Jul ०१, २०२० १८:४७ Asia/Kolkata

जीवन शैली, समाज शास्त्र का एक प्रमुख विषय है जिसे संस्कृति की एक शाख़ा माना जाता है।

वर्तमान समय में इसके महत्व के दृष्टिगत इसपर बहुत चर्चा होती है और सरकारों ने इस बारे में वेशेष कार्यक्रम बनाए हैं। इस विषय का महत्व इसलिए अधिक हो जाता है कि जब हमें यह पता चले कि इस समय यूरोप और अमरीका के शैक्षिक केन्द्रों में अपने दृष्टिगत जीवन कत दूसरे देशों में प्रचलित करने या उनपर शोपने के उद्देश्य से गतिविधियां अंजाम दी जा रही हैं। यह काम इस्लामी देशों विशेषकर ईरान के लिए अधिक किया जा रहा है। इस संदर्भ में पश्चिमी देशों ने इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से अबतक ईरानी राष्ट्र को इस ओर आकृष्ट करने के उद्देश्य से 100 से अधिक सेटेलाइट्स, टीवी चैनेल और रेडियो स्टेशनों को लगा रखा है। इन सबका उद्देश्य ईरान की जनता को इस्लामी क्रांति के मूल लक्ष्यों से दूर रखना है।

विडंबना यह है कि प्रचार एवं प्रसार की आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके इस समय अनैतिक और अपानवीय बातों कत फैलाने के प्रयास तेज़ी से किये जा रहे हैं जिससे केवल युवा एवं किशोर ही नही बल्कि छोटे बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। वरिष्ठ नेता के कथनानुसार पश्चिमी दुष्प्रचार से नैतिकता का बहुत तेज़ी से पतन हो रहा है। पश्चिम के दुष्प्रचार से वर्तमान समय में पुरुष और महिलाएं सब ही अनैतिकता की ओर बढ़ रहे हैं। इसके कारण बहुत से लोग नैतिकता से बहुत दूर होते जा रहे हैं। पश्चिम , यह अशुभ काम, ज्ञान तथा विज्ञान की प्रगति की आड़ में कर रहा है।

वास्तव में ज्ञान और विज्ञान किसी भी राष्ट्र और देश के सम्मान का कार्ण हैं। ज्ञान की प्रगति का कारण है। पश्चिम ने ज्ञान और विज्ञान के माध्यम से ही पिछली दो शताब्दियों के दौरान अकूत धन संपत्ति और मान सम्मान अर्जित किया है। पश्चिमी संस्कृति की जडों में नैतिकता और आस्था की बहुत कमी पाई जाती है।

एक अमरीकी मनोवैज्ञानिक, एडगर शाएन का मानना है कि संस्कृति को बनाने वाले तत्व, बर्फ़ के पहाड़ की तरह हैं जिसके तीन भाग हैं ऊपरी, बीच वाला और नीचे वाला। इस अमरीकी मनोवैज्ञानिक का कहना है कि संस्कृति , विभिन्न आयामों से समीक्षा योग्य है। उनके अनुसार संस्कृति की ऊपरी या बाहरी परत वह है जिसे देखा और सुना जा सकता है और साथ ही इसका आभास भी किया जा सकता है। वे कहते हैं कि इस सांस्कृतिक आयाम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इस  देखना तो बहुत सरल है किंतु उसे रहस्य कत समझना बहुत ही कठिन है।

एसे क्यों होता है कि हाईस्कूल का एक छात्र, चाक़ू लेकर अन्य छात्र पर हमला करने लगता है? एसी कौनसी वजह है कि एक नंगी ओरत, फ्लोरिडा में मेक डानेल रेस्टोरेंट में उत्पात मचाने लगती? एसी कौनसी बात है कि १८ साल के दो किशोर, मानसिक रूप से विकलांग एक तीस वर्षीय व्यक्ति के हाथों से कम्प्यूटर गेम्स छीनने के लिए उस समय तक उसको मारते रहते हैं जबतक उसकी मौत नहीं हो जाती?

अगर ध्यान दिया जाए तो अपने चारों ओर हम नैतिकता के हो रहे पतन को देख सकते हैं। बहुत से लोग इन घटनाओं को अभूतपूर्व मानते हैं। माइकल सिंडर कहते हैं कि हमारा समाज इस समय भीतर से विघटन की ओर बढ़ रहा है।

बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्घ से पश्चिमी समाजों में उपभोगतावाद की प्रथा बहुत तेज़ी से बढ़ी है। पूंजीवाद की शुरूआत के पश्चात बीसवीं शताब्दी के आरंभ में बड़े पैमाने पर उत्पादन के चरण में उपभोगतावाद की संस्कृति ने जन्म लिया जिसने मितव्ययता की सोच को बहुत नुक़सान पहुंचाया।

 

 

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