अपनी देखभाल- 5
हम ने बताया था कि अपनी देख भाल के लिए एक ज़रूरी चीज़, अपनी भावनाओं पर कंट्रोल है क्योंकि दुनिया में हर इन्सान की अपनी एक फितरत होती है , एक स्वभाव होता है जिसकी वजह से एक ही घटना पर विभिन्न लोगों की अलग अलग प्रतिक्रिया होती है। कोई चीज़ किसी को दुखी करती है तो दूसरे को क्रोधित कर देती है।
कोई अपनी भावनाएं छुपा लेता है तो कोई चीख चीख कर उसे बयान करता है।
बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि अपनी अनचाही भावनाओं पर कैसे अंकुश लगाएं। अपनी भावनाओं पर कंट्रोल के सिलसिले में बहुत से लोग परेशान हो जाते हैं। इस प्रकार की भावनाओं में फंसने वाला व्यक्ति यह समझ ही नहीं पाता कि अब उसे क्या करना चाहिए और कैसे करना चाहिए? इस तरह के अवसरों पर अधिकांश लोगों की अक्ल काम करना बंद कर देती है और इसी लिए वह स्वंय को नुक़सान भी पहुंचा लेते हैं इसी लिए जब भावनाएं नियंत्रण से बाहर होने लगें तो इन्सान को सचेत हो जाना चाहिए।
सब से अधिक प्रचलित नकारात्मक भावना, क्रोध है और अफसोस की बात है कि यही भावना इतनी शक्तिशाली होती है कि अधिकांश लोग उसके सामने बेबस हो जाते हैं और इस भावना पर नियंत्रण न कर पाने की वजह से बहुत सी मुसीबतों में फंस जाते हैं और फिर , हत्या जैसे अपराध में लिप्त होकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर लेते हैं। कोई भी व्यक्ति जब उसे क्रोध आए तो तत्काल रूप से उसके लक्षण पर ध्यान देकर उस पर नियंत्रण कर सकता है। इसके लिए सब से पहले क्रोधिक व्यक्ति को यह फैसला करना चाहिए कि वह अपना क्रोध किस प्रकार से निकालना चाहता है अर्थात जिस बात पर उसे गुस्सा आया है उस पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होना चाहिए। क्रोध में मनुष्य को यह ज़रूर सोचना चाहिए कि उसकी प्रतिक्रिया कैसी है ?
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने कहा है कि क्रोध पागल पन की एक क़िस्म है अब अगर क्रोध में ग्रस्त होने वाला व्यक्ति अपने ऊपर नियंत्रण करने में सफल हो जाता है तो उसका पागल पन सही हो जाता है अन्यथा व निश्चित रूप से पागल की तरह हो जाता है। इसी लिए यह कहा जाता है कि गुस्से में कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए क्योंकि गुस्सा जितना अधिक होता है, बुद्धि उतनी मंद होती जाती है और इसी लिए गुस्से में किये गये फैसले बहुत ही कम अवसरों में सही और सटीक साबित होते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि तत्काल रूप से गुस्से को कंट्रोल में रखने का सब से प्रभावशाली तरीका यह है कि आप जिस दशा में हों उसे बदल दें उदाहरण स्वरूप अगर आप खड़े हैं तो बैठ जाएं और बैठे हैं तो खड़े हो जाएं या लेट जाएं , कुछ गहरी सांसे लें और यह सोचें कि गुस्से में आप कैसे लग रहे हैं? यह क्रोध पर नियंत्रण का दूसरा तरीका है। यह सोच कर आप स्वंय को आपा खोने से रोक सकते हैं इस के लिए बस आप यह सोच लें कि गुस्से में जब आप लाल पीले हो रहे हैं तो आप का चेहरा कैसा है?
