Jan २७, २०१९ १३:०७ Asia/Kolkata

हमने आपको बताया कि अपनी देख-भाल में सीखे जाने वाले कुछ काम शामिल हैं जो कोई भी व्यक्ति पूरे ज्ञान के साथ और उद्देश्यपूर्ण तरीक़े से अपने लिए, अपने परिवार के लिए और दूसरों के लिए करता है ताकि उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा कर सके।

जीवन के मार्ग में सकरात्मक बदलाव और अपनी देख-भाल आप के लिए एक अहम क़दम किताबें पढ़ना है।

हर व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में संभावित रूप से अत्यंत जटिल समस्याओं और सवालों का सामना करना पड़ सकता है जो उसे दबाव और अवसाद में ग्रस्त कर सकते हैं। आजका इंसान अपने मशीनी जीवन के दृष्टिगत, जो विभिन्न प्रकार के दबावों से भरा हुआ है, अनेक मानसिक व आत्मिक बीमारियों के घेरे में है। इन समस्याओं से निकलने के लिए एक उत्तम मार्ग, किताब की कृपालु बांहों में समा जाना है।

ब्रिटेन के ससेक्स विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अनुसंधान के अनुसार तनाव व दबाव से मुक़ाबले का सबसे प्रभावी मार्ग किताब पढ़ना है। तनाव कम करने या समस्याओं से मुक़ाबला करने में किताब पढ़ना, टहलने, चाय या काफ़ी पीने या फिर संगीत सुनने से कहीं अधिक प्रभावी है। इस अनुसंधान के परिणाम, दिल की धड़कन की गति और मांसपेशियों में खिंचाव की समीक्षा करके निकाले गए। इस अनुसंधान में भाग लेने वालों को छः मिनट किताब पढ़ने के बाद ही शांति व संतोष का आभास होने लगा। अधिक रोचक बात यह है कि इस परियोजना के एक अनुसंधानकर्ता डाक्टर डेविड लेविस का कहना है कि इस बात में कोई अंतर नहीं है कि आप पढ़ने के लिए किस किताब का चयन करते हैं, जब आप किताब पढ़ने में लीन हो जाते हैं तो चिंताओं व तनावों की प्रतिदिन की दुनिया से दूर हो जाते हैं और अपना कुछ समय, लेखक की कल्पनाओं और उसकी दुनिया की खोज में बिताने लगते हैं।

एक अच्छी किताब, चाहे वह जिस विषय की हो, नावेल हो, मनोविज्ञान से संबंधित हो, धार्मिक किताब हो या कोई अन्य किताब हो इस बात की क्षमता रखती है कि लोगों के ज्ञान में वृद्धि करे और उन्हें जीवन में लाभदायक परिवर्तन लाने या सकारात्मक क़दम उठाने के लिए प्रेरित करे। किताब पढ़ने से इंसान की समीक्षा की योग्यता बढ़ती है और उसे स्वस्थ सोच की ओर बढ़ाती है। हर व्यक्ति, स्वस्थ चिंतन के चरण में प्रवेश के समय अपने व्यक्तित्व और व्यवहार की समीक्षा कर सकता है और उसे सही कसौटी पर परख कर अपनी ग़लतियों को समझ सकता है। इस प्रकार ऐसा इंसान परिवार व समाज के स्तर पर अपने व्यक्ति संबंधों को बेहतर बना कर अन्य लोगों के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर सकता है। इससे उसे अधिक शांति प्राप्त होती है। इस संबंध में हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं, जिसे किताब शांति प्रदान करे, उसकी शांति व आराम को कोई छीन नहीं सकता।

 

