Nov ०४, २०१८ १६:५६ Asia/Kolkata

फ़ार्स खाड़ी के ईरानी द्वीप श्रंखला में हम इन द्वीपों की सुन्दरता और आकर्षण के बारे में बात करते आ रहे हैं।

हम आपको बता चुके हैं कि यहां पर बहुत से प्राकृतिक आकर्षणों को देखा जा सकता है।  पिछले कार्यक्रमों में हम ईरान के बूशहर प्रांत में स्थित कुछ द्वीपों का उल्लेख कर चुके हैं जिनमें से कुछ छोटे हैं और कुछ बड़े हैं।  आज के कार्यक्रम में हम इसी प्रांत के कुछ अन्य द्वीपों से आपको परिचित कराने जा रहे हैं।

बूशहर प्रांत में स्थित द्वीपों में से एक "ख़ारकू" द्वीप भी है जो तुल्नात्मक रूप में छोटा है।  ख़ारकू द्वीप की लंबाई 8 किलोमीटर और चौड़ाई लगभग 400 मीटर है।  यह द्वीप ख़ार्क द्वीप से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  ईरान के तट से इसकी दूरी 30 किलोमीटर है।  ख़ारकू द्वीप पर एक जेट्टी भी मौजूद है जिसका संबन्ध ईरान पर इराक़ द्वारा थोपे गए युद्ध के काल से है।  उस समय इसको गोदाम के रूप में प्रयोग किया जाता था।  वर्तमान समय में यह स्थान पक्षियों की परवरिश के लिए बहुत ही उपयुक्त स्थल है।  एक समय में ख़ारकू द्वीप, ब्रिटिश सैनिकों का शरणस्थल था जहां से वे ख़ार्क द्वीप पर नियंत्रण करने के लिए प्रयास करते थे।  इससे पहले मीर "मुहन्ना बंदर रीगी" हालैण्ड वासियों पर ख़ार्क द्वीप पर हमले के लिए अपने सैनिकों को एकत्रित करते थे।

 

ख़ारकू द्वीप पर मुख्य रूप में जो वृक्ष पाए जाते हैं उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं जैसे केनार, कहूर, अंजीरे मआबिद और अंजीरे बंगाल आदि।  इसके अतिरिक्त ख़ारकू द्वीप पर कई प्रकार की वनस्पतियां भी पाई जाती हैं।  इनमे से कुछ एसी वनस्पतियां भी हैं जो औषधीय गुणों की स्वामी हैं।

ख़ारकू द्वीप पर पाया जाना वाला प्रमुख पशु हिरन है।  कहते हैं कि डेढ सौ वर्ष पहले से यहां पर हिरन पाए जाते हैं।  हालांकि यहां पर शिकार और सूखे जैसे कुछ कारकों के बावजूद हिरनों की संख्या यहां पर कम नहीं हुई है।  ख़ार्क और ख़ारकू द्वीपों की इकोलौजिकल परिस्थिति के कारण यहां पर मूंगे पाए जाते हैं और बहुत से जलचरों को भी यहां देखा जा सकता है।  विभिन्न जातियों के बहुत से पक्षी यहां पर अंडे देने आते हैं।  ख़ारकू द्वीप पर डेलफिन और समुद्री कछुए जैसे प्राणियों को देखा जा सकता है जो इसके तटीय क्षेत्रों पर जीवन गुज़ारते हैं।  यहां के तट रेत और मोरंग के हैं।  यहां पर आने वाले पर्यटक, इस स्थान पर पहुंचकर निकट से प्रकृति का आनंद लेते हैं।  ख़ारकू द्वीप समतल है।  यहां पर किसी भी प्रकार का टीला नहीं है।  इस द्वीप के सबसे ऊंचे क्षेत्र की ऊंचाई 8 मीटर है जो किसी सीमा तक ढलुआ है।

 

"अहमद फ़रामर्ज़" अपनी किताब "जज़ीरे ख़ार्क" में लिखते हैं कि ख़ारकू द्वीप पर कोई टीला या कोई चट्टान आदि नहीं है।  वे लिखते हैं कि इसके समतल होने के कारण इसकी विशेषता यह है कि इसपर किसी भी ओर से पहुंचा जा सकता है।  ख़ारकू द्वीप के तटीय क्षेत्रों पर पानी बहुत गहराई में नहीं है एसे में यहां पर छोटी-छोटी नाव के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है।  इस द्वीप पर पहुंचने से पहले यह बात समझ लेनी चाहिए कि द्वीप निर्जन है जहां पर जीवन व्यतीत करने का कोई साधन मौजूद नहीं है।  पर्यावरण तथा भांति-भांति के प्राकृतिक दृश्यों के कारण ईरान के पर्यावरण संगठन ने ख़ारकू द्वीप को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में पंजीकृत किया है।  क्योंकि ख़ारकू द्वीप निर्जन और प्राकृतिक संपदाओं से संपन्न है इसलिए यहां पर तरह-तरह के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों को देखा जा सकता है।

