Oct १६, २०१८ १४:४७ Asia/Kolkata

ख़ार्क द्वीप लंबे समय से पर्यटकों के ध्यान का केन्द्र रहा है।

यह दृष्टि इसी तरह एशिया और भूमध्य सागर के आसपास के क्षेत्रों के बीच लेन – देन का कन्द्र रहा है। यह दृष्टि विभिन्न आस्याआ व मतों के बीच आदान प्रदान का भी स्थान रहा है। आज हम ईरान के इस प्राचीन द्वीप की सैर करेंगे। ख़ार्क द्वीप को ख़ार्ग भी लिखा जाता है। यह द्वीप फ़ार्स खाड़ी में गुनावा द्वीप तट से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह द्वीप बूशहर प्रांत की तहसील समझा जाता है। ईरान के समकालीन लेखक जलाल आले अहमद ने इस द्वीप को दुर्रे यतीम ख़लीजे फ़ार्स अर्थात फ़ार्स खाड़ी का अनाथ मोती का नाम दिया है और उन्होंने इस नाम से एक किताब लिखी जिसमें उन्होंने ख़ार्क द्वीप की अपनी यात्रा का विवरण दिया है।

 

यह द्वीप बूशहर के पश्चिमोत्तर में 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस द्वीप की लंबाई लगभग आठ किलोमीटर और चौड़ाई चार से पांच किलोमीटर है। इस द्वीप में मूंगे की चट्टानें हैं। इस द्वीप में कई तेल के प्रतिष्ठान हैं और इस द्वीप के गहरे तट नौकाओं के लंगर डालने के लिए बेहतरीन स्थान समझे जाते हैं। ख़ार्क द्वीप बूशहर प्रांत का ही भाग है और इसकी आबादी 20 हज़ार से अधिक लोगों पर आधारित है। इसमें रहने वाले अधिकतर पलायनकर्ता हैं जो नेश्नल तेल कंपनी प्रतिष्ठान के लगाए जाने के बाद इस द्वीप में रहने लगे।

यह द्वीप इस प्रांत के प्राचीनतम क्षेत्रों में है और इसमें विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक और प्राचीन स्थल मौजूद हैं। स्थानीय लोग द्वीप और शहर को ख़ार्ग के नाम से पुकराते हैं किन्तु लिखित सूत्रों में ख़ार्क शब्द का प्रयोग किया गया है। मध्य युगीन शताब्दियों की ऐतिहासिक और भौगोलिक धरोहरों में भी ख़ार्क शब्द आया है और यूरोपीय मानचित्रों और कहानियों व यात्रा वृतांतों में भी ख़ार्क और ख़ार्ग दोनों ही शब्दों का

इस द्वीप की जलवायु आर्द्र होती है और हल्की हल्की बारिश भी होती रहती है। इस द्वीप में गर्मी गर्मी के मौसम के आख़िरी दिनों में शुरु होती है कि इस प्रकार से गर्मी का मौसम लगभग आठ महीने तक चलता है। इस द्वीप के सबसे ऊंचे स्थान का नाम दीदबान है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 87 मीटर है। इस स्थान पर पुराने समय से ही एक छोटा वॉच टॉवर है। द्वीप के उत्तरी भाग में तख़्त नामक एक पहाड़ है जबकि दक्षिणी भाग में गर्दन अश्तर नामक पहाड़ है।

 

ख़ार्क द्वीप फ़ार्स की खाड़ी का सबसे शुद्ध और अच्छा क्षेत्र है और भूवेत्ताओं का कहना है कि यह क्षेत्र 14 हज़ार वर्ष पहले अस्तित्व आया। ख़ार्क द्वीप के निर्माण को निर्माण और इंजीनियरिंग की दृष्टि से दो गुटों में विभाजित किया जा सकता है। इस द्वीप का पारंपरिक निर्माण स्थानीय लोगों ने किया और इस को इस द्वीप के पूर्वोत्तरी भाग में देखा जा सकता है। इस भाग में शहरी बनावट देखी जा सकती है जिसमें एक दूसरे में मिली हुई छोटी छोटी गलियां देखी जा सकती है। यहां पर एकमंज़िला इमारतें हैं जिनमें छोटे छोटे प्रांगड़ लेते हैं। अलबत्ता हालिया वर्षो में इस द्वीप में कई मंज़िला इमारतें बनी हें। द्वीप के आसपास के क्षेत्रों में तेल की कंपनियों ने इंजीनियरिंग के आधार पर कई प्रतिष्ठान और इमारतें बनाई हैं। द्वीप के स्थानीय लोग मुसलमान है और इनका संबंध शीया और सुन्नी दोनों मतों से है जो बहुत सद्भावना के साथ एक दूसरे के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

 

इस द्वीप में विश्व तेल निर्यात के लिए एक जेटी बनाई गयी है। ईरान पर थोपे गये इराक़ युद्ध के दौरान इस द्वीप से 90 प्रतिशत तेल यहीं से निर्यात होता था और इसको रोकने के लिए इराक़ी वायु सेना ने इस द्वीप पर 2800 हवाई हमले किए। इस द्वीप में Iranian Oil Terminals Company, National Iranian Tanker Company, तेल पदार्थ निर्यात, Iranian Offshore Oil Company, पेट्रोकेमिल कंपनी, हवाई अड्डा, अस्पताल, विश्वविद्यालय सहित कई प्रतिष्ठान यहां पर मौजूद हैं।

 

