Jul १३, २०२० १४:०० Asia/Kolkata

हमने क़िश्म द्वीप के बेहद खूबसूरत जियो पार्क के कुछ भागों से आप को परिचित कराया था। 

इसके साथ ही आप को बताया था कि यह पार्क बेहद अदभुत और कई जियो साइट्स से मिल कर बना है और  यह न केवल  क़िश्म द्वीप का अनोखा आकर्षण है बल्कि इसका उदाहरण पूरे ईरान में कहीं नहीं मिलता। किश्म का जियो पार्क ईरान का पहला और मध्य पूर्व का एकमात्र जियो पार्क है जिसे  यूनिस्को  में  पंजीकृत किया गया है।

अगर आप क़िश्म से दक्षिणी तट पर चलते जाएं तो लगभग पांच किलोमीटर चलने के बाद और हां " बिर्के ख़लफ़" गांव के बाद आप को अचानक ही एक बड़ा इलाक़ा नज़र आएगा जो पूरे का पूरा एक दूसरे से गुंथे हुए पहाड़ों से भरा है। आप के लिए यह जानना रोचक है कि यह विचित्र जगह, "  सितारों की घाटी " कही जाती है। 

सितारों की यह घाटी, प्रकृति का एक बेहद खूबसूरत और अजीब नमूना है और इसी तरह क़िश्म द्वीप का एक बेहद आकर्षक पर्यटन स्थल भी है। इस घाटी के पत्थर सीनोज़ोइक काल के हैं और वह बीस लाख साल से अधिक पुराने हैं। यह इलाक़ा भी जियोपार्क के रुप में युनिस्को में पंजीकृत है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विचित्र प्रकार के पहाड़ों ने लाखों बरस में हवाओं, आंधियों और तूफानों और बारिशों की वजह से धीरे धीेरे यह रूप धारण किया है। 

इस दर्रे का जो विशेष रूप है और इस घाटी के विशेष प्रकार के टीलों में बारिश और तूफान की वजह से जगह जगह छेद हैं इस लिए  जब तेज़ हवाएं चलती हैं तो उसमें विशेष प्रकार की आवाज़ पैदा होती है जो कमजोर दिल वालों को डरा भी सकती है।  इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों का मानना है कि जब अंधेरा हो जाता है तो इस स्थान पर जिन्नों और आत्माओं का आना- जाना होता है। इसलिए वे वहां जाने से परहेज़ करते हैं। इस दर्रे में वास्तव में  जल, वर्षा और तेज़ हवाओं के कारण बदलाव हुआ है। आरंभिक पठार जो उत्तरी क्षेत्र में मौजूद हैं वे अब भी अछूते हैं जब तेज़ बारिश होती है तो फिर सितारों  की इस घाटी में हालात कभी भी बदल सकते हैं।  दर अस्ल इस घाटी के टीली हवा और बारिश की वजह से काफी कमज़ोर हो गये हैं इस लिए तेज़ बारिश में उनमें बदलाव आते हैं। लेकिन एक बात और बता दें खंभे जैसे इस घाटी के टीलों में जो सूराख हैं उन से हवा जब गुज़रती है तो सीटी की आवाज़ आती है जो डरा सकती है जैसा कि हमने बताया लेकिन रात के समय में आकाश तारों से भरा होता है चांद चमक रहा होता है तो इन्ही छेदों से चांदनी जिस तरह से छन छन कर ज़मीन पर खूबसूरत लकीरें खीचती है वह दृश्य किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है। ज़मीन पर चांदनी की टेढ़ी मेढी लकीरें और आकाश पर चमकते तारे, इन्सान को किसी और दुनिया में होने का आभास दिलाते हैं। 

सितारों की घाटी की सुन्दरता को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, इसके टीले खंभों की तरह जगह जगह खड़े नज़र आते हैं जिनके बीच में खाली जगह, टेढ़ी-मेढ़ी पंगडंडियों की तरह बल खाती आगे बढ़ती नज़र आती है। इस राह पर चलना ही एक बेहद सुखद और अभूतपूर्व अनुभव होता है। खास तौर पर रात के समय जब पर्यटक इस घाटी में टहलते हैं तो तारों की छावं में अजीब की शक्ल और रूप वाले टीले सिर उभारे खड़े नज़र आते हैं जिनके बीच से चांदनी बिछी राहों पर जब कोई चलता है तो उसे यह महसूस होता है कि तारों को वह हाथ बढ़ा कर छू लेगा। यह सब कुछ बेहद आकर्षक होता है। 

किश्म की दुनिया, तारों की घाटी में ही खत्म नहीं होती, " चाहकूह घाटी" भी इस द्वीप की खूबसूरती में चार चांद लगाती है। चाहकूह घाटी  क़िश्म नगर से 70 किलोमीटर पहले ही स्थित है। यह घाटी " चाहुवी शर्की" गांव के किनारे और क़िश्म द्वीप के उत्तरी तट पर स्थित है। हम गारंटी लेते हैं कि आप इस घाटी में क़दम रखने के बाद यह ज़रूर महसूस करेंगे कि कहीं आप ने किसी काल्पनिक दुनिया में तो क़दम नहीं रख दिया है। 