 

बूशहर प्रांत में कई द्वीपों पर अद्वितीय प्रकार के पशु-पक्षी तथा वनस्पतियां पाई जाती हैं।  इस प्रांत में पशु-पक्षियों के बहुत से प्राकृतिक वास स्थल हैं जो संरक्षित क्षेत्रों के नाम से जाने जाते हैं।  उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं नाईबंद नदी का राष्ट्रीय पार्क, दीर-नख़ीलू नदी का राष्ट्रीय पार्क, ख़ार्क का वाइल लाइफ शेल्टर, हिल्ले व मुंद नामक संरक्षित क्षेत्र और कूहे नमक तथा ख़ारकू की प्राकृतिक धरोहरें आदि।  यह द्वीप सफेद रंग वाली समुद्री अबाबील द्वारा अंडे-बच्चे देने का प्रिय स्थल है।

फ़ार्स की खाड़ी में स्थित निर्जन द्वीपों में से "उम्मे सीला" या ख़ान नामक द्वीप भी है।  इसका क्षेत्रफल लगभग 4 वर्ग किलोमीटर है।  यह तट से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  इस द्वीप की उत्पत्ति तलछट से हुई है।  हांलाकि यहां पर सीप भी पाए जाते हैं।  ख़ान नामक द्वीप पूर्ण रूप से समतल है।  जिस समय ज्वार-भाटा आता है उस समय इस द्वीप का अधिकांश भाग पानी में डूब जाता है।  बूशहर प्रांत के कुछ अन्य द्वीपों की भी भांति उम्मे सील या ख़ान द्वीप भी निर्जन है।  इसके तट पर जो रेत पाई जाती है वह समद्री कछुओं के अंडे देने का उपयुक्त स्थल है।  इसके अतिरिक्त कई प्रकार के पक्षी यहां पर बसेरा करते हैं और अंडे बच्चे देते हैं।  इस द्वीप के केन्द्रीय क्षेत्र में खारे पानी के पौधे और वनस्पतियां मौजूद हैं जिनकी ऊंचाई 80 सेंटीमीटर तक है।

 

बूशहर प्रांत में एक अन्य द्वीप भी है जिसके कई नाम हैं, "उम्मुल करम" उम्मुल गरम" या गुर्म।  यह भी निर्जन एवं ग़ैर आबाद द्वीप है।  स्थानीय लोग इसे गुर्म के नाम से पुकारते हैं।  इस द्वीप के तट पर "मैंग्रोव" के पेड़ पाए जाते हैं जिसके कारण यहां के निवासी इसे गुरम के नाम से जानते हैं।

 

यह छोटा सा द्वीप बूशहर बंदरगाह से 140 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित है।  क्षेत्र के मछुआरे इसे मछली पकड़ने के केन्द्र के रूप में देखते हैं।  यह अर्धधनुष के आकार का है।  इसका एक छोर दक्षिणी दिशा में है जो रेतीला है और रेत में सीप भी पाई जाती है।  अर्धधनुष के आकार वाला यह द्वीप दो किलोमीटर लंबा और 200 मीटर चौड़ा है।

 

यह द्वीप समुद्र की सतह से एक या दो मीटर ऊंचा है।  यहां की जलवायु गर्म और आर्द्र है।  इस द्वीप के तट पर 25 हेक्टर का मैंग्रोव के पेड़ों का जंगल है।  इस द्वीप पर कई प्रकार के पक्षी बसेरा करते हैं जो ठंड के मौसम में यहां पर जीवन गुज़ारने आते हैं।  वर्तमान समय में उम्मुल करम नामक द्वीप, फ़ार्स की खाड़ी में कछुओं की सबसे उपयुक्त शरणस्थली है।  इस प्रकार से इस द्वीप को पर्यावरण की दृष्टि से विशेष महत्व प्राप्त है।

 

 

 

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