Jul २७, २०२० १२:१९ Asia/Kolkata

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई का मानना है कि हमारी जीवनशैली, जीवन के बारे में हमारी सोच से प्रभावित होती है।

वे कहते हैं कि जीवन के लक्ष्य को आइडियोलाजी द्वारा निर्धारित किया जाता है।

धर्म, सरकार और पारिवारिक संकट नामक किताब के लेखक पाल विद्ज़ लिखते हैं कि मैं माता पिता के अलग होने, तलाक़ शुदा लोगों और विघटि परिवारों को पश्चिम के उदारवादी परिवारों की मिसाल के तौर पर पेश करता हूं।

एक अमरीकी लेखक एलविन टाफलर का कहना है कि मानव समाज ने अपने पूरे जीवन में अबतक दो क्रांतियों को देखा है। पहली क्रांति, कृषि और दूसरी क्रांति औद्योगिक क्रांति । वे कहते हैं कि अब हम तीसरी क्रांति की दहलीज़ पर खड़े हैं अर्थात इलैकट्रोनिक क्रांति। टाफ़लर के अनुसार जिस प्रकार से पिछली दो क्रांतियां बहुत सी चीज़ों के विनाश का कारण बनी उसी प्रकार से तीसरी अर्थात इलैक्ट्रानिक क्रांति भी औद्योगिक क्रांति के ढांचे को भारी क्षति पहुंचाएगी।

 

अगर हम यह मानकर चलें कि यूक्लियर परिवार कामकाजी पति, एक घरेलू बीवी और दो बच्चों पर आधारित है और फिर यह जानना चाहें कि वास्तव में वर्तमान समय में अमरीका में इस प्रकार के कितने परिवार मौजूद हैं तो उत्तर मिलेगा लगभग सात प्रतिशत। इससे पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमरीका में इस प्रकार के परिवारों की संख्या मात्र ७प्रतिशत है जबकि ९३ प्रतिशत परिवार एसे नहीं है।

पश्चिमी देशों में सामाजिक जीवन की प्रक्रिया और जीवनशैली इस प्रकार की हो चुकी है कि वहां पर परिवार की परिभाषा लगभग बदलती जा रही है।

पिछले तीन दशकों के दौरान यूरोपीय देशों में अकेले जीवन व्यतीत करने वालों की संख्या में बहुत ही तेज़ी से वृद्धि हुई है।

अमरीका में ५० प्रतिशत से अधिक लोग अकेले या अविवाहित जीवन गुज़ारते हैं। पिछले तीन दशकों अर्थात तीस वर्षों के दौरान अमरीका में एसे लोगों की संख्या ३० प्रतिशत बढ़ी है।

 

संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सन २०१५ में परिवारों के बारे में हो रहे परिवर्तनों और बच्चों पर इसके पड़ने वाले प्रभाव के संबन्ध में एक रिपोर्ट पेश की थी जिसका नाम था, World family map, इस रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले चालीस वर्षों के दौरान अरीका, यूनोप और आस्ट्रेलिया पैसिफ़िक में विवाह, अब केवल शरीरिक संबन्धों की सीमा तक रह गया है जिसके परिणाम वरूप विवाह के बिना बच्चे जन्म ले रहे हैं।

अब पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित देशों में इसी प्रकार की स्थिति दिखाई देने लगी है जिसके परिणाम स्वरूप नैतिक भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। इस प्रकार की नैतिक और समाजिक स्थिति के शिकार देश भविष्य में वैज्ञानि कऔर वैचारिक धरोहर से वंचित हो सकते हैं जैसाकि इस्लामी क्रांति के विरष्ठ नेता कहते हैं कि बहुत से पश्चिमी देश इस प्रकार के भविष्य की प्रतीक्षा में हैं।

 

टैग्स