चाहकूह घाटी, एक पहाड़ के बीचो बीच स्थित है। इस घाटी में घुसते ही ऊंची ऊंची दीवारों में घिरा एक बेहद अजीब स्थान नज़र आता है। लेकिन उसका खुला पन ज़्यादा देर नज़र नहीं आता और दक्षिण की ओर बढ़ते ही घाटी संकरी होने लगी है यहां तक कि वह एक बारीक रास्ते में बदल जाती है जिसके दोनों ओर ऊंची ऊंची दीवारे खड़ी होती हैं और धीरे धीरे यह रास्ता इतना पतला हो जाता है कि मुश्किल से वहां से एक आदमी गुज़र सकता है अलबत्ता बीच बीच में खली जगह हैं जहां बैठ कर थोड़ी देर आराम किया जा सकता है। इस घाटी का नाम " चाहकूह " है यानि कुंए का पहाड़, इसके नाम से भी पता चलता है कि इस घाटी में कुएं बहुत अधिक हैं। इस पूरी घाटी में जगह जगह कुएं हैं जो इस क्षेत्र के लोगों की पानी की ज़रूरत दूर करते हैं। यह सारे कुएं बेहद प्राचीन हैं। 

अब जब हम क़िश्म द्वीप की यात्रा कर ही रहे हैं तो  हमारा दिल चाहता है कि यहां की कोई भी चीज़ आप के लिए अनदेखी न रहे। क़िश्म द्वीप पर  पर तलछट की  परतों से बनी एक घाटी है जिसे ''दर्रए शूर'' कहा जाता है। स्थानीय लोग इस घाटी को "मकीने "  या हूबाद कहते हैं। इस जगह की  सबसे ऊंची चोटी लगभग 400 मीटर ऊंची है। दर्रे शूर की दो चीज़ें  हरेक को  आकर्षित करती हैं। पहली  तो इस घाटी और उसमें मौजूद टीलों और पहाड़ों की विशेष बनावट है जिसने इसे बेहद  सुन्दर बना दिया है। दूसरे यहां पर छायी  शांति है। वैसे इस घाआी में मौजूद  गंधक के सोतों ने भी क्षेत्र की सुन्दरता में चार चांद लगाए हैं।। इनको देखकर ऐसा लगता है कि जैसे किसी दक्ष चित्रकार ने बड़े ध्यानपूर्वक इनकी रचना की है।  वैसे इन सोतों की खूबसूरती ही इन्हें महत्वपूर्ण नहीं बनाती बल्कि गंधक युक्त  पानी  के सोतों के  लाभ बहुत अधिक हैं और यही वजह है कि   प्रतिवर्ष हज़ारों की संख्या में लोग इनसे लाभन्वित होने के लिए इस क्षेत्र की यात्रा करते हैं। 

 

 जैसा कि हमने बताया क़िश्म जियो पार्क में कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें से एक बामे क़िश्म है अर्थात क़िश्म की छत, अब यह कैसे हो सकता है कि आप क़िश्म जाएं और उसकी छत को ही भूल जाएं।  यह बहुत ही सुन्दर और देखने योग्य स्थल है। यह द्वीप के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है। इसका पठारी क्षेत्र 120 मीटर की ऊंचाई पर है। वहां  चिकनी मिट्टी की परतें और बालू दिखाई देते हैं। बामे क़िश्म में भूवैज्ञानिक आकर्षणों से अधिक, सौंदर्य आकर्षण पाया जाता है। इस स्थान से हरेभरे जंगलों और प्रतिमा रूपी पहाड़ियों को देखा जा सकता है जो बहुत ही सुन्दर दृश्य उत्पन्न करती हैं।

 

वैसे आप को हम यह भी बता दें कि मध्य पूर्व में मगरमच्छों का सब से बड़ा पार्क में क़िश्म द्वीप में ही स्थित है। यह बेहद खूबसूरत और सुरक्षित व शांति जगह है जहां वन जीवन से प्रेम रखने वालों का जमघटा लगा रहता है। 

किश्म का नाज़ द्वीप भी देखने योग्य है। यह  उन द्वीपों में से है जो ज्वार भाटा की वजह  से किश्म द्वीप से जुड़ते और अलग होते रहते हैं। समुद्न का पानी जब उतरता है तो एक पतला सा रास्ता नाज़ द्वीप को क़िश्म से जोड़ देता है। लेकिन फिर भी यह रास्ता पानी में रहता है और पर्यटक नंगे पैर क़िश्म से इस द्वीप जाते हैं। 

चलते चलते यह भी बता दें कि किश्म में बीस से अधिक प्रकार की रोटियां तैयार की जाती हैं जो हर पर्यटक के लिए दिलचस्पी का कारण हैं और लोग उपहार के लिए वहां से रोटियां खरीद कर ले जाते हैं लेकिन सब से मशहूर " तमूशी " नाम की रोटी है इसे तावे पर तेल में तला जाता है उस पर अंडा या पनीर डाल दी जाती है और फिर विशेष प्रकार की चटनी से उसे खाया जाता है इस रोटी की जान वही चटनी है लेकिन आप को यह जान कर हैरत होगी कि किश्म में बनने वाली अधिकांश चटनियों में मछली होती है मतलब मछली का रस मिला कर चटनी बनायी जाती है। मछली के रस में सरसों, नमक, धनिया और सौंप मिला कर स्वादिष्ट चटनी तैयार की जाती है जिसे सैलानी, चटखारे लेकर खाते हैं। क़िश्म के सुन्दर स्थलों और वहां की चटनी को याद करके चटखारे लेते हुए हम यह सैर खत्म करते हैं अगली भेंट में आप को एक और बेहद खूबसूरत द्वीप पर ले चलेंगे।