अहमद बद बियार-३
हम ने बताया कि अहमद नाम का एक लड़का अपनी मां के साथ रहता था।
एक दिन उसने सोचा कि कुछ काम धाम करना चाहिए। अतः राज दरबार में जा पहुंचा और वहां उसने अनुरोध किया कि उसे कोई काम दिया जाए ताकि अपने और अपनी मां के ख़र्चे के पैसे कमा सके। राजा ने उससे कहा कि बाग़े बहिश्त में जाओ और वहां से सोने और चांदी की सींगों वाला हिरण मेरे लिए लाओ।
सपने में पैग़म्बर ख़िज़्र ने उसे सोने और चांदी की सींगों वाला हिरण हासिल करने का रास्ता बता दिया। अहमद ने हिरण लाकर राजा को दे दिया। राजा ने उसे कोई इनाम नहीं दिया बल्कि नई मांग यह रख दी कि चालीस तोतों वाला वृक्ष लेकर आओ। इस बार भी हज़रत ख़िज़्र की मदद से वह चालीस तोतों वाला वृक्ष ले आया और लाकर राजा को दे दिया। राजा ने उसे कोई इनाम या शाही पोशाक देने के बजाए छह बार कहा सुबहानल्लाह। यही सिलसिला चल पड़ा अहमद जब भी किसी काम की तलाश में दरबार जाता। राजा उसे कोई कठिन काम सौंप देता और काम हो जाने पर कोई इनाम नहीं देता था। आख़िरी बार राजा ने उससे कहा कि जाओ परियों के राजा की बेटी को लेकर आओ। इस बार भी अहमद हज़रत ख़िज़्र के मार्गदर्शन में निकल पड़ा। जैसा कि हज़रत ख़िज़्र ने उसे बताया था तीन कबूतरों ने उसे रास्ता दिखाया लेकिन वह सफ़ेद पर वाले कबूतर के बताए रास्ते की ओर चल पड़ा। अहमद क़िबले की दिशा में जा रहा था। वह नदियों, झड़ियों और पहाड़ों से गुज़रा और बाग़े बहिश्त जा पहुंचा। अहमद ने दखा कि सफ़ेद परों वाला कबूतर बाग़ के मुख्य द्वार पर आ बैठा और बोला कि वह यहीं खड़ा रहे वह ख़ुद जाकर परियों के राजा की बेटी को लेकर आएगा। अहमद द्वार के सामने खड़ा हो गया और कुछ नहीं बोला।
अचानक कबूतर सफ़ेद घोड़ा बन गया और उसने अहमद से कहा कि जब परियों के राजा की बेटी आ जाए तो वह जो भी कहे तुम बस यही कहना कि जैसा आपका हुक्म। घोड़ा यह कहकर अचानक दौड़ता हुआ बाग़ में ग़ायब हो गया। कुछ की क्षणों बाद परियों की राजकुमारी बाग़ के दरवाज़े पर आई और उसने कहा कि मैं और सफ़ेद घोड़ा तुम्हारे साथ हैं और जब तक हम तुम्हारे साथ हैं तुम कोई चिंता न करना, मैं तुम्हारें भाग्य में हूं और आख़िरकार तुम ही राजा बनोगे। अहमद ने अपने आप को सिर से पैर तक देखा और अपने फटे पुराने कपड़ों पर निगाह दौड़ाई। उसे लगा कि परियों की राजकुमारी उसका मज़ाक़ उड़ा रही है। यही सोच रहा था कि अचानक बाग़ का दरवाज़ा खुला और परियों की राजकुमारी सफ़ेद कबूतर और सफ़ेद घोड़े के साथ बाग़ से बाहर निकली। उसने अहमद से कहा कि घोड़े पर सवार हो जाओ। अहमद सवार हो गया। राजकुमारी ने कहा कि रास्ते में तीन सिरों वाला देव मिलेगा जो तलवार देगा तो तुम तलवार ले लेना। इसके बाद रास्ते में एक सिर वाला एक और देव मिलेगा जो एक ख़ंजर देगा लेकिन वह ख़ंजर न लेना। अहमद ने यह बात ध्यान से सुन ली। उसने घोड़े को एड़ लगाई। घोड़ा हवा से बातें करने लगा। यह लोग आगे बढ़ते रहे यहां तक कि वह जगह आ गई जहां तीन सिरों वाला देव खड़ा था। देव ने जैसे ही इन लोगों को देखा लपककर आगे आया। उसने तलवार अहमद की ओर बढ़ाई और कहा कि यदि वह परियों की राजकुमारी को ले जाना चाहता है तो यह तलवार ले जाए और इससे राजा की हत्या कर दे। अहमद ने तलवार ले ली और और उसे राजकुमारी को देकर घोड़े को एड़ लगाई। घोड़ा सरपट दौड़ता रहा यहां तक कि रास्ते में एक सिर वाला देव मिला। देव ने अहमद की ओर ख़ंजर बढ़ाया और कहा कि यदि वह राजा की हत्या करना चाहता है तो यह ख़ंजर ले ले। अहमद ने देव की बात अनसुनी कर दी और घोड़ा दौड़ाता रहा यहां तक कि शहर आ गया।
