आयतें और निशानियां- 15
यदि ईश्वर की सृष्टि में ध्यान दिया जाए तो नाना प्रकार के प्राणी दिखाई देंगे।
इनही प्राणियों में जानवर भी हैं। जानवरों में कुछ एसे हैं जो मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी हैं। इन उपयोगी जानवरों में से एक, घोड़ा भी है। यह पशु पूरे इतिहास में मानव के साथ रहा है। प्राचीन काल के युद्धों में इसका प्रयोग किया जाता था। घोड़ा सवारी के भी काम आता है। इसको बोझ ढोने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि घोड़ा आदिकाल से मानव जाति के लिए लाभकारी रहा है। सूरे आदियात में ईश्वर कहता हैः क़सम है उन घोड़ों की जो हांफते-फुंकार मारते हुए दौड़ते हैं। फिर ठोकरों से चिंगारिया निकालते हैं और बाद में सुबह-सेवेरे दुश्मनों पर हमले करते हैं।
यह बहुत महत्वपूर्ण बात है कि ईश्वर ने घोड़े की क़सम खाई है। इसका एक कारण यह है कि घोड़े में एसी बहुत सी विशेषताएं पाई जाती हैं जो दूसरे जानवरों में नहीं पाई जातीं। युद्ध के दौरान घोड़ों का प्रयोग लड़ाके किया करते थे। और युद्धों में यह युद्ध सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थाल ले जाने में सहायता करते हैं।
ईश्वर क़ुरआन में कहता है कि और घोड़े और खच्चर और गधे भी पैदा किए, ताकि तुम उनपर सवार हो और शोभा का कारण भी। और वह उसे भी पैदा करता है, जिसे तुम नहीं जानते। इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम कहते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) फ़रमाते हैं कि लोगों को घुड़सवारी करनी चाहिए। इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम, घुड़सवारी पसंद करते थे।
मनुष्य शताब्दियों से घोड़ों को पालता आया है। कहा जाता है कि बहुत पहले घोड़ों को पालने का चलन नहीं था किंतु पिछले पांच हज़ार सालों से घोड़ों के पालने का काम किया जा रहा है। आदिकाल का मनुष्य केवल घोड़े का मांस ही खाया करता था किंतु अध्ययन से पता चलता है कि मनुष्य ने 3000 वर्ष ईसापूर्व से घोड़ों का पालन आरंभ किया। इसका मुख्य कारण यह है समय बीतने के साथ ही मनुष्य को घोड़ों फाएदे पता चले जिसके कारण उसने इसे पालने का काम शुरू कर दिया। बाद में युद्धों तथा बोझा ढोने में घोड़े प्रयोग किये जाने लगे। वर्तमान समय में मशीनीकरण के कारण घोड़ों का महत्व कम हो चुका है किंतु अब भी विश्व के बहुत से हिस्सों में इनसे काम लिया जाता है।