Dec १०, २०१८ १७:३१ Asia/Kolkata

परिवार की प्रवृत्ति इस प्रकार की है कि उसमें भावनाएं सबसे आगे होती हैं, जैसा कि एक विशेषज्ञ का कहना है कि घराने की प्रकृति तानाशाही आदेशों व क़ानूनों से अधिक मेल नहीं खातीं।

परिवार में अनुशासन की स्थापना में क़ानून का बहुत कम प्रभाव होता है जबकि घराने के दरवाज़े हमेशा सुंदर मानवीय व नैतिक मान्यताओं के लिए हमेशा खुले रहते हैं। एक बाग़ की तरह जो सूरज के प्रकाश और गर्मी का प्यासा होता है और न केवल उससे व खिलता है बल्कि उसका जीवन और उसका बाक़ी रहना उसके प्रकाश पर निर्भर होता है।

इस इकाई में प्रेम न केवल यह कि परिवार के आधारों में से एक है बल्कि परिवार को बाक़ी व संतुलित रखने में भी इसकी बेजोड़ भूमिका है यहां तक कि कहा जा सकता है कि प्रेम, परिवार की आत्मा है या यह कि परिवार वास्तव में प्रेम का घर होता है। परिवार की इकाई परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचने के लिए मन मस्तिष्क की परवरिश का काम करती है। इस आधार पर घर का मुख्य आधार प्रेम व स्नेह होना चाहिए। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के पौत्र इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम कहते हैं कि ईश्वर के निकट तुममें सबसे सम्मानीय वह है जो अपने जीवन साथियों का अधिक सम्मान करे।

 

हमने बताया कि ईरानी परिवारों में विवाह से पहले और मंगनी के बाद लड़का-लड़की एक दूसरे को अधिक समझने के लिए मिलते हैं। लड़के के घर वालों की ओर से लड़की को अंगूठी दी जाती है ताकि दूसरों को यह समझ में आ जाए कि इस लड़की की मंगनी हो चुकी है। इसके लिए जो कार्यक्रम आयोजित होता है उसमें लड़की के परिवार वालों की ओर से लड़के को विवाह के लिए सकारात्मक उत्तर दिया जाता है। कुछ आधुनिक घरानों में इसी के बाद से दोनों एक दूसरे के मंगेतर बन जाते हैं। इन परिवारों में मंगनी और शादी के बीच की अवधि लम्बी कर दी जाती है ताकि लड़का-लड़की एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ लें और एक दूसरे की आदतों व शिष्टाचार से परिचित हो जाएं। इसके बाद अगर वे शादी के लिए तैयारी होते हैं तो अपने अपने परिवार को सूचित कर देते हैं ताकि विवाह की तैयार की जाए।

हर ईरानी लड़के लड़की के जीवन में मंगनी के बाद और विवाह से पहले का समय, जीवन के सबसे अच्छे कालों में से एक होता है। यह समय, एक नई ज़िंदगी के गठन और शुरुआत का चरण होता है। इस अर्थ में कि लड़का लड़की इसमें एक दूसरे को सही ढंग से पहचानने की कोशिश करते हैं और इस बात का फ़ैसला करते हैं कि क्या वे जीवन के आगे के रास्ते में एक दूसरे के साथ रह सकते हैं?

ईरान में मंगनी के बाद की परंपराओं से आपको अवगत कराने के लिए पहले इस बात की ओर इशारा करना ज़रूरी है कि ईरान के नागरिक क़ानूनों में मंगनी के बाद के चरण के सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है जिनके अनुसार मंगनी के समय निकाह के विशेष वाक्य पढ़े जाते हैं और यह एक समझौते की तरह है जिसमें दोनों पक्षों में से प्रत्येक को समझौता समाप्त करने और विवाह न करने के फ़ैसले का अधिकार हासिल है। अलबत्ता अगर दोनों में से जो भी बिना ठोस कारण के मंगनी तोड़ दे तो दूसरा व्यक्ति उससे मंगनी के कार्यक्रम के लिए किए गए सामान्य ख़र्च की मांग कर सकता है। इसी तरह मंगनी टूटने की स्थिति में लड़का-लड़की और उनके माता-पिता मंगनी के बाद एक दूसरे को दिए गए उपहारों को वापस ले सकते हैं।

 

हर ईरानी परिवार में मंगनी के बाद का समय दोनों पक्षों की मर्ज़ी के अनुसार होता है। मंगनी का समारोह एक छोटा सा पारिवारिक समारोह भी हो सकता है जिसमें निकटवर्ती लोग और मित्र शामिल हों या फिर यह बड़ी संख्या में मेहमानों की सम्मिलिति से एक भव्य समारोह भी हो सकता है। अलबत्ता ईरान में आम परंपरा यही है कि मंगनी की रस्म, चाहे उसमें निकाह पढ़ा जाए या न पढ़ा जाए, एक अंगूठी, नमाज़ की चादर, फूल, मिठाई और सोने के एक या कई आभूषणों के साथ होती है और इसमें दोनों परिवारों के बड़े और प्रतिष्ठित लोग उपस्थित होते हैं।

