क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-754
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-754
أَلَمْ تَرَوْا أَنَّ اللَّهَ سَخَّرَ لَكُمْ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ وَأَسْبَغَ عَلَيْكُمْ نِعَمَهُ ظَاهِرَةً وَبَاطِنَةً وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يُجَادِلُ فِي اللَّهِ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَلَا هُدًى وَلَا كِتَابٍ مُنِيرٍ (20)
क्या तुमने देखा नहीं कि ईश्वर ने, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, सबको तुम्हारे अधीन कर रखा है और उसने तुम पर अपनी प्रकट और अप्रकट अनुकपाएँ पूर्ण कर दी हैं? और (इसके बावजूद) कुछ लोग ऐसे हैं जो ईश्वर के विषय में बिना किसी ज्ञान, मार्गदर्शन और प्रकाशमान किताब के बहस करते हैं। (31:20)
وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ اتَّبِعُوا مَا أَنْزَلَ اللَّهُ قَالُوا بَلْ نَتَّبِعُ مَا وَجَدْنَا عَلَيْهِ آَبَاءَنَا أَوَلَوْ كَانَ الشَّيْطَانُ يَدْعُوهُمْ إِلَى عَذَابِ السَّعِيرِ (21)
और अब जब उनसे कहा जाता है कि उस चीज़ का अनुसरण करो जो ईश्वर ने उतारी है तो वे कहते हैं कि (नहीं) बल्कि हम तो उस चीज़ का अनुसरण करेंगे जिस पर हमने अपने बाप-दादा को पाया है। क्या शैतान उन्हें दहकती आग के दंड की ओर बुलाए तब भी (वे उन्हीं का अनुसरण करेंगे)? (31:21)
وَمَنْ يُسْلِمْ وَجْهَهُ إِلَى اللَّهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ فَقَدِ اسْتَمْسَكَ بِالْعُرْوَةِ الْوُثْقَى وَإِلَى اللَّهِ عَاقِبَةُ الْأُمُورِ (22) وَمَنْ كَفَرَ فَلَا يَحْزُنْكَ كُفْرُهُ إِلَيْنَا مَرْجِعُهُمْ فَنُنَبِّئُهُمْ بِمَا عَمِلُوا إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ (23) نُمَتِّعُهُمْ قَلِيلًا ثُمَّ نَضْطَرُّهُمْ إِلَى عَذَابٍ غَلِيظٍ (24)
और जो कोई अपना रुख़ ईश्वर की ओर कर ले और वह सद्कर्मी भी हो तो निश्चित रूप से उसने मज़बूत सहारे को थाम लिया है और सारे मामलों का अंत ईश्वर ही की ओर है। (31:22) और जिस किसी ने कुफ़्र अपनाया तो उसका कुफ़्र आपको दुखी न करे कि उन्हें पलटकर आना तो हमारी ही ओर है। तो जो कुछ वे करते रहे हैं उससे हम उन्हें अवश्य ही अवगत करा देंगे। निःसंदेह ईश्वर (लोगों के) दिलों तक की बात जानता है। (31:23) हम उन्हें थोड़ा संपन्न करेंगे फिर उन्हें एक कठोर दंड की ओर खींच ले जाएँगे। (31:24)