किताब पढ़ने से मनुष्य के लिए ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि वह विभिन्न घटनाओं में प्रवेश किए बिना उनके बारे में अनुभव हासिल कर ले और विभिन्न घटनाओं के आरंभ और समाप्त होने का दर्शक बने। वह किताब में घटने वाली घटनाओं का सामना करने में कहानी के विभिन्न चरित्रों की भावनाओं को समझ सकता है और अपने मन में उनकी भवनाओं की समीक्षा कर सकता है। इस प्रकार जो कुछ भी पढ़ा जाता है वह इंसान की वैचारिक शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। इसी तरह जो भी चीज़ पढ़ी जाती है वह मनुष्य के मन में पहले से मौजूद सूचनाओं में कुछ न कुछ वृद्धि अवश्य करती है। ये सूचनाएं, चाहे छोटी और मामूली ही क्यों न हों, निश्चित रूप से व्यक्ति को अपने जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक तैयार करती हैं और अपनी देख-भाल आप में इसका अत्यधिक महत्व है।

आजके मनुष्य की एक समस्या, अलज़ायमर नामक बीमारी है। इस बीमारी में इंसान की याददाश्त बड़ी हद तक चली जाती है और इसी तरह अहम मानसिक कामों में गड़बड़ी पैदा होने लगती है। स्मरण शक्ति को मज़बूत बनाने वाली तकनीकों के माध्यम से मस्तिष्क को अधिक सक्रिय बना कर मनुष्य के इस बीमारी में ग्रस्त होने की प्रक्रिया को कम किया जा सकता है बल्कि इसमें ग्रस्त होने से रोका जा सकता है। मस्तिष्क को सक्रिय बनाए रखने से उसकी शक्ति में कमी रुक जाती है। साप्ताहिक वैज्ञानिक पत्रिका पी.एन.ए.एस. की ओर प्रकाशित होने वाली एक अनुसंधानिक रिपोर्ट के अनुसार वे वृद्धि जो किताब पढ़ने जैसी मस्तिष्क को उलझाए रखने वाली गतिविधियां करते हैं, अलज़ायमर के रोग में कम ग्रस्त होते हैं। यह अनुसंधाकि रिपोर्ट तैयार करने वालों में से एक डाक्टर राबर्ट फ़्रिडलैंड ने कहा है कि मस्तिष्क भी शरीर के अन्य अंगों की तरह है और उसे प्रयोग किए जाने के दृष्टिगत ही वह कमज़ोर होता है। जिस प्रकार से शारीरिक गतिविधियों और व्यायाम से हृदय, मांसपेशियां व हड्डियां मज़बूत होती हैं उसी तरह मानसिक गतिविधियों से मस्तिष्क भी मानसिक रोगों के मुक़ाबले में प्रतिरोध करता है।

याददाश्त को बेहतर बनाने के लिए इस्लामी शिक्षाओं में कई बातों की सिफ़ारिश की गई जिनमें झूठ न बोलना और अधिक से अधिक क़ुरआने मजीद की तिलावत करना शामिल है। इसी तरह से ईश्वर की ओर से निर्धारित अनिवार्य उपासनाओं जैसे नमाज़ को उसके सही समय पर पढ़ने से भी याददाश्त मज़बूत होती है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम व उनके परिजनों ने कुछ दुआएं भी बताई हैं जिनको पढ़ने से याददाश्त मज़बूत होती है। इसी तरह इसके लिए पापों से दूर रहने, सांसारिक कामों में बहुत अधिक व्यस्त न होने और ग़मों पर अधिक दुखी न होने से भी याददाश्त मज़बूत होती है।

नींद की समस्याओं को दूर करने के लिए भी किताब पढ़ने की सलाह दी जाती है। नींद की समस्याओं के विशेषज्ञों के अनुसंधानों के दृष्टिगत किताब पढ़ना, तनाव कम करने और बेहतर नींद के लिए बहुत लाभदायक है। अलबत्ता वे अपनी सिफ़ारिशों में इस बात पर भी बल देते हैं कि सोने से पहले किताब पढ़ने का काम हल्के प्रकाश में किया जाए न कि मोबाइल और टेबलेट से निकलने वाले प्रकाश में क्योंकि इन चीज़ों से निकलने वाला प्रकाश मस्तिष्क को यह संदेश देता है कि अभी सोने का समय नहीं आया है और उसे जागना चाहिए।