अपनी देखभाल- 8
मानसिक देख भाल अत्याधिक महत्वपूर्ण है और यह भी निश्चित है कि मनुष्य स्वंय ही अपना ख़याल रख सकता है मतलब वह जितनी अच्छी तरह से अपना ख़याल रखता है उतना कोई और नहीं रख सकता।
आप ने भी यह वाक्य शायद सुना हो जो यह कहा जाता है कि आप खुद रहें। इस वाक्य के अलग अलग अर्थ निकाले जाते हैं जैसे इसका एक अर्थ यह होता है कि आप जैसे हैं वैसे ही रहें और दूसरों की तरह नज़र आने की कोशिश न करें लेकिन बहुत से लोग जब आप से यह कहते हैं कि आप अपनी तरह रहें तो इससे उनका आशय यह भी हो सकता है कि आप में बदलाव नहीं आाना चाहिए अर्थात आप वही रहें जो दस वर्षों पहले थे। अर्थात अपनी पूरी ज़िंदगी लकीर के फकीर बने रहें।
लकीर का फ़क़ीर बनना किसी भी तरह से सही नहीं है क्योंकि इस दुनिया की हर चीज़ में विकास होता है और मनुष्य का व्यक्तित्व भी उससे अपवाद नहीं है। मनुष्य का व्यक्तित्व समय के साथ साथ पुख्ता होता जाता है, उसके अनुभव बढ़ते हैं, गलतियों और कमियों का बोध बढ़ता है तो गलतियां कम होती है, व्यवहार में सुधार होता है अब यदि कोई यह तय कर ले कि उसे बदलना नहीं है तो फिर उसमें विकास कैसे आएगा? वह तरक्की कैसे करेगा? क्योंकि एक तरह से विकास भी बदलाव ही है।
बहुत से लोग होते हैं जिन के मन में यह विचार रहता है कि बदलना गलत है और न बदलने के लिए वह बहुत मेहनत भी करते हैं और दूसरों के सामने बड़े गर्व से कहते हैं कि वह पिछले दस बीस तीस साल से ऐसे ही हैं लेकिन क्या वास्तव में यह गर्व की बात है? इस तरह के लोगों पर यदि आप ध्यान दें तो आप को पता चलेगा कि वह, जैसे हैं वैसे ही रहने के लिए बड़ी ऊर्जा खर्च करते हैं। इन लोगों के लिए नये नये विचार स्वीकार करना बहुत कठिन होता है। वह दूसरों के अनुभवों से पाठ लेना पसन्द नहीं करते। हो सकता है कि वह समझते हों कि इस तरह से वह खुद ही बने रहने में सफल हैं लेकिन यह गलती है क्योंकि विकास मनुष्य के लिए एक ऐसी ज़रूरत है जिससे बचा नहीं जा सकता है।
वैसे कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हमेशा बदलते रहने के प्रयास में रहते हैं लेकिन इस लिए नहीं कि अपनी देखभाल कर सकें और विकास करते रहें बल्कि उनके लिए दूसरों के विचार अधिक महत्व रखते हैं। उनके बारे में दूसरे क्या सोचते हैं यह उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। वह हमेशा यह सोचते रहते हैं कि वह ऐसे क्या करें जिससे दूसरे लोग उनकी ओर ध्यान दें इस तरह का व्यवहार भी सही नहीं है। बदलाव अच्छा है लेकिन वह अपने विकास के लिए होना चाहिए न कि दूसरों को आकर्षित करने के लिए। क्योंकि हमारे जीवन में यह जो दूसरे होते हैं उनके स्वभाव अलग अलग होते हैं हो सकता है कि हम दूसरों के लिए जो बदलाव लाएं वह कुछ दूसरे लोगों को पसन्द न आएं क्योंकि हर एक की पसन्द के अनुसार बदलाव लाना संभव नहीं है, बदलाव अच्छा है मगर व्यक्तित्व के विकास और सकारात्मकता की भावना के साथ होना चाहिए।
