घर परिवार- 13
मनुष्य को अपने परिवार के सदस्यों के साथ व्यवहार में तीन विशेषताओं को अवश्य दृष्टिगत रखना चाहिए।
अच्छा व्यवहार, क्षमता के अनुसार सहायता करना और संयम के साथ ग़ैरत या आत्मसम्मान। यह विशेषताएं यदि व्यक्ति के भीतर न भी हों तब भी उसे इन्हें अपने अंदर पैदा करने के प्रयास करने चाहिए।
परिवार किसी भी समाज का आधार होता है। यह समाज की सबसे छोटी किंतु बहुत ही महत्वपूर्ण इकाई है। अच्छा परिवार समाज के लिए वरदान स्वरूप होता है जबकि बुरा परिवार समाज के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं होता। अच्छे परिवार के भीतर अनुशासन और स्वतंत्रता पाई जाती है। अच्छा परिवार अपने सदस्य का विकास करते हुए उसके भीतर बहुत सी सकारात्मक भावनाओं को पैदा करता है जैसे प्रेम, स्नेह, सहानुभूति और आदर-सम्मान आदि। बच्चों के भीतर संस्कार, परिवार से ही आते हैं। परिवार में रहकर बच्चा नैतिकता और अनुशासन सीखता है। परिवार अपने सदस्यों का समाजीकरण करते हुए उनका सामाजिक नियंत्रण करता है। धर्म और धार्मिक बातें भी व्यक्ति पहले अपने परिवार से ही सीखता है। धर्म हमें नैतिकता सिखाता है। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम परिवारों का सम्मान करें और इस सामाजिक इकाई की सुरक्षा के लिए सदैव ही प्रयत्नशील रहें।
मानव जीवन में विवाह को बहुत महत्व प्राप्त रहा है। संसार के अधिकांश समाजों में विवाह को आवश्यक सामाजिक परंपरा माना गया है। अन्य समाजों की तुलना में ईरान में विवाह को विशेष महत्व प्राप्त है। यहां पर विवाह का आयोजन बहुत ही सम्मानजनक ढंग से किया जाता है। विवाह का आयोजन परिवारों के लिए खुशी की भूमिका प्रशस्त करता है। विवाह के माध्यम से परिवारों को टूटने से बचाया जाता है। ईरान में विवाह से संबन्धित कई आयोजन हैं जैसे निकाह का पढ़ा जाना, लोगों की उपस्थिति, वलीमा या इसी प्रकार के कई अन्य आयोजन।

विवाह या शादी वास्तव में संयुक्त जीवन व्यतीत करने के उद्देश्य से महिला और पुरूष के बीच एक संयुक्त समझौता है जिसे हर समाज में विशेष नियमों के अनुरूप किया जाता है। ईरान में सामान्यतः निकाह, दुल्हन के घर पर होता है। निकाह के लिए ख़ुत्बा लोगों की उपस्थिति में पढ़ा जाता है। निकाह के समय मेहर को पहले निर्धारित किया जाता है। जब लड़की विवाह के लिए सहमति दे देती है तो उसके बाद निकाह पढ़ा जाता है। मेहर को सिदाक़ भी कहते हैं। सिदाक़ का अर्थ होता है सच्चाई। इससे पता चलता है कि मेहर की रक़म को निर्धारित होना चाहिए। यहां पर उल्लेखनीय बिंदु यह है कि मेहर का अर्थ यह नहीं है कि किसी इन्सान के मूल्य को निर्धारित किया जाए या फिर महिला के महत्व को कम किया जाए बल्कि यह पति की ओर से अपनी पत्नी के लिए एक उपहार होता है। मेहर कई रूपों में हो सकता है। सोने के रूप में, सोने के सिक्कों के रूप में या चल व अचल संपत्ति के रूप में। कुल मिलाकर मेहर को शुभ माना जाता है। ईरान में मेहर के रूप में जो परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है वह है क़ुरआन की एक प्रति, मेहर में रूप में देना। यह एसी परंपरा है जो आज भी प्रचलित है। वास्तविकता यह है कि ईरानी समाज में मेहर के साथ पवित्र क़ुरआन की एक प्रति देने को वैवाहिक जीवन का शुभारंभ माना जाता है। निकाह के ख़ुत्बे में पहले विवाह के संबन्ध में पैग़म्बरे इस्लाम (स) के किसी कथन को पेश किया जाता है फिर इसके बाद ख़ुत्बा पढ़ा जाता है। निकाह के बाद वर और वधु को उपहार दिये जाते हैं।
