Dec ०२, २०१९ १५:५२ Asia/Kolkata

जीवन को स्वस्थ व खुशहाल बनाने के लिए विभिन्न चीज़ों का सीखना ज़रूरी है।

ज़िन्दगी की दक्षता व कला उन उपकरणों की भांति है जिनसे लाभ उठाकर इंसान जीवन में ध्यान योग्य प्रगति कर सकता है। जैसे समय का सही प्रबंधन व प्रयोग, आत्म निर्माण, आध्यात्मिक पालन पोषण, सदगुणों से सुसज्जित होना, और बीवी- बच्चों के साथ व्यवहार जैसी बहुत सी चीज़ें हैं जो जीवन को बेहतर बनाती हैं। इस आधार पर जीवन को बेहतर बनाने के लिए हमें विभिन्न चीज़ों को सीखना चाहिये और जीवन में ठहराव तालाब में एक स्थान पर ठहरे हुए पानी की भांति है जो हमें नीचे ले जाता है। सबसे पहले हमें अपनी योग्यताओं एवं कमज़ोरियों को पहचानना चाहिये और हमें अपनी कमज़ोरियों से नहीं डरना चाहिये बल्कि हमें उन चीज़ों को सीखना चाहिये जिनसे लाभ उठाकर हम अपनी कमज़ोरियों पर नियंत्रण और उनका मुकाबला कर सकते हैं। हमें अपनी कमियों को ख़ाली गमले की भांति नहीं छोड़ना चाहिये बल्कि जिस तरह से इंसान खाली गमले में फूल लगाकर उसे और आस- पास के वातावरण को सुन्दर व सुगंधित बनाता है उसी तरह हमें विभिन्न प्रकार की चीज़ें सीख कर अपने जीवन के साथ साथ दूसरों के जीवन को भी बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिये। सूरज प्रतिदिन निकलता है और अपने अस्तित्व से समूचे ब्रह्मांड में प्रकाश फैलता है उसी तरह हमें भी अपने जीवन एवं अस्तित्व को दूसरों के लिए प्रकाश बनाना चाहिये।

एक चीज़ इंटरनेट और सोशल साइटों का प्रयोग है जो इस समय बहुत महत्वपूर्ण है और यह चीज़ सीखना हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है कि उसका सही प्रयोग कैसे करना चाहिये। इस समय हमारे जीवन में इसका प्रयोग बहुत अधिक हो रहा है। प्रतिदिन दुनिया में करोड़ों लोग इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं। इंटरनेट का एक लाभदायक प्रयोग यह है कि वह दूसरों से संपर्क का साधन है। दूसरे शब्दों में इंटरनेट के प्रयोग की कुछ अच्छाइयां हैं तो कुछ बुराइयां भी हैं और हमें इन चीज़ों को नज़र में रखना चाहिये।

 

इंटरनेट अधिक प्रयोग करने की एक बुराई यह है कि उससे परिवार के सदस्यों में निष्ठा कम हो जाती है। आज समाज में इंटरनेट के प्रयोग में वृद्धि हो जाने से परिवार के सदस्यों के बीच बातचीत कम हो गयी है जबकि परिवार के सदस्यों के मध्य बातचीत बहुत ज़रूरी और महत्वपूर्ण चीज़ है। परिवार के सदस्यों के मध्य बातचीत की, उनकी योग्यताओं व क्षमताओं को पहचानने, उन्हें निखारने और समस्याओं के समाधान में बहुत रचनात्मक व प्रभावी भूमिका है और यह बातचीत परिवार  के वातावरण को सौहार्दपूर्ण रखने में बहुत प्रभावी है। यह बातचीत जिस वजह से भी कम हो उससे परिवार के वातावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है और उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने में विघ्न उत्पन्न होता है और संबंध धीरे- धीरे ठंडे व शिथिल पड़ जाते हैं।

सामाजिक मामलों के विशेषज्ञ, अध्ययनकर्ता और लेखक डाक्टर अफ़शीन तबातबाई परिवार के सदस्यों के मध्य वार्ता के महत्व के बारे में कहते हैं" संपर्क के साधनों को सही तरह से सीखना और सही सूझ- बूझ से जीवन के वातावरण को भर देना और जीवन की कठिनाइयों का समाधान करके आगे बढ़ जाने का रास्ता है। जिन परिवारों में परिवार के सदस्यों के मध्य बातचीत कम होती है उन्हें विभिन्न प्रकार की चुनौतियों व समस्याओं का सामना होता है जबकि होना यह चाहिये कि परिवार के सदस्यों के मध्य बातचीत पर बचपने से ही ध्यान दिया जाना चाहिये। जिन परिवारों को समस्याओं व चुनौतियों का सामना होता है उनमें से कुछ गलत व विनाशकारी मार्गों की ओर चले जाते हैं जबकि अनुभवों ने दर्शा दिया है कि मतभेदों और द्वेषों को दूर करने का सबसे प्रभावी व उत्तम रास्ता प्रेमपूर्ण वार्ता है।

