Apr २४, २०१६ १३:१८ Asia/Kolkata
  • कौवा और चूहा

एक कौवा एक चूहे की बिल के निकट घोसला बनाकर जीवन यापन करता है।

 चूहे और कौवे की पुरानी दुश्मनी के विपरीत यह कौवा चूहे से दोस्ती करना चाहता है। इसका कारण यह था कि कौवे को चूहे के अपने मित्रों कि लिए दिए जाने वाले बलिदान की जानकारी हो गई थी। कौवा एक दिन चूहे की बिल के पास गया और उसे आवाज़ दी। चूहा बिल से बाहर निकला, उसने कौवे से पूछा कि तुम्हें मुझसे क्या काम है? कौवे ने कहाः हम एक दूसरे के पड़ोसी हैं अतः हम एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र बन सकते हैं। चूहे ने कहा कि मैने चूहे और कौवे की दुश्मनी के बारे में तो बहुत कुछ सुन रखा है जबकि दोनों की मित्रता के बारे में अब तक मैंने कहीं कुछ नहीं सुना। दो लोगों के बीच दोस्ती की पहली शर्त यह है कि एक मित्र की पसंद दूसरे की तबाही का कारण न बने।

 

 

कौवे ने उत्तर दिया कि हां मैं भी चूहे और कौवे की दुश्मनी के बारे में जानता हूं किंतु तुमसे दोस्ती हो जाने की स्थिति में मुझे बड़ा सुकून मिलेगा और मैं वादा करता हूं कि कभी तुम्हें शिकार नहीं करूंगा। इस विषय पर दोनों के बीच बहुत देर तक बात हुई और चूहे को धीरे धीरे कौवे की सदभावना का यक़ीन हो गया। इसके बाद वह बिल से बाहर निकल आया और दोनों एक दूसरे के पक्के दोस्त बन गए।

 

 

कुछ समय बीता। एक दिन कौवे ने चूहे से कहा कि इस जगह हम चैन की ज़िंदगी नहीं जी सकते क्योंकि यहां से शिकारियों का गुज़र बहुत होता है मैं पहले एक और हरे भरे मैदान में एक जलसोते के किनारे अपने एक अन्य मित्र कछुए के साथ रहता था, बड़ी अच्छी जगह थी और खाने पीने की चीज़ों की बहुतायत थी। अगर तुम तैयार हो तो दोनों वहीं चलते हैं। मुझे विश्वास है कि वह जगह ज़्यादा अच्छी है और हम दोनों वहां बेहतरीन जीवन व्यतीत करेंगे। चूहा कैवे की बात मान गया। कौवे ने चूहे को एक टोकरी में रखा और उसे अपनी चोंच में दबाकर उस हरे भरे मैदान की ओर रवाना हो गया जहां कछुआ रहता था। कछुआ कौवे को देखकर बहुत ख़ुश हुआ। कौवे ने कछुए को चूहे से अपनी दोस्ती तथा दोस्तों के लिए चूहे के त्याग का पूरा क़िस्सा सुनाया। कछुआ बड़ा अनुभवी था और दुनिया देखा चुका था, उसने चूहे के त्याग की बड़ी प्रशंसा की। वह तीनों बहुत देर तक एक साथ बैठे रहे और इधर उधर की बातें करते रहे। अचानक उन्होंने एक हिरण को देखा जो उनकी ओर चला आ रहा था। उन्हें लगा कि कोई शिकारी इस हिरण का पीछा कर रहा है अतः कौवा, चूहा और कछुआ तीनों अलग अलग दिशा में भागे। हिरण उस स्थान पर पहुंचा तो ठहर गया। उसने आराम से पानी पिया और वहीं खड़ा होकर सुस्ताने लगा। जब तीनों मित्रों को विश्वास हो गया कि कोई शिकारी वहां नहीं आ रहा है तो कछुआ हिरण के निकट आया और उसने पूछा कि तुम कहां से आ रहे है? इतने चिंतित क्यों हो? हिरण ने उत्तर दिया कि मैं यहां से कुछ ही दूर की एक चरागाह में रहता हूं। आज मैंने अपनी चरागाह से कुछ दूर एक काली चीज़ देखी। मुझे लगा कि यह कोई शत्रु है अतः मैं भाग निकला और यहां आ गया। कछुए ने कहा कि तुम सीधे सादे पशु हो कभी किसी को परेशान नहीं करते। यहां हम तीन दोस्त बड़े प्रेम के साथ रहते हैं। तुम अगर चाहो तो चौथे मित्र के रूप में हमारे साथ शामिल हो सकते हो। हिरण ने स्वीकार कर लिया और वह भी वहीं रहने लगा। वह चारों हर दिन विभिन्न चीज़ों के बारे में गप्पे लड़ाते थे और बड़ा हर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे और इसके लिए उन्होंने एक स्थान निर्धारित कर रखा था।

 

 