राजा को सूचना दी गई कि अहमद आ गया है। राजा ने आदेश दिया कि शहर को सजाया जाए। अहमद धीरे धीरे दरबार की ओर बढ़ा और दरबार में जाकर परियों की राजकुमारी को राजा के हवाले कर दिया। राजा ने वज़ीरों से सलाह मशविरा किया कि इस लड़के को क्या दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस बार अहमद को बारह बार शाबासी देते हुए बारकल्लाह कहा जाए। राजा ने यही किया तो अहमद को क्रोध आ गया। राजकुमारी ने अहमद से कहा कि तुम निश्चिंत रहो मैं राजा से विवाह के लिए चालीस दिन का समय लूंगी। इस अवधि में वह राजा का काम तमाम कर दे। अहमद आराम से अपने घर चला गया और राजा ने अपना आदमी परियों की राजकुमारी के पास भेजा और कहलवाया कि कल ही तुम से निकाह करना चाहता हूं। राजकुमारी ने कहा कि राजा को मेरा यह संदेश पहुंचा दो कि जब तक मेरे लिए हाथी दांत का महल नहीं बनवाया जाएगा मैं उनसे विवाह नहीं करूंगी। जब तक महल तैयार होगा उस समय तक मैं उपासना में लीन रहूंगी।
महल के तैयार होते ही मुझे सूचना दी जाए। राजा के आदमी ने जाकर उसे राजकुमारी की शर्त के बारे में बताया। राजा के आदेश पर हाथी दांत के महल का निर्माण शुरू हो गया। अगले दिन अहमद दरबार में पहुंचा और वहां ग़ुलाम के रूप में काम करने लगा। कुछ दिन गुज़रे थे कि अचनाक परियों की राजकुमारी चुपके से अहमद से मिली और उसे तलवार दे दी और कहा कि तलवार को ले जाकर अपने घर में छिपा दो। अहमद ने घर में तलवार छिपा दी और अपनी मां को भी इस बारे में कुछ नहीं बताया। अहमद रोज़ाना राजमहल जाता था। एक दिन राजा को सूचना दी गई कि हाथी दांत का महल बनकर तैयार हो गया है। राजा ने परियों की राजकुमारी को महल तैयार हो जाने की सूचना भिजवाई और कहा कि अब निकाह के लिए तैयार हो जाए। राजकुमारी ने जवाब दिया कि उसकी चालीस बहनें हैं और हर रात एक बहन उससे मिलने आएगी। जब चालीसवीं बहन मुलाक़ात करके चली जाएगी तब राजकुमारी राजा से विवाह कर लेगी। राजा ने यह शर्त भी मजबूरन मान ली।
पहली रात एक बहन कबूतर के भेस में महल के भीतर गई राजकुमारी ने अपनी बहन से कहा कि एसा जादू करो कि राजा बेहोश होकर गिर जाए। मंत्र पढ़ते ही राजा ज़मीन पर गिर पड़ा और पूरे दरबार में हंगामा मच गया। दूसरी रात दूसरी बहन आई। उसने भी एक मंत्र पढ़ा तो राजा पागल हो गया। इसी तरह चालीस रात तक चालीस बहनें आईं और हर एक ने कोई न कोई मंत्र पढ़ और राजा की दुर्गत होती रही। चालीसवीं रात आई तो राजा ने राजकुमारी को संदेश भेजा कि अब सारे बहाने समाप्त हो गए और चुपचाप से वह विवाह कर ले। राजकुमारी ने कहा कि मुझे कोई एतेराज़ नहीं है। शहर को सजाया जाए और जश्न मनाया जाए। राजा के आदेश पर पूरा शहर सजाया गया। परियों की राजकुमारी चुपके से अहमद से मिली और उससे कहा कि जाकर तलवार उठा लाओ। अहमद फौरन जाकर तलवार ले आया और राजकुमारी को दे दी। रात के समय राजा राजकुमारी से मिलने गया ताकि शादी समारोह के बारे में बातचीत करे।
राजकुमारी ने राजा से कहा कि आप तकिए पर सिर रखकर लेट जाइए ताकि मैं आपको गीत सुनाकर सुला दूं। राजा लेट गया और राजकुमारी ने गीत गाकर उसे सुला दिया। राजा सो गया तो राजकुमारी ने राजा का सिर काट दिया। सुबह होने से पहले ही अहमद को राजा का लिबास पहनाकर सिंहासन पर बिढ दिया। दरबारी आए तो देखा कि अहमद सिंहासन पर बैठा हुआ है। अहमद के आदेश पर सबने जश्न मनाया और फिर अहमद से राजकुमारी की शादी हो गई।
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