ख़ार्क द्वीप में प्राचीन काल के पुरालेख या शिलालेख हैं जिन पर प्राचीन पार्सी व कीलाक्षरों में लिखा है जो फ़ार्स की खाड़ी के नाम के बारे में एक अन्य प्रमाण है।  इस पुरालेख की लंबाई और चौड़ाई लगभग एक मीटर है और यह मूंगे के पत्थरों पर लिख है। यह पुरालेख शिलालेख 2400 वर्ष से अधिक पुराना है। यह पुरालेख पांच लाइनों पर आधारित है जिसमें फ़ार्सी भाषा का प्रयोग किया गया है। इस पुरालेख पर लिखी बात का अनुवाद यह है कि यह धरती सूखी और बिना पानी के थी और ख़ुशी और प्रसन्नता को मैं लाया।

 

यह द्वीप मूंगों की चट्टानों जीवाश्म और बालू के कणों में मिल चुके अन्य समुद्री जानवरों और जलचरों से बना है और इस द्वीप की केवल कोमल तह जिसकी मोटाई लगभग बीस सेंटीमीटर है, अधिक कठोर है।  निचली सतह की नर्म बनावट है जिसके कारण ख़ार्क द्वीप के आसपास के क्षेत्र में पानी और हवा के धर्षण के कारण द्वीप की सतह समतल न होकर उबड़ खाबड़ हो गयी है।

ख़ार्क द्वीप, फ़ार्स की खाड़ी के उन गिने चुने द्वीप में है जिसका पानी मीठा है। ख़ार्क द्वीप का मीठा पानी पूरे इतिहास के दौरान प्राकृतिक तालाबों, दसियों पानी के कुओं, छोटी नहरों के अतिरिक्त द्वीप के प्राकृतिक तालाबों और छोटी बांधों तक पहुंचाया जाता है। ख़ार्क द्वीप  में हर स्थान पर पेयजल देखते जा सकते हैं जिन्हें छोटे और बड़े माध्यमों और हस्तनिर्मित नहरों व साधनों से एक स्थान से दूसरे स्थानों तक पहुंचाया जाता है। इसी प्रकार द्वीप में दूसरे कुएं भी मौजूद हैं कि ख़ार्क द्वीप के दूसरे स्थान के रहने वाले विशेषकर दक्षिणी क्षेत्र के लोग भी लाभ उठाते हैं और उसके किनारे अंगूर की बेलें लगाते हैं। यह लोग बिना सिंचाई के और कुओं की गहराई की नमी से लाभ उठाते हुए इनमें से हर एक बेल पर प्रतिवर्ष कई सौ किलो अंगूर फलते हैं।

 

ख़ार्क द्वीप में हर स्थान पर अंजीर, बरगद और गूलर के वृक्षों को देखा जा सकता है जो अपनी प्राकृतिक विशेषताओं के कारण स्वयं बढ़ता रहता है। यह वृक्ष बहुत घने और बड़े होते हैं और इन वृक्षों को द्वीप में हर स्थान पर देखा जा सकता है। इन वृक्षों की लटें और जड़ें ज़मीन से बाहर झांकती हुई दिखाई देती हैं बल्कि कभी कभी इनकी लटें, अपने ही वृक्षों में लिपटी रहती हैं। यह जड़ें, पेड़ की आवश्यकता के पानी और खाद्य पदार्थ को पेड़ के बजाए हवा से पूरा करती हैं। यही कारण है कि ज़मीन के बारे में स्थानीय लोगों में मनगढ़त चीज़ें अस्तित्व में नहीं आ पायी है और पानी, हवा और समुद्र के बारे में उनके बीच अधिक मनगढंत बातें प्रचलित हो गयीं। इस द्वीप में बेरी के पेड़ भी बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं।

 

ख़ार्क द्वीप में बड़ी संख्या में जंगली जानवर भी पाए जाते हैं जैसे हिरन की एक दुर्लेभ प्रजति और बहुत ज़हरीले सांप भी देखे जा सकते हैं। इन सांपों की लंबाई एक से डेढ़ मीटर तक होती है। सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में पलायनकर्ता पक्षी ख़ार्क द्वीप में सर्दियों का मौसम गुज़ारते हैं।

इस द्वीप में प्राचीन काल से ही विशेषकर इस्लाम के पहले और इस्लाम धर्म के काल से बहुत सी तिहासिक धरोहरें मौजूद हैं जिनमें से एक ग्रेव टेम्पल पालमीरान है। ख़ार्क द्वीप के पहाड़ी क्षेत्रों के कुछ भाग में बहुत सी क़ब्रे बनी हुई हैं जिनकी गहराई और इन क़ब्रों की गोलाई के कारण, यह ज़रतुश्तियों की क़ब्रें लगती हैं। दूसरी अन्य क़ब्रों में छोटे दरवाज़े बने हुए हैं जिनपर क्रास या सलीब का निशान बना हुआ है और इनसे पता चलता है कि ईसाई लोग अपने मुर्दों को यहीं दफ़्न लिए हैं।

 

ख़ार्क द्वीप में मौजूद ऐतिहासिक धरहरों में से एक द्वीप के पहाड़ी क्षेत्र पर दो बड़े पत्थरीले तख़्ते हैं जो क्रास या सलीब की शक्ल में है। पूर्वी मामलों के फ़्रांसीसी विशेषज्ञ रोमन ग्रीसमैन का मानना है कि यह क़ब्रे पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व की क़ब्रों का नमूना हैं। ख़ार्क द्वीप के रहने वाले इन धरोहरों को बहनों का नाम देते हैं और उनका मनना है कि यह दोनों पत्थर दो बहनें थीं जो अजनबियों से दूर रहने के कारण पहाड़ की चोटी पर चली गयी थीं और ईश्वर से दुआ की कि उन्हें पत्थर बना दे तो ईश्वर ने उन्हें पत्थर बना दिया। (AK)

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