Apr २५, २०१६ १५:२० Asia/Kolkata
  • निर्धन व्यक्ति की कहानी-3

राजा ने आदेश दिया कि ऊंटों को एकत्रित किया जाए। ऊंटों पर बौने लोग सवार थे जो बकरी के सींगों पर बैठे हुए थे। राजा ने उस दिन तक इतने बौने लोग नहीं देखे थे।

रीज़ेमीज़े जब राजा के महल पर पहुंचा तो उसने राजा को सलाम किया और राजा ने उसके सलाम का जवाब दिया। रीज़ेमीज़े वहीं पर बैठ गया और निर्धन व्यक्ति ने राजा से कहा कि उसने इसी बौने के लिए आपकी लड़की का हाथ मांगा है। जब राजा ने रीज़ेमीज़े को देखा तो वह हक्का-बक्का रह गया। क्योंकि वह वचन दे चुका था इसलिए उसने अपनी लड़की का विवाह उससे कर दिया। 

 

शादी के लिए पूरे शहर को सात दिन और सात रात तक सजाया गया। सातवें दिन राजा की लड़की का विवाह कर दिया गया और रीज़ेमीज़े दुल्हन को बकरी पर बिठाकर अपनी गुफ़ा ले गया। राजा अभी भी अचंभित था। उसने यह जानने के लिए कि वे कहां जा रहे हैं अपने कुछ लोगों को उनके पीछे भेजा। राजा के लोग चलते-चलते एक गुफा के पास पहुंचे। वे लोग गुफा के अंदर चले गए।

 

उन्होंने वहां पर देखा कि हर चीज़ मौजूद थी। गुफा में जितने लोग भी प्रविष्ठ हुए उसके बाद भी उसमें बहुत जगह थी। वहां पर मौजूद लोगों को खाना दिया गया। इन उपस्थित लोगों ने इससे पहले इतना अच्छा खाना कभी नहीं खाया था। राजा के आदमियों ने वहां पर यह ढूंढने का प्रयास किया कि खाना किसने पकाया था किंतु उन्हें वहां कोई भी दिखाई नहीं दिया। वे लोग वापस राजमहल चले गए और जो कुछ भी उन्होंने वहां पर देखा था उसे राजा को बताया।

 

उन्होंने राजा से कहा कि पता नहीं यह रीज़ेमीज़े कोई देव है या जिन। उधर रीज़ेमीज़े और राजकुमारी साथ-साथ जीवन व्यतीत करने लगे। एक दिन रीज़ेमीज़े ने अपनी पत्नी से कहा कि जब वह जानवरों को चराने के लिए बाहर जाए तो इस बात का ध्यान रखे कि वह खाल जलने न पाए। खाल का यह टुकड़ा उसकी दुम है। यदि वह जल गई तो फिर वह उसे नहीं देख सकेगी। एसे में उसे लोहे का जूता पहनना होगा और हाथ में लोहे की छड़ लेनी होगी फिर वह मेरी खोज में निकले।