Jul १६, २०१८ १५:११ Asia/Kolkata

सृष्टि और रचना की किताब वह किताब है जिसके हर शब्द और वाक्य में ऐसे रहस्य छिपे हैं जिसके अध्ययन से न ही मनुष्य थकता है और न ही इसमें बार बार दोहराई जाने वाली चीज़ें हैं।

यदि एक बड़ी किताब के एक ही शब्द का अध्ययन सौ बार किया जाए तो हर बार नया अर्थ और नये रहस्य सामने आते हैं। जानवरों और चौपायों की दुनिया भी जो एक बड़ी किताब का एक छोटा सा भाग है, हैरानियों और आश्चर्य से भरी हुई है। विभिन्न जातियों के जानवरों ने इस प्रकृति को एक नया ही रूप प्रदान कर दिया है।  दुनिया में तरह तरह के जानवर और उनकी प्रजातियों ने लोगों को ईश्वर के बारे में चिंतन मनन करने पर विवश कर दिया है। इनमें से हर एक के बारे में अध्ययन करने से मनुष्य सर्वसमर्थ ईश्वर की महानता और उसकी असीम शक्ति के बारे में जान जाता है। संभव नहीं है कि जो सबसे कम बुद्धि और समझदारी रखता हो जब वह ईश्वर की इन महान निशानियों को देखे तो नतमस्तक न हो जाए और उसकी असीम शक्ति का लोहा न मान ले। पवित्र क़ुरआन अपनी आयतों में इन समस्त आयामों को पूर्ण रूप से बयान करता है और जानवरों विशेषकर चौपायों को ही तर्क बनाकर अपनी बात पेश करता है। सूरए शूरा की आयत संख्या 29 में ईश्वर कहता है कि और उसकी निशानियों में से धरती और आसमान की सृष्टि और इनके अंदर चलने वाले समस्त जानदार हैं और वह जब चाहे उन सबको एकत्रित कर लेने पर सक्षम है।

महान ईश्वर सूरए यासीन की 71वीं से 73वीं आयत में जानवरों की सृष्टि के लाभ को बयान करते हुए कहता है कि क्या उन लोगों ने नहीं देखा कि हमने उनके लाभ के लिए अपनी शक्ति से चौपाए पैदा कर दिए हैं तो अब यह उनके मालिक कहे जाते हैं और फिर हमने इन जानवरों को राम कर दिया है तो कुछ से सवारी से काम लेते हैं और कुछ को खाते हैं और उनके लिए इन जानवरों में बहुत से लाभ हैं और पीने की चीज़ें भी हैं तो यह अल्लाह का आभार क्यों नहीं व्यक्त करते हैं। (AK)