Oct ०३, २०१८ १५:३६ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-695

 

أَمَّنْ يَبْدَأُ الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيدُهُ وَمَنْ يَرْزُقُكُمْ مِنَ السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ أَءِلَهٌ مَعَ اللَّهِ قُلْ هَاتُوا بُرْهَانَكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ (64)

 

(जिन्हें वे ईश्वर का समकक्ष ठहराते हैं वे बेहतर हैं) या वह जिसने सृष्टि का आरम्भ किया है, फिर उसकी प्रलय में पुनरावृत्ति भी करता है और जो तुम्हें आकाश और धरती से आजीविका देता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और ? पूज्य है? (हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि अगर तुम सच्चे हो तो अपना तर्क ले आओ। (27:64)

 

 

قُلْ لَا يَعْلَمُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ الْغَيْبَ إِلَّا اللَّهُ وَمَا يَشْعُرُونَ أَيَّانَ يُبْعَثُونَ (65) بَلِ ادَّارَكَ عِلْمُهُمْ فِي الْآَخِرَةِ بَلْ هُمْ فِي شَكٍّ مِنْهَا بَلْ هُمْ مِنْهَا عَمُونَ (66)

 

(हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि आकाशों और धरती में जो भी गैब अर्थात छिपा हुआ है, ईश्वर के सिवा किसी को भी उस का ज्ञान नहीं है और न उन्हें यह पता है कि वे कब उठाए जाएँगे। (27:65) बल्कि प्रलय के बारे में उनका ज्ञान समाप्त हो गया है, बल्कि ये उसकी ओर से कुछ संदेह में है, बल्कि (ये) उसे (समझने में अक्षम व) अंधे हैं। (27:66)

 

 

وَقَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا أَئِذَا كُنَّا تُرَابًا وَآَبَاؤُنَا أَئِنَّا لَمُخْرَجُونَ (67) لَقَدْ وُعِدْنَا هَذَا نَحْنُ وَآَبَاؤُنَا مِنْ قَبْلُ إِنْ هَذَا إِلَّا أَسَاطِيرُ الْأَوَّلِينَ (68) قُلْ سِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَانْظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُجْرِمِينَ (69)

 

और काफ़िरों ने कहाः क्या जब हम और हमारे बाप-दादा (मर कर) मिट्टी हो जाएँगे तो क्या वास्तव में हम (क़ब्र से जीवित करके) निकाले जाएँगे? (27:67) वस्तुतः इससे पहले भी इस (प्रकार) का वादा हमसे और हमारे बाप-दादा से किया जा चुका है। यह तो बस पिछले लोगो की कहानियोँ के अतिरिक्त कुछ नहीं है। (27:68) (हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि धरती में घूमो-फिरो और देखो कि अपराधियों का कैसा परिणाम था? (27:69)

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