Jul २९, २०१८ १३:२९ Asia/Kolkata

ईश्वर की एक अन्य निशानियों में से एक चीटी है।

ईश्वर के एक रहस्यमयी प्राणियों में से एक चीटी है। यह एक ऐसा प्राणी है जो ज़मीन के नीचे, पहाड़ों के ऊपर और दर्रों में अपना बिल बनाकर रहती हे और मनुष्य के लिए प्रयास और मेहनत का प्रतीक है किन्तु हमको इस वास्तविकता की ओर मार्गदर्शन करती है और इसके कारण मनुष्य ईश्वर की दूसरी निशानियों और सृष्टि के बारे में विचार विमर्श करता है। दुनिया ईश्वर की दूसरी नीशानियों को देखता है और वह उसकी वैभवता के सामने नतमस्तक हो जा है।

पवित्र क़ुरआन में एक पूरे सूरे का नाम नम्ल अर्थात चींटी है। इस सूरे में सृष्टि में चीट के पैदा होने के महत्व की ओर इशारा किया गया है। इस सूरे के 17वीं से 18वीं आयत में आया है कि और सुलैमान के लिए उनकी समस्त सेना जिन्नात, इंसान और पक्षी सब एकत्रित किए जाते थे तो अव्यवस्थित ढंग से खड़े कर दिए जाते थे, यहां तक कि जब वह लोग चीटियों की घाटी तक आए तो एक चीटीं ने आवाज़ दी कि चूटियों सब अपनी अपनी बिलों में घुस जाओ कि सुलैमान और उनकी सेना तुम्हें पैरों तले कुचल न दे और उन्हें इसके बारे में पता भी न चले।

सुश्री वादिया उमरानी कहती हैं कि चीटियां, ख़तरे और रक्षा के समय या जब उन्हें ख़तरे का सामना होता है या जब वह सूचनाओं का आदान प्रदान करती हैं रासायनिक संपर्क से लाभ उठाती हैं। यह वार्निंग आम तौर पर रक्षात्मक रासायनिक निशानियों के जारी होने से स्पष्ट होते हैं। चीटियों का पिछला हिस्सा, ख़तरे और ज़रूरत के समय एंटीने की भूमिका अदा करता है। उदाहरण स्वरूप आस्ट्रेलियाई चीटियों को जब ख़तरे का सामना होता है तो वह अपने पिछले भाग से छोटी छोटी बूंदें निकालती है या यूं कहिए कि वह ख़तरे का आभास करने वाले हारेमोनत निकालती है, यह दूसरी चिंटियों के लिए ख़तरे की चेतावनी या अलार्म है ताकि वह वहां से भाग सके या वह अपने परों को ख़तरे की हालत में हिलाती है कि उसे ख़तरे का सामना है।

यदि उस पदार्थ को देखें जो चीटियां ख़तरे के समय निकालती हैं तो हम देंखे कि चीटियां काम करती हैं उसी की ओर सूरए नम्ल की आयत संख्या 18 में इशारा किया गया है। वास्तव में इस आयत में नई वैज्ञानिक शैली की ओर संकेत किया गया है। यह नया चमत्कार वह चीज़ हे जिससे ईश्वर ने सूरए नम्ल की आयत संख्या 18 में बयान किया है और अब वैज्ञानिक दृष्टि से यह सिद्ध भी हो गया है कि चीटियां एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और विशेषकर जब उन्हें किसी ख़तरे का सामना होता है तो वह दूसरी चीटियों को सूचित करती हैं।

 

हज़रत अली अलैहिस्सलाम नहजुल बलाग़ा में 185वें भाषण में चींटी की सृष्टि के बारे में कहते हैं कि क्या तुमने उसकी छोटी सृष्टि को नहीं देखा, कि उसने किस प्रकार उसकी सृष्टि को मज़बूती प्रदान की और उसके आधारों को मज़बूत किया, उसको सुनने और देखने वाला यंत्र प्रदान किया, और उसकी हड्डियों और त्वचा को पूरा किया, चीटियों के इस छोटे और नाज़ुक शरीर को देखो, इतना छोटा है कि आंख से ही न दिखे, किस प्रकार यह छोटा शरीर ज़मीन पर हरकत करता है और अपनी आजीविका तलाश करता, दानों को अपने बिल में ले जाता है और उसका भंडारण करता है.... यदि तुम इस बारे में चिंतन मनन करते हो तो पता चलेगा कि चीटियों का रचियता भी वही मोटे खजूर के पेड़ों को पैदा करने वाला ही है। (AK)

 

 

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