क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-684
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-684
وَإِنَّكَ لَتُلَقَّى الْقُرْآَنَ مِنْ لَدُنْ حَكِيمٍ عَلِيمٍ (6)
और (हे पैग़म्बर!) निश्चय ही आप यह क़ुरआन एक बड़े तत्वदर्शी व जानकार (ईश्वर) की ओर से प्राप्त कर रहे हैं। (27:6)
إِذْ قَالَ مُوسَى لِأَهْلِهِ إِنِّي آَنَسْتُ نَارًا سَآَتِيكُمْ مِنْهَا بِخَبَرٍ أَوْ آَتِيكُمْ بِشِهَابٍ قَبَسٍ لَعَلَّكُمْ تَصْطَلُونَ (7) فَلَمَّا جَاءَهَا نُودِيَ أَنْ بُورِكَ مَنْ فِي النَّارِ وَمَنْ حَوْلَهَا وَسُبْحَانَ اللَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ (8) يَا مُوسَى إِنَّهُ أَنَا اللَّهُ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ (9)
(हे पैग़म्बर!) याद कीजिए उस समय को जब मूसा ने अपने घर वालों से कहाः "मैंने (दूर से) एक आग देखी है, शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास उसकी कोई ख़बर लेकर आता हूँ या तुम्हारे पास कोई दहकता अंगारा लाता हूँ ताकि तुम (उससे) अपने आपको गर्म कर सको।" (27:7) फिर जैसे ही वे उसके पास पहुँचे तो उन्हें पुकारा गयाः "पवित्र है वह जो इस आग में है और जो इसके आस-पास है और हर बुराई से दूर है ईश्वर जो सारे संसार का पालनहार (27:8) हे मूसा! निश्चय ही मैं ही अल्लाह हूँ, अजेय और तत्वदर्शी! (27:9)
وَأَلْقِ عَصَاكَ فَلَمَّا رَآَهَا تَهْتَزُّ كَأَنَّهَا جَانٌّ وَلَّى مُدْبِرًا وَلَمْ يُعَقِّبْ يَا مُوسَى لَا تَخَفْ إِنِّي لَا يَخَافُ لَدَيَّ الْمُرْسَلُونَ (10) إِلَّا مَنْ ظَلَمَ ثُمَّ بَدَّلَ حُسْنًا بَعْدَ سُوءٍ فَإِنِّي غَفُورٌ رَحِيمٌ (11)
और (हे मूसा) अपनी लाठी को ज़मीन पर डाल दो। (उन्होंने ऐसा ही किया) फिर जब उसे देखा कि वह बल खा रहा है जैसे वह कोई साँप हो तो वह पीठ फेर कर भागे और पीछे मुड़कर न देखा। (हमने उनसे कहा) हे मूसा! डरो मत कि निस्संदेह मेरे पास पैग़म्बर डरा नहीं करते (27:10) सिवाय उसके जो अत्याचार करे, फिर बुराई के पश्चात उसे भलाई से बदल दे, तो निश्चय ही मैं बड़ा क्षमाशील और अत्यन्त दयावान हूँ (27:11)