कहते हैं कि एक बूढ़ा व्यक्ति अपने किशोर बेटे के साथ कहीं जा रहा था उनके पास सवारी के लिए एक गधा था। यात्रा के आरंभ में बाप ने बेटे को गधे पर बिठाया और स्वंय गधे की रस्सी पकड़े पैदल चल पड़ा, रास्ते में लोगों ने देखा तो बेटे को खूब बुरा भला कहा कि कैसा बेटा है, बूढ़ा बाप पैदल चल रहा है और खुद सवारी पर बैठा है, बेटा हालांकि छोटा था किंतु उसने सोचा कि लोग सही कह रहे हैं , आगे जाकर वह गधे से उतर गया और अपने बाप को बिठा दिया, कुछ दूर जाने पर एक बस्ती से उनका गुज़र हुआ जहां लोगों ने बाप को बुरा भला कहना शुरु कर दिया कि देखो कैसा बाप है, बच्चे को पैदल चला रहा है और खुद सवारी पर बैठा है यह देख कर बाप को ग्लानि का आभास हुआ आगे चल कर वह गधे से उतर गया और चूंकि बेटा अकेले बैठने को तैयार नहीं हुआ इस लिए सोचा कि चलो लोगों की बातों से बचने के लिए दोनों ही बैठ जाते हैं , इस तरह से बाप बेटे दोनों ही गधे पर बैठ गये, रास्ते में कुछ लोगों ने जब उन्हें इस दशा में देखा तो कहा देखो कैसे निर्दयी हैं यह, बेचारे गधे पर दो दो लोग बैठे हैं, इस बेज़बान जानवर पर क्या अत्याचार कर रहे हैं, यह सुन कर बाप बेटे के होश उड़ गये और वह दोनों ही गधे से उतर गये और यह तैय किया कि अब लोगों की बातों से बचने का एक ही रास्ता है कि कोई भी गधे पर न बैठे। इस तरह से दोनों बाप बेटे गधे की रस्सी पकड़ कर चलने लगे। अब वह आश्वस्त थे कि उन्हें कोई बुरा भला नहीं कहेगा लेकिन वे जब आगे बढ़े तो उनके कानों में लोगों के हसंने की आवाज़ आयी और लोग एक दूसरे से कह रहे थे कि देखो कैसे मूर्ख लोग हैं , गधा साथ में है फिर पैदल चल रहे हैं और उस पर कोई बैठा नहीं है।
इस तरह से हम ने देखा कि लोगों की बातों के परिणाम में अपने भीतर किया जाने वाला बदलाव अच्छा नहीं होता और इस तरह के बदलाव का कोई फायदा भी नहीं होता। इस लिए हर इन्सान में इतनी बुद्धि ज़रूरी है कि जिससे वह यह समझ ले कि उससे दूसरे जो बदलाव चाह रहे हैं वह उसके लिए कैसा है ? इसके अलावा दूसरे लोग जो बदलाव की सलाह देते हैं उसमें दुश्मनी और जलन आदि की भावना भी हो सकती है और हो सकता है कि कुछ लोग आप को बार बार बदलने की सलाह देकर आप से कोई अपना हिसाब चुकता कर रहे हों इस लिए बदलाव यदि लाना है तो उसके लिए मनुष्य का अपने घरवालों और निकट रिश्तेदारों के विचारों पर भरोसा करना चाहिए।
कभी कभी यह भी होता है कि विशेष परिस्थितियों में किसी समाज में बुराइयां आम हो जाएं और लोग धड़ल्ले से झूठ बोले, चोरी करें और रिश्वत लें तो फिर वहां रहना और उस समाज में जीवन व्यतीत करना कठिन होता है और इस हालत में दूसरे आप को चाहे जितना बदलना चाहें और चाहे जितना बुराइयों की खींचना चाहें आप को उस तरफ नहीं जाना चाहिए। यहां पर बदलाव घातक होता है भले उस जगह, उस क्षेत्र और उस वातावरण में आप अकेले ही सही हों क्योंकि गलत हर हाल में गलत होता है चाहे समाज का हर व्यक्ति वह काम करने लगे और अच्छा काम अच्छा होता है चाहे समाज में आप के अलावा कोई और वह काम न करता हो। अलबत्ता इन हालात में इस्लाम ने पलायन को भी एक रास्ते के तौर पर पेश किया है।