एक दिन कौवा, कछुआ और चूहा तीनों उस स्थान पर पहुंचे किंतु हिरण नहीं आया। तीनों परेशान हो गए। कछुए और चूहे ने कौवे से कहा कि तुम ज़रा उड़कर आस पास के रास्तों को देखो शायद हिरण नज़र आ जाए। कौवा उड़ा और थोड़ी ही देर में लौटकर आ गया और उसने बताया कि हिरण एक शिकारी के जाल में फंस गया है। कछुए ने चूहे से कहा कि यह बलिदान का समय है तुम जल्दी से हिरण के पास पहुंचो और उसे जाल से मुक्ति दिलाओ। चूहा वहां पहुंचा और उसने अपने तेज़ दांतों से जाल काट दिया और हिरण जाल से आज़ाद हो गया। इस बीच कछुवा भी वहां पहुंच गया। हिरण ने कछुए से कहा कि मेरे मित्र अब हमें यहां से भागना है, तुम यहां क्यों चले आए तुम भागोगे कैसे? कछुए ने कहा कि मैंने दोस्ती का हक़ अदा करना चाहा अतः मुसीबत की घड़ी मे तुम्हारे पास आ गया। तीनों दोस्तों ने कछुए से कहा कि अब तुम जितनी तेज़ भाग सकते हो भागो। यह कहकर वह तीनों भी भाग निकले। थोड़ी ही देर में शिकारी वहां पहुंच गया। उसने देखा कि जाल कटा हुआ है और हिरण निकलकर भाग गया है।

 

 

शिकारी ने चारों ओर देखा तो उसे कोई दिखाई नहीं दिया। उसे बड़ा ताज्जुब हुआ कि हिरण ने जाल कैसे काट लिया। उसने कटा हुआ जाल कांधे पर डाला और वहां से चल पड़ा। अचानक उसकी नज़र कछुए पर पड़ गई। उसने सोचा कि कछुए की कुछ ज़्यादा क़ीमत तो नहीं होती किंतु खाली हाथ जाने से बेहतर है कि इसी को उठा लिया जाए। उसने कछुए को उठाकर अपनी झोली में डाल लिया और झोली का मुंह मज़बूती से बांध दिया और फिर उसे कांधे पर डालकर आगे बढ़ने लगा। जब चूहा, कौवा और हिरण एक दूसरे से मिले तो देखा कि कछुवा ग़ायब है। उन्होंने कछुए को ढूंढा किंतु वह कहीं नहीं मिला। वे तीनों समझ गए कि शिकारी कछुए को पकड़ ले गया है। हिरण बहुत दुखी हुआ। उसने कहा कि सरासर मेरी ग़लती है जो कछुए शिकार के चंगुल में फंसा और अब मैं उसे बचाने के लिए कुछ भी करने में असमर्थ हूं। कौवे ने कहा कि हम क्यों नहीं कुछ कर सकते, जब तक हमारे बीच एकता और त्याग की भावना है हम बड़े से बड़ा काम भी अंजाम दे सकते हैं। इस समस्या को हम हल कर सकते हैं। हिरण ने पूछा कि हमें क्या करना चाहिए? कौवे ने कहा कि ध्यान से सुनो, हम एक ड्रामा करने जा रहे हैं, हिरण तुम शिकारी के रास्ते में जाकर लेट जाओ। मैं आकर तुम पर झपटूंगा और इस प्रकार हमला करूंगा कि मानो तुम्हारी आंख निकाल लेना चाहता हूं। शिकारी हमें देख लेगा। तुम अपनी जग से उठना और लंगड़ाते हुए भागना शुरू कर देना। शिकारी समझेगा कि शिकारी समझेगा कि तुम तेज़ नहीं दौड़ सकते अतः वह तुम्हें पकड़ने का प्रयास करेगा। जब शिकारी क़रीब आए तो तुम अपनी रफ़तार कुछ तेज़ कर देना। शिकारी तेज़ दौड़ने के प्रयास में झोली वहीं ज़मीन पर डाल देगा। यहां पर चूहा अपना काम करेगा और झोली में छेद कर देगा जिससे कछुवा बाहर निकल आएगा और भाग निकलेगा। तीनों को यह तरकीब बहुत अच्छी लगी। हिरण शिकारी के रास्ते में जाकर सो गया और कौवा दिखावे के लिए उस पर हमला करना लगा। कुछ देर बाद हिरण अपनी जगस से उठा और लंगड़ाते हुए चलने लगा।

 

 

 

शिकारी हिरण की ओर झपटा कि उसे पकड़ ले। वह हिरण के निकट पहुंच गया किंतु हिरण ने अपनी रफ़तार तेज़ कर दी। शिकारी ने अपनी झोली ज़मीन पर रख दी ताकि तेज़ दौड़कर हिरण को पकड़ ले। चूहा झटपट झोली के पास पहुंचा और उसने झोली में सुराख़ कर दिया और कछुवा झोली से बाहर आया और भाग निकला। कौवा ऊपर से पूरी प्रक्रिया की निरीक्षण कर रखा था। जब उसने देखा कि चूहा और कछुवा दोनों सुरक्षित स्थान पर छिप गए हैं तो उसने हिरण को इसकी सूचना दे दी ताकि वह तेज़ी से भाग निकले। शिकारी हिरण को पकड़ने की ओर से निराश होकर झोली की ओर लौटा तो उसने देखा कि उसे सुराख है और कछुआ भाग चुका है। उसने बड़ी दुखी मन से अपनी झोली उठायी और शहर लौट आया। चूहे, कछुए, हिरण और कौवे ने इस घटना के बाद वर्षों एक साथ जीवन व्यतीत किया और अपनी एकता और सहयोग से कई बार सिर पर मंडराते ख़तरे से स्वयं को बचाया।