आइए अब वैवाहिक जीवन में सच्चाई के प्रभाव पर चर्चा करते हैं। शादी या विवाह का एक महत्वपूर्ण मानदंड पति और पत्नी दोनों का एक दूसरे के साथ सच्चाई से पेश आना है। सच्चा आदमी कभी किसी को धोखा नहीं देता। वह अपने किसी निजी लाभ के लिए दूसरों को परेशान नहीं करता। लोग उसपर भरोसा करते हैं। सौभाग्यशाली जीवन का मानदंड सच्चे जीवनसाथी का होना है। सच्चाई, के दो महत्वपूर्ण काम हैं। पहला यह कि इससे पति और पत्नी के बीच समन्वय पैदा होता है। दूसरी बात यह कि यह विशेषता पति और पत्नी दोनों को सौभाग्यशाली बनाती है। इसका एक लाभ यह भी है कि अगर पति और पत्नी के बीच किसी बारे में सहमति न बने तो इसके माध्यम से काम किया जा सकता है।
जब पति और पत्नी के बीच सच्चाई के आधार पर संबन्ध होते हैं तो वे अपनी बातों को बहुत ही सरलता और आसानी से एक-दूसरे से कह सकते हैं। इस प्रकार से वे बहुत सी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। अक्सर यह देखा गया है कि बहुत से पति और पत्नी अपनी गंभीर बातों को एक-दूसरे के सामने नहीं रखते और उन्हें आपस में छिपाते हैं जिसके कारण उनके बीच एक प्रकार की दूरी बनी रहती है। पति और पत्नी को एक दूसरे के प्रति वफादार होना चाहिए। इस प्रकार के लोग अपने जीवन में चिंन्तित नहीं होते बल्कि वे निश्चिंत होकर जीवन व्यतीत करते हैं।
वैवाहिक जीवन में सच्चाई के दो मुख्य लाभ है। इसका पहला बड़ा फायदा तो यह है कि पति और पत्नी दोनों के बीच मित्रता बनी रहती है। दूसरे यह कि एसे में दोनों के लिए सफलता के मार्ग प्रशस्त रहते हैं। जीवन में सच्चाई के कारण यदि किसी बारे में पति और पत्नी के बीच समान विचार नहीं पाए जाते तब भी वे उस मामले को हल कर लेते हैं।
यह वास्तविकता है कि जब पति तथा पत्नी परस्पर सच्चाई से पेश आते हैं तो फिर हर प्रकार की दैनिक समस्याओं को बड़ी ही सरलता के साथ निश्चिंत होकर साथ हल कर लिया जाता है। अकसर यह देखा जाता है कि पति और पत्नी दोनो ही अपनी वास्तविक इच्छाओं को एक-दूसरे से छिपाने के प्रयास करते हैं जिसके परिणाम स्वरूप उनके बीच मनमुटाव और दूरियां पैदा हो जाती हैं।
हालांकि वैवाहिक जीवन में पति और पत्नी का एक-दूसरे के साथ पूरी तरह से सच्चाई से पेश आना कोई सरल बात नहीं है बल्कि बहुत मुश्किल है किंतु इस विशेषता को प्राप्त किया जा सकता है। जब आप अपनी परिस्थितियों से अपने जीवन साथी को अवगत करवाते रहेंगे तो आपका साथी भी अपनी कोई बात आपसे नहीं छिपाएगा। एक दूसरे के प्रति सच्चाई होने की स्थिति में दोनो का एक-दूसरे पर भरोसा बढ़ेगा। पैग़म्बरे इस्लाम (स) का एक कथन है कि जब भी अपने भाई के भीतर यह तीन विशेषताएं देखो तो फिर उससे आशा बांध सकते हो। अमानतदारी, सच्चाई और हया।
सच्चाई की शर्त यह है कि तुम अपनी भावनाओं को इस प्रकार से व्यक्त करो कि उनसे एसा लगे कि तुमने ज़िम्मेदारियों को स्वीकार कर लिया है। इस बात पर अवश्य धयान रखो कि दिखावटी सच्चाई और वास्तविक सच्चाई में बहुत अंतर पाया जाता है। एसी बातों को कहने से हमेशा बचो जो तुम्हारे जीवनसाथी पर नकारात्मक प्रभाव डालती हों।