घर परिवार- 30
शादी आवारागर्दी से मुक्ति, तनहाई से बचने का कारण और मानव नस्ल को आगे बढ़ाने का एक कारण है।
शादी से बचने का मतलब है, असंतुलिन जीवन, अनैतिक आचरण और यहां तक कि शारीरिक रोगों को दावत देना। इसलिए महिलाओं और पुरुषों के लिए एक सबसे महत्वपूर्ण नेमत शादी करके घर बसाना है। इस्लाम के बराबर शायद ही किसी धर्म ने शादी के महत्व पर बल दिया हो। इस्लाम के मुताबिक़, घर बसाना ईश्वरीय दूतों की परम्परा रही है और जो युवा अपना घर बसाते हैं वास्तव में वे प्रकृति के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं।
यहां पर सवाल यह उठता है कि इस्लाम में शादी का इतना महत्व क्यों है? इसका एक प्रमुख कारण इंसान की नस्ल को आगे बढ़ाना है। इसके अलावा, जीवन में स्वाधीनता प्राप्त करना है। एक युवक जब शादी करता है और समाज की एक छोटी सी इकाई की नींव रखता है तो उसे स्वाधीनता का एहसास होता है, जिससे उसे शांति प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया से व्यक्ति और समाज का विकास होता है। इस्लाम में शादी का एक अन्य कारण, आत्मसम्मान की रक्षा करना और गुनाहों से बचना है। इस्लामी शिक्षाओं के मुताबिक़, शादी करके एक युवक अपने आधे ईमान को सुरक्षित कर लेता है। इस प्रकार से शादी करने से इंसान के ईमान की रक्षा होती है। किसी भी समाज के अधिकांश बुरे तत्व ग़ैर शादी शुदा होते है। उनकी तुलना में शादीशुदा लोग बुरे कार्यों में कम लिप्त होते हैं।
इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा के कारण भी शादी का महत्व है। किसी भी देश के विकास की योजनाएं सुरक्षा के अंतर्गत आती हैं। यहां तक कि आज़ादी से लाभ उठाना भी तभी संभव है जब व्यक्ति सुरक्षित होगा। असुरक्षा विकास के मार्ग में रुकावट होती है। शादी से सामाजित सुरक्षा हासिल होती है। इसलिए कि जब कोई शादी करता है तो उसके कांधों पर परिवार और बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी आ जाती है, इसलिए वह उनकी भलाई के बारे में सोचता है और उन्हें नुक़सान पहुंचने से बचाना चाहता है। इसी से सामाजिक सुरक्षा हासिल होती है।

आज के समाज की वास्तविकता यह है कि व्यक्ति एवं सामाजिक ज़रूरतों में वृद्धि के कारण पारिवारिक समस्याएं अधिक हो गई हैं और लोग अपना ही भला चाहते हैं। कठिनाईयों का सामना करने के लिए लोगों में धैर्य की कमी है और इससे परिवार की नींव कमज़ोर हुई है। इस समस्या के समाधान के लिए क्या किया जाना चाहिए? कुछ लोगों का मानना है कि इसके लिए तार्किक बातचीत एक उचित क़दम है।
एक मज़बूत व स्थायी परिवार की बुनियाद रखने के लिए परिवार को ख़ुश रखा जाना चाहिए। खुशहाल दम्पति जीवन से दम्पतियों की योग्यताओं में निखार आता है। प्रसन्नता इंसान की प्राकृतिक ज़रूरतों में से एक है। घर में सुकून का एक मुख्य कारण, ख़ुशहाली है। प्रसन्नता की अवहेलना करने से परिवार में अवसाद उत्पन्न होता है। परिवार इंसान की आध्यात्मिक ज़रूरतों की आपूर्ति के लिए एक व्यवस्था है, जिससे इंसान की भावनात्मक ज़रूरतें भी पूरी होती हैं।
ख़ुशहाली व्यक्ति एवं समाज के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज़रूरी है। सिर्फ़ ख़ुशी इंसान के स्वास्थ्य में भूमिका अदा कर सकती है। जो लोग ख़ुश होते हैं, उन्हें सुरक्षा का अधिक एहसास होता है और सामूहिक कामों में उन्हें अधिक रूची होती है। ख़ुशहाली, ख़ुशी, सकारात्मक दृष्टिकोण, आशा और विश्वास के नतीजे में हासिल होती है। इसलिए परिवार और समाज के विकास में इसकी महत्वपूर्ण भमिका हो सकती है।
