क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-692
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-692
وَمَكَرُوا مَكْرًا وَمَكَرْنَا مَكْرًا وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ (50) فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ مَكْرِهِمْ أَنَّا دَمَّرْنَاهُمْ وَقَوْمَهُمْ أَجْمَعِينَ (51) فَتِلْكَ بُيُوتُهُمْ خَاوِيَةً بِمَا ظَلَمُوا إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً لِقَوْمٍ يَعْلَمُونَ (52) وَأَنْجَيْنَا الَّذِينَ آَمَنُوا وَكَانُوا يَتَّقُونَ (53)
उन्होंने (सालेह की हत्या के लिए) एक चाल चली और हमने भी (उनकी चाल को विफल बनाने के लिए) एक युक्ति अपनाई और उन्हें ख़बर तक न हुई। (27:50) तो देखिए कि उनकी चाल का कैसा परिणाम हुआ? हमने उन्हें और उनकी जाति, सबको विनष्ट कर दिया। (27:51) तो ये उनके घर हैं जो उनके अत्याचार के कारण उजड़े पड़े हैं। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए एक बड़ी निशानी है जो जानकार हैं। (27:52) और हमने उन लोगों को बचा लिया जो ईमान लाए और (ईश्वर का) डर रखते थे। (27:53)
وَلُوطًا إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَتَأْتُونَ الْفَاحِشَةَ وَأَنْتُمْ تُبْصِرُونَ (54) أَئِنَّكُمْ لَتَأْتُونَ الرِّجَالَ شَهْوَةً مِنْ دُونِ النِّسَاءِ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ تَجْهَلُونَ (55)
और (हे पैग़म्बर! याद कीजिए उस समय को) जब लूत ने अपनी जाति के लोगों से कहा कि क्या तुम एक दूसरे के सामने आँखों से देखते हुए यह अश्लील कर्म करते हो? (जबकि तुम इसकी बुराई से अवगत हो।) (27:54) क्या तुम स्त्रियों को छोड़कर अपनी वासन की पूर्ति के लिए पुरुषों के पास जाते हो? बल्कि बात यह है कि तुम बड़े ही अज्ञानी लोग हो। (27:55)
فَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهِ إِلَّا أَنْ قَالُوا أَخْرِجُوا آَلَ لُوطٍ مِنْ قَرْيَتِكُمْ إِنَّهُمْ أُنَاسٌ يَتَطَهَّرُونَ (56)
परन्तु उनकी जाति के लोगों का उत्तर इसके अतिरिक्त कुछ न था कि उन्होंने कहा, लूत के घर वालों को अपनी बस्ती से निकाल बाहर करो कि ये ऐसे लोग हैं जो पवित्रता की खोज में रहते हैं। (27:56)