुका था। ईरान ने स्वदेशी तकनीक की मदद से शांतिपूर्ण परमाणु तकनीक हासिल की है इस लिए विदेशी शक्तियां इस सिलिसले में कुछ नहीं कर सकतीं। आज कि जब ट्रम्प, जेसीपीओए से निकल चुके हैं ईरान के विभिन्न क्षेत्रों के विकास में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी। ईरान  असीम स्वदेशी क्षमताओं व योग्यताओं के सहारे , विकास की चोटियों पर विजय प्राप्त करता रहेगा। ट्रम्प की ओर से जेसीपीओए से निकलने की घोषणा के बाद ईरानी नेताओं और अधिकारियों ने खुल कर एेलान किया कि ट्रम्प का यह फैसला, ईरान की अर्थ व्यवस्था या अन्य किसी महत्वपूर्ण क्षेत्र को प्रभावित नहीं करेगा। 

 

अमरीका की इच्छा से हट कर पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण क्षेत्र में ईरान की स्वाधीन व सक्रिय भूमिका तथा इलाक़े के देशों में ईरान का प्रभाव, जेसीपीओए से निकलने के ट्रम्प के फैसले से संबंधित है। चिकित्सा व विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में तरक़्क़ी के साथ ही ईरान की रक्षा शक्ति और क्षेत्र में प्रभाव ने उसे इलाक़े का एक शक्तिशाली देश बना दिया  है। ईरान के खिलाफ ट्रम्प की दुश्मनी की एक वजह यह भी है और अमरीका की ओर से ईरान पर नये प्रतिबंध लगाए जाने का एक उद्देश्य, ईरान की विकास प्रक्रिया को बाधित करना भी है।  परमाणु समझौते के दौरान अमरीका ने ईरान के बारे में जो नीति अपनायी थी समझौते से निकलने के बाद उसे पूरी तरह से लागू करना आरंभ कर  दिया है। अमरीका की खज़ाना मंत्रालय ने गत दस मई को जेसीपीओए से निकलने के बाद पहली बार ईरान की तीन कंपनियों और तीन हस्तियों पर आईआजीसी से संपर्क के आरोप में प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रतिबंध से पता चल गया कि अमरीका , ईरान की रक्षा क्षमता , मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्र में उसकी प्रभावशाली भूमिका को निशाना बना रहा है। इसी संदर्भ में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता  आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने ईरान की रक्षा क्षमता, उसकी क्षेत्रीय भूमिका के बारे में अमरीकी सरकार के बहानों और फार्स की खाड़ी के शासकों के नाम ट्रम्प के हालिया खत का उल्लेख करते हुए बल दिया कि अमरीकी राष्ट्रपति एक खत में इन देशों को आदेश देते हैं कि अमुक काम करो , अमुक काम न करो, वह इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ भी एेसा ही व्यवहार करना चाहते हैं लेकिन कर नहीं पाते, क्योंकि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने, काजार व पहलवी काल में ईरानी जनता व देश  के अपमान को सम्मान, स्वाधीनता व संघर्ष में बदल दिया है और वह राष्ट्रीय हितों के मामले में पीछे नहीं हटता। 

 

ईरान के खिलाफ अमरीका की दुश्मनियों से यह पता चलता है कि, इ्स्लामी क्रांति की उपलब्धियों का , परमाणु समझौते से कोई संबंध नहीं है और ईरान के परमाणु समझौते से ट्रम्प के निकलने का मतलब यह कदापि नहीं है कि सब कुछ खत्म हो गया। ईरान ने पमराणु तनकीक के चरम पर पहुंच कर, गुट पांच धन एक के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये थे और इस अब, अमरीका के बाहर निकलने से, ईरान की परमाणु तकनीक को कोई छीन नहीं सका है क्योंकि यह तकनीक स्वदेशी है। तेहरान जब भी चाहेगा अपनी परमाणु सफलताओं से लाभ उठाना आरंभ कर देगा और इस्लामी क्रांति के चालीस वर्षीय अनुभव से यह सिद्ध हो चुका है कि जिस देश की पहचान, स्वाधीनता हो, वह किसी भी दशा में अपने विकास व प्रगति को अन्य देशों पर निर्भर नहीं समझता। यही मूल सिद्धान्त, इस्लामी गणतंत्र ईरान से अमरीका की दुश्मनी की जड़ भी है क्योंकि ईरान, अपना भविष्य और अपनी नीतियां, अमरीका सहित वर्चस्ववादी शक्तियों से संबंधित नहीं समझता।