ईरान में मंगनी की रस्म के बाद दोनों परिवारों के बीच आना-जाना अधिक हो जाता है ताकि इस तरह वे एक दूसरे की संस्कृति से अधिक परिचित हो सकें और साथ ही लड़का-लड़की भी एक दूसरे को बेहतर ढंग से जान सकें। ईरानी संस्कृति में प्रायः लड़के के घर वालों की अपेक्षा होती है कि उनकी बहू पूरी तरह से उनके घर की सदस्य बन जाए लेकिन कुछ परिवारों विशेष कर लड़की के घर वालों का मानना है कि जब तक पूरे संस्कारों के साथ शादी न हो जाए और लड़की की बिदाई न हो जाए तब तक लड़का उसके लिए एक अजनबी की तरह है और इसी लिए वे दोनों के बीच कुछ सीमाएं रखते हैं। जैसे यह कि वे परिवार वालों के सामने ही एक दूसरे से मिलें और बिना किसी को साथ लिए बाहर न जाएं इत्यादि।

मंगनी के बाद के काल की एक अच्छाई यह है कि लड़का-लड़की जीवन के तथ्यों और एक-दूसरे व परिवारों की आदतों से परिचित हो जाते हैं। यद्यपि विवाह और बिदाई से पहले औपचारिक संबंधों के चलते बहुत से बातें प्रकट नहीं होतीं लेकिन फिर भी संबंधों के व्यापक होने और एक दूसरे से अधिक मिलने जुलने से बहुत से अस्पष्ट आयाम भी खुल कर सामने आ जाते हैं। ईरान के विभिन्न शहरों में मंगनी की विशेष रस्में होती हैं और इस काल का नाम भी भिन्न भिन्न है। सीस्तान व बलोचिस्तान में इसे वस्तारी, अक़्द कुनान और अह्द ब दान कहते हैं। ईलाम में इसे शीरीनी ख़ुरान कहा जाता है। बलोचिस्तान में मंगनी के दौरान जो ईद आती है उसमें लड़का, लड़की के घर वालों को एक भेड़ और कुछ पैसे ईदी के रूप में देता है। ईलाम में मंगनी के बाद, लड़की का पूरा ख़र्चा लड़के के ज़िम्मे होता है और वह हर महीने खाने-पीने का सामान और कपड़े इत्यादि लड़के के पिता को देता है।

 

क़ुरआने मजीद ने पति-पत्नी के संबंधों के बारे में एक स्थान पर बड़े सुंदर बिंदु की ओर संकेत किया है जिससे दोनों के मज़बूत जुड़ाव का पता चलता है। सूरए बक़रह की आयत क्रमांक 187 में कहा गया है। महिलाएं, तुम पुरुषों के लिए वस्त्र हैं और तुम उनके लिए। क़ुरआने मजीद के व्याख्याकारों ने इस आयत की व्याख्या करते हुए लिखा है कि यह आयत पति-पत्नी पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती है। जिस तरह से वस्त्र, शरीर को ढांकता है, उसी तरह आवश्यक है कि पति-पत्नी एक दूसरे की कमियों को छिपाएं। इस स्थिति में अच्छाइयां सामने आएंगी और दोनों एक दूसरे के सम्मान की रक्षा करेंगे।

इंसान और वस्त्र का संबंध बड़ा निकटवर्ती होता है और दोनों के बीच किसी तीसरी चीज़ या व्यक्ति की गुंजाइश नहीं होती, इसी तरह आवश्यक है कि पति और पत्नी एक दूसरे के सबसे निकटवर्ती हों और कोई भी उन दोनों के बीच आने की कल्पना न कर सके। वस्त्र विभिन्न मौसमों में अलग अलग होता है और ठीक इसी तरह पति पत्नी के बीच लचक होनी चाहिए कि वे दरिद्रता व संपन्नता और सुख-दुख जैसी विभिन्न परिस्थितियों में एक दूसरे को समझें और उसी के अनुसार अपने व्यवहार को बदलें।

समाज या कार्य स्थल पर हर व्यक्ति का लिबास उसके घर के वस्त्र से भिन्न होता है, इसी तरह घर के भीतर व बाहर पति-पत्नी का व्यवहार अलग होना चाहिए। वस्त्र मनुष्य की शोभा होता है और उसे गंदगी और सर्दी-गर्मी से बचाता है। इसी तरह पति और पत्नी को एक दूसरे के लिए शोभा होना चाहिए और दूसरों के सामने एक दूसरे के रहस्यों को प्रकट नहीं करना चाहिए। क़ुरआने मजीद की इस आयत के अनुसार पति के प्रति पत्नी के जो दायित्व हैं, वैसे ही दायित्व पति के भी हैं जिनका पालन करना उसके लिए आवश्यक है। अंतिम बिंदु यह कि हर व्यक्ति अपने वस्त्र का चयन स्वयं करता है अतः पति के चयन में पत्नी और पत्नी के चयन में पति स्वतंत्र है और इस्लाम ने विवाह में किसी भी प्कार के दबाव को मान्यता नहीं दी है। (HN)