क़ुरआन ने ख़ुशहाल जीवन को ईश्वर की नेमत क़रार दिया है, इस संदर्भ में क़ुरआन कहता है, हे ईश्वरीय दूत कह दो, सजने संवरने और सुन्दरता को किस ने हराम क़रार दिया है? हालांकि ईश्वर ने इसे अपने बंदों के लिए जायज़ किया है। किसने पाक आजीविका और पाक नेमतों को हरमा किया है? कह दो कि यह पाक और सुन्दर नेमतें इस दुनिया में और परलोक में ईमानदार लोगों के लिए हैं।

डा. रज़ा मेहदी का कहना है कि ख़ुश रहने की आदत इंसान में प्राकृतिक है, हां यह ख़ुशी किस प्रकार की होगी यह सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण पर निर्भर है। परिवार की ख़ुशी में अहम भूमिका निभाने वाले कारण इस प्रकार हैं। प्रेम और ममता, धैर्य, ईश्वर पर भरोसा और गुनाहों से बचना। विशेषज्ञों का मानना है कि ख़ुशी हमेशा किसी काम को अंजाम देकर हासिल नहीं की जाती, बल्कि कुछ चीज़ों से बचकर भी ख़ुशी हासिल की जा सकती है। आदत के रूप में जिन कामों से ख़ुशी हासिल होती है, उससे इंसान आनंद नहीं उठाता है। बल्कि कभी वह इंसान के लिए मुश्किल बन जाता है। इसलिए कि इंसान का दिल और दिमाग़ उस आनंद के लिए तैयार नहीं है। एक स्वादिष्ट भोजन, यौन संबंध और बहुत सुंदर घर अगर हराम और अवैध होंगे तो एक सही इंसान के लिए वह सब एक कड़वा घूंट होंगे। इंसान का स्वभाव कुछ इस तरह का है कि कुछ चीज़ों से बचकर भी उसे आनंद हासिल होता है। ईरानी विद्वान शेख़ बहाई के अनुसार, अगर परहेज़ के आनंद का महत्व समझ लोगे तो सामान्य आनंद, तुम्हारे लिए आनंद ही नहीं रहेगा।
जीवन में उस व्यक्ति को वास्तविक ख़ुशी हासिल होती है जो गुनाहों से बचता है और ईश्वरीय नियमों का पालन करता है और परिवार में भी ऐसा ही वातावरण उत्पन्न करता है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इच्छाओं की आपूर्ति से ही ख़ुशी हासिल नहीं होती है।
ख़ुशी हासिल करने के अन्य कारणों में से कुछ इस प्रकार हैं, मुस्कराहट और चेहरे का खिला रहना, अच्छी ख़ुशबू, अच्छे वस्त्र धारण करना, यात्रा, कार्य, खेल, मज़ाक़ करना, आपसी मेलजोल और जश्न का माहौल पूरे घर में ख़ुशियां भर देता है। हदीसों में अच्छे आचरण, अच्छी ख़ुशबू के इस्तेमाल और परिजनों को यात्रा पर ले जाने का पर काफ़ी बल दिया गया है। क़ुराने मजीद में कई स्थानों पर कहा गया है कि ज़मीन की सैर करो, ताकि ईश्वर की निशानियों को देख सको और दूसरी क़ौमों के अनुभवों से लाभ उठा सको।
इस्लाम में दिखावटी साज सज्जा पर अधिक बल नहीं दिया गया है। इंसान को इस बिंदू पर ध्यान देना चाहिए कि लोगों पर रंगों के अलग अलग प्रभाव होते हैं। खिलते हुए रंगों से इंसान में ताज़गी और ख़ुशी का एहसास पैदा होता है। इसीलिए इस्लाम ने सफ़ेद और हरा लिबास पहनने पर बल दिया है। मनोवैज्ञानिक रूप से इन रंगों से इंसान के स्वभाव पर अच्छा असर पड़ता है। दम्पतियों के खिलते हुए रंगो से एक दूसरे में ख़ुशी का एहसास जगता है। बच्चों पर भी खिलते हुए रंगों का सकारात्मक असर पड़ता है। मनोवैज्ञानिक भी खिलते हुए रंगों वाले कपड़े पहनने पर बल देते हैं।
घर में ऐसा वातावरण उत्पन्न करना चाहिए कि परिवार के समस्त सदस्यों को एक दूसरे के वजूद का महत्व समझ में आ जाए। लेकिन सभी एक ही तरह की चीज़ें पसंद करें, यह कभी नहीं सोचना चाहिए। महत्वपूर्ण बिंदू यह है कि आदतों और पंसद में अंतर ही परिवार को मज़बूत बनाकर रखने में सहयोगी हो सकता है। हालांकि आपसी बातचीत और विचार विमर्श द्वारा सर्वश्रेष्ठ निर्णय सभी के लिए स्वीकार्य हो सकता है।