Apr २५, २०१६ १५:२२ Asia/Kolkata
  • मलिक मुहम्मद और लंगड़े दैत्य की कहानी-1

पुराने समय की बात है एक राजा था जिसके सात पुत्र थे, छह पुत्र एक पत्नी से थे और सातवां सौतेला पुत्र था।

इस सौतेले पुत्र का नाम मलिक मुहम्मद था। महाराज एक दिन अपने महल में आराम से सो रहा था कि उसने सपने में देखा कि उनके सिर के ऊपर सोने का एक पिंजड़ा है जिसमें एक सुन्दर तोता बैठा हुआ है। उसकी आंख खुली तो वह अपने सपने को लेकर परेशान हो गया, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि उन्होंने जो सपना देखा है उसका अर्थ क्या है? दूसरी ओर राजा को तोतों से बहुत प्रेम था, इस कहानी ने उसके दिल में इतनी जगह बना ली कि वह उस तोते को शीघ्र ही पाना चाहता था। दूसरी ओर राजा वर्षों से राजपाट की ज़िम्मेदारी अपने पुत्रों में से किसी एक को देकर छुट्टी पाना चाहता था वह चाहता था कि पुत्रों में राजपाट के लिए झगड़ा शुरू होने से पहले ही यह काम कर जाए। 

 

जब उसने यह सपना देखा तो उसने तय किया कि इस सपने के माध्यम से वह अपने सातों पुत्रों की परीक्षा लेगा और जो भी इस परीक्षा में सफल हो जाएगा उसको राजपाट की ज़िम्मेदारी सौंप देगा। इसीलिए उसने अपने पुत्रों को बुलाया और कहा कि तुम सब मेरे पुत्र हो और मैं तुम सबको समान दृष्टि से देखता हूं, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि राजपाट की ज़िम्मेदारी किसके हवाले करूं। तुम सब मेरे लिए सोने के पिंजड़े में बंद एक तोता ले आओ और, जो यह काम करेगा, वह मेरा उतराधिकारी होगा। महाराज की बात सुनकर छह भाई उठे और बाहर निकल गये ताकि सोने के पिंजड़े में बंद तोते को ला सकें। छह के छह भाई नगरों और शहरों में इधर उधर भटकते रहे, इस राज्य से उस राज्य तक गये, राह चलते हुए राहगीरों से रास्ता पूछते और चल पड़ते किन्तु उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा और अंततः ख़ाली हाथ वापस लौट आये। उन्होंने महराज से आकर कहा कि महाराज आपने जो कहा था, हमने पूरी दुनिया में उसे तलाश किया किन्तु हमें नहीं मिला।

 

 

राजा सोचने लगा कि ऐसा तो नहीं है कि उसने अपने बच्चों के हवाले असंभव काम दिया हो। अचानक मलिक मुहम्मद उठा और कहने लगा कि हे महान पिताजी, मुझे अनुमति दें ताकि मैं सोने के पिंजड़े में बंद तोते को आपकी सेवा में उपस्थित कर सकूं। राजा ने कहा, तुम्हारे छह भाई जो तुमसे भी बड़े थे, यह काम न कर सके तुम अकेले कैसे कर सकोगे? मलिक मुहम्मद ने कहा कि मैं भी प्रयास करना चाहता हूं हो सकता है कि मैं इसमें सफल हो जाऊं। राजा ने कहा जब तुम अपनी बात पर अड़े हुए हो तो जाओ। यदि तुम उसे लेकर उपस्थित हुए तो तुम मेरे उतराधिकारी बनोगे। मलिक मुहम्मद ने अपनी यात्रा का सामान तैयार किया और कुछ सोने व हीरे तथा एक तेज़ रफ़्तार घोड़ा लिया और निकल पड़ा।

 

 

 