क्रोध ही की तरह एक अन्य भावना है जो काफी आलोचनीय है। इस भावना का नाम घृणा है। यह एेसी बुरी भावना है जिस पर मनुष्य यदि चाहे तो कंट्रोल कर सकता है। हमारे सामाजिक जीवन में हमारे कार्यस्थल में और हमारे घर में भी एेसे लोग होते हैं जिन्हें हम पसन्द नहीं करते यह एक वास्तविकता है न पसन्द करने की हज़ार वजहें हो सकती हैं जो सही और गलत दोनों हो सकती हैं, यह सब महत्वपूर्ण नहीं है , महत्वपूर्ण हमारा वह व्यवहार है जो हम उस व्यक्ति के साथ करते हैं जिससे हमें नफरत होगी हो, हमें अपने निकट घृणित व्यक्ति से अपने व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए और यह बात भी मन की गहराई से समझना और स्वीकार करना चाहिए कि यह ज़रूरी नहीं है कि जिससे हम नफरत करते हैं वह बुरा ही हो।यह भी ज़रूरी नहीं है कि जो हमें पसन्द न हो , उसमें बुराई ही हो बल्कि यह भी हो सकता है कि कुछ चीज़ें एेसी हों जो हमें पसन्द न हों, कुछ संस्कार , कुछ स्वभाव , हमारे मध्य दूरी का कारण बने हों इस लिए हम केवल अपनी पसंद नापसंद के आधार पर ही किसी के अच्छा या बुरा होने का फैसला नहीं कर सकते। इसके साथ ही हमें यह बात भी ध्यान में रखना चाहिए कि हम भी सब को पसंद नहीं हैं और हमारे भीतर भी एेसी बुराइयां अवश्य होंगी जो बहुत से लोगों को हम से दूर करती हैं यदि हमारे मन में यह विश्वास पैदा हो जाए कि हम में भी कमियां हैं और कुछ लोग हमें भी नापंसद करते होंगे तो निश्चित रूप से हम जिसे नापंसद करते हैं उसके साथ हमारा व्यवहार प्रभावित होगा। यदि इस सच्चाई को हम समझ लें तो न केवल यह कि हमारा सामाजिक जीवन आसान हो जाएगा बल्कि इस भावना के साथ हमारे लिए ऐसे लोगों को साथ काम करना भी सरल हो जाएगा जिन्हें हम पसंद नहीं करते।
यदि हम समाज में जीवन व्यतीत कर रहे हैं कि एेसे लोगों से हमारा सामाना होता ही रहेगा जिनका स्वभाव हमें पसंद नहीं या जिन को हम अपना विरोधी समझते हैं या एेसे लोग जो बात बात पर कमियां निकालते हैं। इस प्रकार के सभी लोगों से हमारा सामना होगा इस लिए हमें शांत रहना चाहिए, बार बार की आलोचना से न बौखलाना चाहिए और न ही कुछ लोगों की ओर से मज़ाक उड़ाए जाने पर हमें दांत किचकिचाना चाहिए। यह सही हे कि कभी कभी हमारे भीतर कुछ लोगों के लिए सम्मान व प्रेम की भावना शून्य हो जाती है लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि हम यह भावना तत्काल रूप से प्रकट की कर दें। तो घृणा इस तरह से मनुष्य को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा सकती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं हे कि प्रेम सिर्फ लाभ ही पहुंचाता है। जी नहीं! कभी कभी प्रेम भी घृणा के जितना ही घातक होता है। इस लिए संतुलन ज़रूरी है। स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राबर्ट एल, साॅटन कहते हैं कि आप जिन के साथ रह रहे हैं उन्हें हद से ज़्यादा चाहना और उनसे असीम प्रेम , उनसे कम प्रेम करने से अधिक समस्या का कारण बन सकता है आप को एेसे लोगों को ज़रूरत है जिन की विचार धारा जिनकी सोच आप से अलग हो औज्ञ जो आप के साथ बहस करने से डरते न हों । यह वही लोग हैं जो आप को बहुत से मूर्खतापूर्ण कामों से रोक देते हैं, शायद यह आसान न हो लेकिन एेसे लोगों को सहन करता चाहिए। यह वह लोग होते हैं जो अधिकांश समय में हमारे चैलेंज करते हें, भड़काते हैं जिसकी वजह से हम नये नये विचार खोचने पर विवश हो जाते हैं इस तरह से वास्तव में वह हमें कामयाबी की ओर ढकेलते हें, हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि हम सम्पूर्ण नहीं हैं और हमारे आस पास ऐसे लोग भी होंगे जो हमें बर्दाश्त कर रहे होंगे । धार्मिक सिद्धान्तों में भी सलाह मशविरा को महत्व दिया गया है और इमाम जाफरे सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया हे कि मेरे निकट मेरा सब से प्रिय मित्र वह है जो मुझे मेरी कमियां बताता हो।
आखिरी बात यह है कि लोगों के साथ हमारा जो व्यवहार होगा, लोग भी हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे, अर्थात लोगों का हमारे साथ व्यवहार प्रायः , हमारे व्यवहार की प्रतिक्रिया ही होता है। अब यदि हम अपमान जनक रवैया रखेंगे तो निश्चित रूप से दूसरे भी हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे और हमारा अपमान करेंगे इस लिए अपने लिए भी, हमारी यह ज़िम्मेदारी है कि हम शांत व विनम्र रहें इस लिए अपनी देखभाल की पूरी प्रक्रिया में मन को शातं रखना बेहद ज़रूरी है और इसी तरह अपने स्वभाव पर ध्यान देना और अन्य लोगों का सम्मान वह चीज़ें हें जिनके बिना आप अपनी देखभाल नहीं कर सकते।