Dec ३०, २०१८ १४:२६ Asia/Kolkata

विवाह पूरी दुनिया में प्रचलित एक प्राचीन पंरपरा है और हर देश में इसकी विशेष रीति रिवाज होती है।

ईरान में भी विवाह की अत्यधिक सुन्दर रीति रिवाज हैं । चूंकि विवाह एक स्वस्थ समाज की आधार शिला है इस लिए ईरान में शादी को विशेष महत्व प्राप्त है। ईरानी संस्कृति में विवाह के बाद, महिला या पुरुष, सामाजिक व्यक्तित्व का स्वामी हो जाता है और शादी के साथ ही व्यक्ति में ज़िम्मेदारी का अत्यधिक महत्वपूर्ण आभास पैदा हो जाता है जिसकी वजह से उसकी बहुत सी निहित योग्यताएं भी निखर कर सामने आ जाती हैं इस तरह से वह समाज में  भारी ज़िम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार भी हो जाता है लेकिन जीवन के इस चरण का सफर, कई रीति रिवाजों के साथ किया जाता है किंतु ईरान में इस परंपरा में संयुक्त बिन्दु सादगी है जो वैभवशाली होता है और इसी तरह से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक यह रीति रिवाज  चलते रहे हैं।

 

ईरान में विवाह का कार्यक्रम अलग अलग नगरों में अलग अलग रीति रिवाज से आयोजित किया जाता है वैसे अधिकांश क्षेत्रों में  विवाह वाले दिन अर्थात वह दिन जब दुल्हा दुल्हन को अपने साथ घर ले जाता है , दुल्हा दुल्हन, श्रंगार के लिए जाते हैं । दुल्हा, सजने के बाद फूलों से सजी कार के साथ दुल्हन के ब्यूटी पार्लर जाता है जहां  वह प्रायः सफेद जोड़े में उसका इंतेज़ार कर रही होती है। दुल्हा , दुल्हन को अपनी कार में बिठाता है और दोनों आयोजन स्थल तक जाते हैं जहां दोनों के रिश्तेदार उनका स्वागत करते हैं और फिर लगभग आधी रात तक जश्न जारी रहता है। कार्यक्रम खत्म होने  के बाद दुल्हन अपना गुलदस्ता लोगों पर उछालती है और कहा यह जाता है कि जिस लड़की के हाथ पहला फूल आाता है अगली शादी उसी की होती है। कार्यक्रम के बाद सारे रिश्तेदार, दुल्हा और दुल्हन को उनके घर तक पहुंचाते हैं और घर पहुंचने के बाद दुल्हन का बाप अपनी बेटी का हाथ दुल्हे के हाथ में देता है और सब लोग उनके लिए सफल जीवन की कामना करते हैं।

 

अधिकांश ईरानी परिवारों में लगभग सभी रिश्तेदारों को बुलाया जाता है और सब मिल जुल कर नये जोड़े की मदद करते हैं और उसकी खुशियों में शामिल होते हैं। शायद अतीत में मेहमानों के आदर सत्कार के लिए साधन आज के इतने नहीं थे किंतु घर आए मेहमानों का आदर सत्कार हमेशा से ईरानी संस्कृति में महत्वपूर्ण रहा हैै ।विवाह में मेहमानों को बेहतरीन खाना खिलाना हमेशा से ईरानी संस्कृति का हिस्सा रहा है अलबत्त समय के साथ ही साथ खानों में बदलाव आया है।

 

 

ईरान में शादी की एक रिवाज तीन दिनों तक खाना खिलाना भी है जो ईरान के बहुत से क्षेत्रों में प्रचिलत है। इसका चलन ईरान के चहार महाल व बख्तियारी प्रान्त में अधिक मिलता है और वहां तो कुछ गांवों में यह क्रम सात दिनों तक चलता है और पूरा विवाह ही संपन्न होने में सात दिन लग जाते हैं। दुल्हे के निकट संबंधी और पड़ोसी, शादी से सात दिन पहले ही दुल्हे के घर पहुंच जाते हैं और हरेक कोई न कोई काम अपने ज़िम्मे ले लेता है और सब लोग दुल्हे के घरवालों की मदद करते हैं। गांवों में होने वाली शादियों में खुद गांव वाले ही खाना पकाते हैं जिसके लिए घर से बाहर मिट्टी के बड़े बड़े चूल्हे बनाए जाते हैं और फिर लोग जंगल से सूखी लकड़ियां ले आते हैं जिन्हें जला कर खाना पकाया जाता है। दुल्हन के घर का भी यही हाल रहता है और रिश्तेदार और पड़ोसी मिल कर शादी वाले दिन से पहले ही अधिकांश काम निपटा लेते हैं।

 

इन सात दिनों में कभी कभी साधारण वाद्य यत्रों का भी प्रयोग किया जाता है। गांव के लोग , एक ढोल से ही अच्छा खासा संगीत बना लेते हें और एक दूसरे की कमर में हाथ डाल कर पारंपरिक नृत्य करते हैं। ईरान में यह शैली बहुत पुरानी है और यह नृत्य हमेशा सामूहिक रूप से किया जाता है। ईरान में प्राचीन काल से ही विवाह के कार्यक्रम अत्याधिक रोचक होते हैं और इसमें महिला व पुरुष खुशी खुशी हिस्सा लेते हैं।