इस समय हम एसे बहुत से परिवारों के साक्षी हैं जिनके सदस्य एक दूसरे के साथ नहीं रहते और कभी- कभी यह भी देखते हैं कि कुछ परिवार एसे भी हैं जिनके सदस्यों के मध्य एक दूसरे से भावनात्मक व आत्मिक दूरी बहुत अधिक है। वे एक दूसरे से बहुत कम वार्ता करते हैं और इस विषय को परिवार के आधारों को कमज़ोर करने वाले एक कारक के रूप में देखा जाता है।

इन सबके बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि इंटरनेट के केवल नुकसान ही हैं। यह अलग बात है कि जो लोग इंटरनेट का अधिक प्रयोग करते हैं उनके और उनके परिवार के सदस्यों के मध्य वह निष्ठा व प्रेम नहीं रह गया है जो होना चाहिये। परिवार के सदस्य इस प्रकार का कार्यक्रम बना सकते हैं कि एक नियत समय में वे इंटरनेट, कम्प्यूटर, लेपटाप, टैबलेट और मोबाइल आदि का प्रयोग न करें और इस समय में वे अपने माता- पिता, भाई- बहन और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ समय गुज़ारें और वार्ता करें जबकि कुछ लोगों का मानना है कि इंटरनेट ने केवल वार्ता कम नहीं की है बल्कि संबंधों व संपर्कों को और विस्तृत कर दिया है। इस प्रकार के लोगों का मानना है कि इंटरनेट के प्रयोग से सोशल साइटों पर विभिन्न आयुवर्ग के लोगों से जान पहचान और संपर्क हो जाता है और दुनिया की भौगोलिक दूरी बहुत कम हो जाती है। लोग ईमेल, चैट या इसी प्रकार संपर्क की दूसरी शैलियों का प्रयोग करके एक दूसरे से निकट हो जाते हैं, एक दूसरे की संस्कृतियों से परिचित हो जाते हैं और कभी -कभी उनमें एक दूसरे से दोस्ती भी हो जाती है।

शिक्षा- प्रशिक्षा के एक ईरानी विशेषज्ञ और मनोचिकित्सक डाक्टर मेहदी दवाई का मानना है कि इंटरनेट का लाभ या नुकसान उसके प्रयोग पर निर्भर है। इंटरनेट के प्रयोग से जहां परिवार के आधारों को मज़बूत बनाया जा सकता है वहीं इसे कमज़ोर भी किया जा सकता है। उनका मानना है कि अब पहले जैसा नहीं है कि छुट्टी व अवकाश के दिनों में परिवार के सदस्य दादा- दादी या नाना- नानी के घर में एकत्रित होकर एक दूसरे से मुलाकात करें। इस समय दूरियां इतनी अधिक हो गयी हैं कि परिवार के सदस्यों से भेंट इंटरनेट के प्रयोग पर निर्भर हो गयी है और यही इंटरनेट एक दूसरे से संपर्क और बातचीत का साधन बन गया है। डाक्टर दवाई आगे कहते हैं" अगर इंटरनेट परिवार के सदस्यों को एक दूसरे से अधिक निकट लाने का कारण बनता है तो लाभदायक है। जो परिवार एक महीने में 18 से 20 बार एक दूसरे से संपर्क करते हैं उन्हें अच्छा और सुखी परिवार समझा जा सकता है। जैसे परिवार के सदस्य एक साथ दोपहर या शाम का खाना खायें, सैर- सपाटे पर जायें और मस्जिद में जायें। सामूहिक रूप से पारिवारिक मूल्यों की रक्षा करें। इसी प्रकार दादा- दादी के घर मेहमानी पर जाना चाहिये। अगर कोई परिवार यह कार्य करता है तो बहुत अच्छी बात है परंतु अगर इंटरनेट का प्रयोग इस प्रकार के कार्य व संबंध की दिशा में बाधा बनता है तो वह पारिवारिक संबंधों के ख़राब होने का कारण बनता है"

