Sep १४, २०२० १४:५२ Asia/Kolkata

ईरान भ्रमण में आपका सेमनान से मात्र १२० किलोमीटर की दूरी पर स्थिति गाथाओं के प्राचीन नगर, दामग़ान में स्वागत है।

दामग़ान , प्राचीन सभ्यता से समृद्ध एक एसा नगर है हजां क़दम क़दम पर प्राचीन और एतिहासिक अवशेष बिखरे पड़े हैं। यही नहींइसनगर का प्राकृतिक सौन्दर्य ही लोगों को अपनी ओर खींचता है।

अलबत्ता इस क्षेत्र की हूमि भी काफ़ी उपजाऊ है लेकिन आपके लिए यह जानना रतचक होगा कि ईरान का पिस्ता पूरी दुनिया में मशहूर है और इस नगर के बाग़ों की महत्वपूर्ण पैदावार पिस्ता है जो ईरान में बहुत अच्छा माना जाता है।

तप्पये हेसार 

दामग़ान समुद्द तल से ११७० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह नगर राजधानी तेहरान से ३०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दामग़ान ईरान के बेहद प्राचीन नगरों में से एक है। आप को यह जान कर हैरत होगी कि दामग़ान नगर ४०० वर्ष ईसापूर्व इतना समुद्ध और विकसित था कि २४९ वर्ष ईसापूर्ण अश्के सिय्योम और तीरदाद अश्कानीन ने इस नगर को अपनी राजधानी बनाया था।

दामग़ान नगर से दक्षिणपूर्व में दो किलोमीअर की दूरी पर तप्पये हेसार नाम का टीका है। चौबीस साल पहले इस टीले के रहस्यों से पर्दा हटाने के लिए खनन का काम हुआ। यहां खुदाई के दौरान कई सभ्यताओं के अवशेष मिले और इस जगह के उन निवासियों के बारे में रोचक तथ्य सामने आए जो साढ़े छे हज़ार से चार हज़ार छे सौ साल पहले तक इस इलाक़े मे रहते थे।

अब से लगभग ४ हज़ार ३०० साल पहले तप्पये हेसार सब से अधिक समृद्ध और आबाद था इस काल को इस क्षेत्र की सब से अधिक विकसित सभ्यता का का समझा जा सकता है।

तप्पये हेसार 

 

इस्लामी काल से पहले दामग़ान रोड एक बेहद महत्वपूर्ण नगर था। पार्त काल में इसे अश्कानी शासकों की राजधानी समझा जाता था। यूनानी उसे हकातिम पुलिस अर्थात सौ दरवाज़ों वाला नगर कहते थे।

दामग़ान नगर जाने वाला हर पर्यटक, इस नगर की तारीख़ाना मस्जिद को ज़रूर देखना चाहता है। इस मस्जिद का निर्माण सासानी वास्तुकला शैली में किया गया है और एसा लगता है कि तीसरी एवं चौथी शताब्दी कमरी में आने वाले भयानक भूकंप से यह मस्जिद सुरक्षित बच गयी और उसके आंतरिक भाग में थोड़ी बहुत मरम्मत करके उसे सुरक्षित रखा गया।  

तप्पये हेसार 

 

मस्जिद का डिज़ाइन इस्लाम के आरंभिक काल की मस्जिदों की तरह बेहद साधारण है। उसकी सादगी पूरी तरह इस्लाम के उदयकाल में निर्माण की जाने वाली मस्जिदों की भांति है। इसी लिए इस मस्जिद के डिज़ाइन और सजावट को शुद्ध इस्लामी मस्जिद निर्माण की आरंभिक कला का नमूना कहा जा सकता है।

तारीख़ाना मस्जिद

 

दामग़ान में प्राचीन इमारतें और अवशेष अनगिनत हैं लेकिन जब मस्जिद की बात चली है तो ज़ाहिर सी बात है दामग़ान की जामे मस्जिद को कैसे कोई भूल सकता है।

तारीख़ाना मस्जिद

 

दामग़ान की जामे मस्जिद का मीनार ३२ मीटर ऊंचा है और इसके ऊपर दो शिलालेख हैं जिन्हें ईंटों से सुसज्जित किया गया है। दामग़ान की जामे मस्जिद के निकट कई मज़ारें भी हैं जिनमें इमाम ज़ादा जाफ़र, इमाम ज़ादा मोहम्मद तथा शाहरुख़   की क़ब्रे और चेहल दुख़्तरान नामक इमारत का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है।

 

 

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