क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-728
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-728
وَلَمَّا جَاءَتْ رُسُلُنَا إِبْرَاهِيمَ بِالْبُشْرَى قَالُوا إِنَّا مُهْلِكُو أَهْلِ هَذِهِ الْقَرْيَةِ إِنَّ أَهْلَهَا كَانُوا ظَالِمِينَ (31) قَالَ إِنَّ فِيهَا لُوطًا قَالُوا نَحْنُ أَعْلَمُ بِمَنْ فِيهَا لَنُنَجِّيَنَّهُ وَأَهْلَهُ إِلَّا امْرَأَتَهُ كَانَتْ مِنَ الْغَابِرِينَ (32)
और जब हमारे भेजे हुए दूत इब्राहीम के पास (संतान के जन्म की) शुभ सूचना लेकर आए तो उन्होंने कहाः हम इस बस्ती के लोगों को तबाह करने वाले हैं कि निःस्संदेह इस बस्ती के लोग अत्याचारी हैं। (29:31) इब्राहीम ने कहाः बस्ती में तो लूत (भी) मौजूद हैं। ईश्वरीय दूतों ने कहाः हम बेहतर जानते हैं कि वहाँ कौन कौन है? निश्चय ही हम उन्हें और उनके परिजनों को बचा लेंगे सिवाए उनकी पत्नी के जो (दंड में) बाक़ी रह जाने वालों में से है। (29:32)
وَلَمَّا أَنْ جَاءَتْ رُسُلُنَا لُوطًا سِيءَ بِهِمْ وَضَاقَ بِهِمْ ذَرْعًا وَقَالُوا لَا تَخَفْ وَلَا تَحْزَنْ إِنَّا مُنَجُّوكَ وَأَهْلَكَ إِلَّا امْرَأَتَكَ كَانَتْ مِنَ الْغَابِرِينَ (33) إِنَّا مُنْزِلُونَ عَلَى أَهْلِ هَذِهِ الْقَرْيَةِ رِجْزًا مِنَ السَّمَاءِ بِمَا كَانُوا يَفْسُقُونَ (34) وَلَقَدْ تَرَكْنَا مِنْهَا آَيَةً بَيِّنَةً لِقَوْمٍ يَعْقِلُونَ (35)
और जब हमारे भेजे हुए दूत लूत के पास आए तो उनके आने से उनकी स्थिति बिगड़ गई और उन्होंने (उनके समर्थन से) अपना हाथ तंग पाया। फ़रिश्तों ने कहा कि न तो डरो और न ही शोकाकुल हो कि निश्चय ही हम तुम्हें और तुम्हारे घर वालों को बचा लेंगे सिवाए तुम्हारी पत्नी के कि वह पीछे रह जाने वालों में से है। (29:33) निश्चय ही हम इस बस्ती के लोगों पर उनके द्वारा किए गए पापों के कारण आकाश से एक दंड उतारने वाले हैं। (29:34) और हमने उस (उजड़ी हुई) बस्ती को उन लोगों के लिए एक खुली निशानी के रूप में छोड़ दिया जो बुद्धि से काम लेना चाहें। (29:35)