 

डाक्टर दवाई के अनुसार कुल मिलाकार हमारा प्रयोग यह निर्धारित व तय करेगा कि इंटरनेट का प्रयोग कहां लाभदायक है और कहां हानिकारक है। अगर इंटरनेट का प्रयोग कुछ मामलों में सरलता व सुगमता का कारण बनता है और परिवार के सदस्यों के एक दूसरे से अधिक बात करने का कारण बनता है या दोस्त एक दूसरे से अधिक आराम से बात करते हैं तो यह बहुत अच्छी बात है और इंटरनेट लाभदायक है परंतु अगर इंटरनेट की वजह से परिवार के सदस्य एक दूसरे से वार्ता कम करते हैं और पारिवारिक संबंध धीरे- धीरे शिथिल व कमज़ोर हो जाते हैं तो यह इंटरनेट प्रयोग करने का विनाशकारी परिणाम है और वह हानिकारक है।

इंटरनेट और सोशल साइटों के प्रयोग का एक नुकसान यह है कि इंटरनेट में हमें असंख्य ख़बरें, फोटो और वीडियो दिखाई पड़ते हैं। इसी प्रकार हमें विभिन्न विषयों के बारे में बहुत सारी जानकारियां मिलती हैं जो कभी इंसान के लिए न केवल लाभदायक नहीं हैं बल्कि इंसान के स्वभाव पर उनका बहुत ही विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। कुछ सामाजिक अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि पारिवारिक संबंधों को ख़राब करने यहां तक कि पति- पत्नी के बीच तलाक कराने में इंटरनेट और सोशल साइटों की बहुत भूमिका रही है। जब पति- पत्नी में से कोई एक इंटरनेट या सोशल साइटों में दी जाने वाली ख़बरों, वीडियोज़ या इसी प्रकार अस्वस्थ विषयों को पढ़ने लगता है तो धीरे- धीरे वह उन ज़िम्मेदारियों के निर्वाह से भागने लगता है जो बीवी- बच्चों के संबंध में उस पर होती हैं और वह अपना अधिकांश समय इंटरनेट या सोशल साइटों की सैर में बिताता है। धीरे- धीर उसकी यही आदत पति- पत्नी के बीच तलाक़ का कारण बनता है। यही नहीं जब पति- पत्नी में से कोई एक इंटरनेट या सोशल साइटों में अधिक बीज़ी रहने लगता है तो वह कभी- कभी दूसरों से अस्वस्थ संबंध स्थापित कर लेते हैं और यही अस्वस्थ संबंध अपने जीवन साथी के प्रति विश्वासघात का कारण बनते हैं और अंततः परिवार बिखर जाते हैं और इसका सबसे अधिक नुकसान बच्चों को होता है।

कुछ सामाजिक मामलों के हितैषी व शुभ चिंतक विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट और सोशल साइटों के प्रयोग का एक दुष्परिणाम यह है कि अस्वस्थ दोस्तियां, जुआ खेलना और इसी प्रकार की दूसरी चीज़ें पारिवारिक संबंधों के कमज़ोर होने का कारण बनती हैं।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इंटरनेट को समाज की एक वास्तविकता की दृष्टि से देखा जाना चाहिये और इसके सही प्रयोग के लिए कार्यक्रम बनाना चाहिये। इसी प्रकार हमें अपने बच्चों में आत्मिक व भावनात्मक आभासों को मज़बूत करने के लिए कार्यक्रम बनाना चाहिये और एक दूसरे से भेंटवार्ता और मुलाकात को प्राथमिकता देनी चाहिये। परिवार में प्रेमपूर्ण वार्ता उसके सदस्यों के मध्य संबंधों को मधुर व मज़बूत बनाने की एक अच्छी शैली है परंतु इसके लिए अच्छी तरह वार्ता करने की शैली पर ध्यान दिये जाने की ज़रूरत है। यानी परिवार के सदस्य हर चीज़ से अधिक वार्ता की आवश्यकता का आभास करें। इस संबंध में माता- पिता को उत्तम आदर्श होना चाहिये और वे स्वयं समय का लेहाज़ रखें और परिवार में वार्ता के लिए उनके पास कार्यक्रम होना चाहिये और बीवी- बच्चों के साथ जीवन के विभिन्न मामलों, समस्याओं और विषयों के बारे में वार्ता करें।

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