 

ईरान के शीराज़ नगर में  विवाह खास तौर पर उल्लेखनीय है। शीराज़ में विवाह के समय दुल्हे और दुल्हन के घरों को बहुत अच्छी तरह से सजाया जाता है। घर के आंगन  में हौज़ के दीयों से सजाया जाता है और कालीन बिछा कर हंसी मजा़क किया जाता है और जब सारे रिश्ते दार एकत्रित हो जाते हैं तो सब मिल कर दुल्हन के घर जाते हैं। दुल्हन के घर पहुंचते हैं महिलाओं अपने मुंह से एक खास तरह की आवाज़ निकालती हैं जिसका उत्तर घराती महिलाएं भी उसी आवाज़ में देती हैं। स्वागत व सत्कार के बाद बारातियों की ओर से कोई बुज़ुर्ग , दुल्हन के माता पिता से , दुल्हन को अपने साथ ले जाने की अनुमति लेता है, दुल्हन का पिता अनुमति देता है और दुल्हन अपने माता पिता का हाथ चूमती है और विदा चाहती है। घर वाले उसके सिर  के ऊपर कुरआन उठाते हैं ‍और उसे विदा करते हैं। जब दुल्हन , अपनी ससुराल जाती है और दुल्हे के घर में प्रवेश करती है तो उसके सामने एक थाल लायी जाती है जिसमें कुरआने मजीद, एक प्याला पानी और हरा पत्ता या गुलदस्ता रखा होता है, दुल्हन कुरआन को चूमती है और उसके नीचे से गुज़रती है और दूसरे उस पर चाकलेट वगैरह से भरी थाली उलट देते हैं, उसके बाद हरे पत्ता और पानी से भरा बर्तन उसके सामने रखते हैं जिसमें वह पैर रख कर आगे बढ़ती है इस तरह से वह अपना नया जीवन आरंभ करती है।

 

वास्तव में यदि देखा जाए तो नौकरी करने वाले दंपतियों की जीवन शैली, पारंपरिक दंपति से अलग होती है  क्योंकि पारंपारिक दंपति में नौकरी और कमाई करना , केवल पति की ही ज़िम्मेदारी होती है। नौकरी करने वाले दंपति को कई सुविधाएं प्राप्त होती हैं इसके साथ ही कुछ समस्याएं भी होती हैं । इस प्रकार के दंपति में घर दोनों की कमाई से चलता है और इस प्रकार के घरों में महिलाएं केवल घर चलाने वाली गृहिणी नहीं समझी जातीं  लेकिन चूंकि दोनों की नौकरी करते हैं इस लिए कभी कभी दोनों में विभिन्न चीज़ों के लिए प्रतिस्पर्धा का माहौल भी बन जाता है और हरेक को लगने लगता है कि वह अधिक महत्वपूर्ण काम कर रहा है। अलबत्ता कभी कभी दोनों का नौकरी करना घर के लिए अच्छा होता है और अधिक खुशहाली के साथ जीवन व्यतीत होता है।

 

यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि इस्लाम में महिलाओं पर कमाने या पति की आर्थिक रूप से मदद करने की ज़िम्मेदारी नहीं है लेकिन अगर कोई पत्नी एेसा करना चाहती है तो उससे इस की अनुमति है लेकिन इसके साथ ही उसे यह भी बताया गया है कि वह यह काम इस प्रकार से करे कि उसके पति के आत्मसम्मान को ठेस न लगे अगर कोई महिला एसा करने में सफल रहती है तो उस समय उसकी नौकरी उस घर और परिवार के लिए अच्छी हो सकती है।

 

इस प्रकार के परिवारों में समस्या की दशा में एक दूसरे से खुल कर बात करना संभवतः सब से अधिक प्रभावशाली व व्यहारिक मार्ग है। मनोवैज्ञानिक दंपतियों को यह सुझाव देते हैं कि वह एक समय निर्धारित करें और एक साथ बैठकर बात चीत करें और इस बात चीत के दौरान स्वंय को दूसरे पक्ष के विचार सुनने के लिए तैयार रखें। एक कप चाय पीते पीते वह बहुत से मुद्दों पर बात कर सकते हैं और बहुत सी समस्याओं का निवारण हो सकता है लेकिन इस बात पर ध्यान रखने की ज़रूरत है कि इस प्रकार की बैठक, तनाव मुक्त वातावरण में होना चाहिए यदि किसी भी वजह से, बैंक लोन, किस्त या घर  के किराए की व्यवस्था न होने की वजह से यदि परिवार में तनाव है तो एेसे माहौल में इस  प्रकार की बैठक के प्रतिकूल परिणाम निकल सकते हैं। एक तनाव मुक्त माहौल में पति पत्नी एक दूसरे को आसानी से बता सकते हैं कि दूसरे पक्ष का कौन सा व्यवहार उन्हें दुख या परेशानी देता है। इस तरह से बहुत सी समस्याओं का निवारण हो जाता है। (Q.A.)

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