अब यहां उसके भाईयों के बारे में सुनें, सबसे बड़े भाई ने जो सबसे अधिक ईर्ष्यालु था, पांच लोगों को एकत्रित किया और उनसे कहने लगा कि मैं जानता हूं कि मलिक मुहम्मद सोने के पिंजड़े में बंद तोता ला सकता है, चलो हम उसका पीछा करते हैं। कहीं ऐसा न हो कि हम मूर्ख बन जाएं। उसके भाईयों ने स्वीकार किया और घोड़े पर सवार होकर, छाया की तरह उसका पीछा करने लगे जब वह जंगल में पहुंचे तो जंगल में मलिक मुहम्मद को अकेला पाकर उसे घोड़े से गिरा दिया और उसे जान से मारना का प्रयास किया। मुहम्मद मलिक जब अधमरा होकर ज़मीन पर गिर पड़ा, तो उन्होंने घोड़े की ज़ीन से हीरे की पोटली निका कर उसके ऊपर फेंक दिया ताकि यदि वह मर जाए तो उसके क़फ़न और दफ़न का प्रबंध होजाये। उसके बाद वे घोड़े पर सवार होकर वहां से चल दिये। मुहम्मद मलिक सूर्यास्त तक ज़मीन पर बेहोश पड़ा रहा और उसने सपने में हज़रत अली अलैहिस्सलाम को देखा जिन्होंने उससे कहा कि हे युवा उठ और अपनी कमर कस ले।

 

 

मलिक मुहम्मद जो इससे पहले तक अधमरा ज़मीन पर पड़ा हुआ था, एकदम स्वस्थ्य होगया और हज़रत अली अलैहिस्सलाम को बहुत ध्यान से निहारने लगा। हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने कहा कि अब के बाद जब भी किसी समस्या में फसोंगे तो या अली मदद कहना और उसके बाद तुम्हारी सारी समस्या दूर हो जाएगी। हज़रत अली अलैहिस्सलाम यह कह कर नज़रों से ओझल हो गये। मलिक मुहम्मद उठा तो उस्ने देखा कि उसके शरीर पर एक भी घाव नहीं है और उसे तनिक भी पीड़ा का आभास नहीं हो रहा है। उसने अपने आस पास देखा, वह कि घोड़े पर ज़ीन लगी हुई है और वह पूरी तरह तैयार है। वह दिल ही दिल में बहुत प्रसन्न हुआ और पूरे मज़बूत इरादे के साथ घोड़े पर सवार होकर निकल पड़ा, अब उसके भीतर नई ऊर्जा थी यहां उसके छह भाई मलिक मुहम्मद को मारने पीटने के बाद एक नगर पहुंचे । वहां पर एक जुआड़ियों के मोहल्ले से उनका गुज़र हुआ। राजा के पुत्र जुए में बहुत रुचि रखते थे और अब वह मलिक मुहम्मद को रास्ते से हटा कर मौज मस्ती करना चाहते थे। वे जुए ख़ाने में घुसे और जुआ खेलने में लग गये, शीघ्र की उनके पास जितना माल था वह सब जुए में चला गया, अब उनका हाल यह था कि उनके पास रात के ख़ाने का पैसा तक न बचा।

 

 

 

उनमें से तीन भाई ने भीख मांगना आरंभ किया जबकि शेष तीन में से एक होटल में काम पर लग गया, दूसरा हम्माम में मज़दूरी करने लगा जबकि तीसरा रसोइया का शिष्य बन गया। दूसरी ओर मलिक मुहम्मद आगे बढ़ता रहा यहां तक कि रास्ते में उसे एक नगर मिला, यह वही नगर था जहां उसके भाई भीख मांगते थे, रात हो चुकी थी, वह उस नगर में किसी को नहीं पहचानता था, उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि रात कहां बिताए। इसी उलझन में वह एक बुढ़िया के घर के दरवाज़े पर पहुंचा और दरवाज़ा खटखटाया। बुढ़िया ने दरवाज़ा खोला, मुहम्मद मलिक ने उससे कहा कि हे माता मैं बहुत दूर से आया हूं, मेरे पास रहने की कोई जगह नहीं है, अगर हो सके तो आज रात हमें अपने घर में सिर छिपाने का मौक़ा दे। सुबह होते ही तुम्हारे घर से चला जाऊंगा।

 

 

बुढ़िया ने एक नज़र मुहम्मद मलिक पर डाली और समझ गयी कि वह कोई सामान्य लड़का नहीं बल्कि राजघराने का चिराग़ है। उससे ख़ुश होकर कहा कि हे युवा यदि तुम निर्धनों से मिलने के इतने ही इच्छुक हो तो आओ। मलिक मुहम्मद घर में प्रविष्ट हो गया। बूढ़ी महिला अपनी एकलौती बेटी के साथ घर में रहती थी। मलिक मुहम्मद ने आस पास देखा तो उसकी समझ में आ गया कि बूढ़ी महिला का जीवन भी बहुत कठिनाई से गुज़र रहा है। उसने एक हीरा थैली से निकाला और बूढ़ी महिला को दिया और कहा कि इसे बेचकर रात के खाने का प्रबंध करे। (AK)

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