घर परिवार- 22
यह बात स्पष्ट है कि हर आदमी अपने जीवन में ग़लतियां करता है और यदि आप अपने जीवन साथी को महत्व देते हैं और उसके साथ स्थाई और मज़बूत रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं तो आपको अपनी पुरानी ग़लतियों को दोहराना नहीं चाहिए।
चाहे वह बातें जिनमें आपकी ग़लतियां थीं या वह बातें जिनमें आप दोनों की ही ग़लतियां रही हों। दूसरी ओर अपने जीवन साथी की ग़लतियां दोहराने के बजाए अपने सकारात्मक व्यवहार को और अधिक मज़बूत करना चाहिए। यदि आप इस समय अपने जीवन साथी के साथ रहते हैं तो यह आपके लिए सबसे सुन्दर और अच्छा क्षण होता है और आप अपने दिल की बात कहते हैं। यदि आप वास्तव में अपने जीवन साथी को पसंद करते हैं तो उसे अपनी भावनाओं को समझाना चाहिए और अतीत को भूल जाना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि आपका अतीत आपको परेशान करे। अतीत को भूलना आसान नहीं है किन्तु यदि द्वेष और ईर्ष्या को अपने से दूर कर ले और अतीत की घटनाओं पर तनिक भी ध्यान न दें। आपको यह याद रखना चाहिए कि आपका जीवन साथी आपके साथ है। इस सुन्दर व हसीन पल को अपनी अतीत की यादों से बर्बाद नहीं करना चाहिए।
परिवार समाज की महत्वपूर्ण इकाई समझी जाती है और परिवार में ज़िंदगी और मौत का पहिया घूमता ही रहता है। घर में जीवन की सही राह की पहचान और उसको बचा कर सही मार्ग को ओर ले जाने के लिए व्यापक और संगठित रोड मैप की आवश्यकता होती है ताकि परिवार के सदस्य प्रेम और मुहब्बत के साथ एक दूसरे से जुड़े रहें और इस पवित्र इकाई को शांति और संतुष्टि का केन्द्र क़रार दें। इस विषय के महत्व के दृष्टिगत, कुछ समय पहले इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने परिवार की एक नीति निर्धारित की जिसके 16 अनुच्छेद हैं। यह नीति पारिवारिक ढांचे की मज़बूती और रक्षा के लिए बेहतरीन दस्तावेज़ और रोडमैप के रूप में पास हुई। वरिष्ठ नेता की ओर से बयान की गई नीति, परिवार की केन्द्रियता वाला समाज को पैदा करने, इस्लामी आदर्शों के आधार पर परिवार को मज़बूत करने, शिक्षा और प्रशिक्षण की क्षमताओं को एकजुट करने की आवश्यकता और पारिवारिक संबंधों और पारिवारिक आधारों को मज़बूत करने के लिए संचार माध्यमों की भूमिका पर बल दिया गया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने संस्कृति प्रचलित करने, सामूहिक रूप से परिवार द्वारा ख़ाली समय को प्रभावी ढंग से प्रयोग करने और परिवार से जुड़ी क़ानूनी व्यवस्थाओं में सुधार और उसे पूरा करने के लिए परिवार को प्रयोग करना, परिवार को स्थिर करने में प्राथमिकता दिए जाने पर बल दिया और इस विषय पर पुनर्विचार किए जाने की मांग की गयी। कामकाज के बारे में भविष्य की चिंताओं को कम करने के लिए अर्थव्यवस्था और परिवार की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने तथा विवाह और घर जैसे विषय भी इस नीति में पेश किये गये है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने परिवार की नीतियों में, जीवन साथी की प्रतिष्ठा व सम्मान के समर्थन, मां की भूमिका, महिलाओं के घरेलू काम करने और पुरुष के बाहर काम काज करने और आय पर बल दिया गया है। परिवार में बूढ़ों के सम्मान के लिए उचित समर्थन शैली अपनाने, परिवार की बहुपक्षीय सुरक्षा बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय अपनाना विशेषकर आस्था की सुरक्षा तथा जल्द संतान की इच्छा के विषय पर बल दिया गया है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की ओर से परिवार के बारे में पेश की गई संपूर्ण नीति पर नज़र डालने से इस परिणाम पर पहुंचा जा सकता है कि इसमें एक जनरेटर परिवार बनाने और उसके लिए प्रयास किए जाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की ओर से जनरेटर परिवार का अर्थ हैः वह परिवार जो प्रेम मुहब्बत पैदा करने के साथ सुरक्षा पैदा करता है, वह परिवार जो नैतिकता और क़ानून पैदा करने के लिए प्रशिक्षण करता है, वह परिवार जिसमें कामकाज पैदा करने और आर्थिक दक्षता पर ध्यान दिया जाए और कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि वह परिवार जो संतान का इच्चुक है वह समाज की बुनियादें मज़बूत रखता है।
व्यक्तिगत और निजी जीवन में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की शैली से पता चलता है कि वह परिवार के मूल्य और उसके महत्व पर बल देते हैं। वरिष्ठ नेता वह हैं जो परिवार के सम्मान, परिवार के लोगों के एक साथ उठने बैठने और जीवन साथी के सम्मान और आदर किए जाने और उसकी रक्षा पर बल देते हैं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के छोटे भाई सैयद मुहम्मद हसन ख़ामेनेई कहते हैं कि उनकी ज़िम्मेदारी है कि जब वह मशहद आते हैं, वह नानिहाल और दादिहाल के लोगों से मिलते हैं, यह चीज़ इस बात पर निर्भर करती है कि उनके पास समय कितना है, कभी कभी एक साथ ही दोनों जगह चले जाते हैं या कभी कभी दोनों परिवार के लिए अलग अलग समय देते हैं, अर्थात विस्तृत मुलाक़ात करते हैं, कभी कभी दोनों परिवार से एक समय में मिलते हैं, सभी एक साथ, पूरा परिवार एक साथ, सभी लोग एक साथ एकत्रित होते हैं।
वे कहते हैं कि वरिष्ठ नेता के बच्चे भी इसी प्रेम और मुहब्बत के साथ, जब भी आते हैं, तीन चार एक साथ आते हैं, चाहे तेहरान में मुलाक़ात तय हो, चाहे यहां पर मशहद में, वे भी बहुत प्रतिबद्ध हैं, बहुत अधिक सम्मान करते हैं, बहुत अधिक प्रेम करते हैं, वे जितना अधिक बड़े ही क्यों न हों, उनकी कृपा और प्रेम बहुत अधिक होता था।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के अनुसार घर परिवार, वह स्थान है जहां प्रेम और मुहब्बत, पलती बढ़ती है, बच्चों को प्रेम और मुहब्बत मिलती हैं , पति के जो कि पुरुष है और पुरुष का स्वभाव महिला की तलना में कच्चा प्रति नर्म रवैया रखता है जबकि अपने विशेष अवसर पर वह घाव का मरहम, केवल और केवल जीवन साथी का प्यार है, यहां तक कि मां का प्यार भी नहीं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की पत्नी श्रीमती मंसूरा ख़ुजस्ते बाक़िरज़ादे कहती हैं कि उनमें एक बहुत अच्छी विशेषता है जो दूसरों के लिए उदाहरण और आदर्श बनी सकती है वह यह है कि जब वे घर में होते हैं, यद्यपि वह प्रतिदिन के कामों से थकन में डूबे हुए रहते हैं किन्तु प्रयास करते हैं कि घर के वातावरण को समस्याओं से दूर रखा जाए। वह हर चीज़ से पहले यह चाहते थे कि घर का माहौल शांतिपूर्ण, ख़ुशहाल और स्वस्थ्य रहे। मैं समझती हूं कि घर की शांति में उनकी सबसे अधिक भूमिका होती है, ताकि वह शांति से अपना काम कर सकें, मैं भी उनको अपने और अपने बच्चों की चिंताओं से दूर रखने का प्रयास करती है।
वह कहती हैं कि वरिष्ठ नेता का बेहतरीन गुण उनका साधारण जीवन है। वह कहती हैं कि हमने कभी भी अपने घर में सजवाट की चीज़ें नहीं रखीं, सुन्दरता अच्छी चीज़ है किन्तु हमें सजवाट में अपने जीवन को उलझाना नहीं चाहिए। हम संतुलित साज सज्जा वाले घर में रहते हैं, हमारे घर में मंहगे क़ालीन, पर्दे, सोफ़े इत्यादि नहीं हैं। वर्षों पहले ही हमने इन सब चीज़ों से स्वयं को मुक्त कर लिया था, वरिष्ठ नेता के माता पिता हमारे आदर्श थे , उनकी माता इस प्रकार की सुन्दरता और साजो सज्जा की आलोचना करती थीं, मेरा भी यही मानना है, हम हमेशा अपनी संतानों को सही सलाह देते हैं कि व्यक्तिगत व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि दिखावटी चीज़ें बेकार नज़र आएं।
कार्यक्रम के इस भाग में हम दंपत्ति के संबंधों पर चर्चा करेंगे। एक महिला लिखती हैं कि मेरा पति बहुत बकवास करता है, मैं ने जितना काम कर सकी किन्तु उनके इस बुरे बर्ताव को बदल न सकी, सभी को बुरा भला कहते हैं, वह हर चीज़ और हर वक़्त नाराज़ रहते हैं, वह गालियां बकते हैं, मुझे समझ में नहीं आता कि इस समस्या से कैसे छुटकारा कैसे पाऊं?
ग़ुस्सा इंसान में एक स्वभाविक है और हर इन्सान में कम और ज़्यादा पाया जाता है। उदाहरण स्वरूप महिलाएं रोने लगती हैं या दूसरों से बहुत अधिक बातचीत करती हैं किन्तु सामान्य रूप से पुरुष किसी से बात नहीं करते, कड़ा जवाब देते हैं और कभी कभी बुरा भला भी कहते हैं। यदि घर में ऐसा माहौल हो अर्थात घर में गाली गलौच हो रही हो तो इस समय आपको होशियारी और युक्ति से काम लेना पड़ेगा और इस प्रकार घर के ज़हरीले वातावरण को नियंत्रित किया जा सकता है। बातचीत के केन्द्र को बदलना, इस माहौल को बदलने की एक शैली है। आप बात के विषय को बदल करके भी घर के माहौल को बदल सकते हैं। कभी कभी स्थिति को छोड़ने के अलावा कोई और चारा नहीं होता क्योंकि जो आदमी बहस कर रहा है या जो गाली गलौच कर रहा है वह कुछ सुनने को तैयार नहीं है, इन हालात में जगह छोड़ने से हालात किसी सीमा तक नियंत्रि हो सकते है।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) का कथन है कि गालियां देने से बचो क्योंकि अल्लाह गालियां देने वालों को पसंद नहीं करता। यदि आपका जीवन साथी नाराज़ है या गालियां बक रहा है तो आप माफ़ी मांगकर मामले को रफ़ा दफ़ा करें और घर के माहौल को अच्छा बनाएं। (AK)