Oct २०, २०२० १५:१४ Asia/Kolkata

गुरगान में हस्तकला संग्रहालय इस नगर की मशहूर प्राचीन इमारतों में है।

यह संग्रहालय “खानए अमीर लतीफ़ी “ के नाम से प्रसिद्ध है और नालबंदान बाज़ार और जामे मस्जिद के पास ही है। इमारत ९५६ वर्गमीटर की है जिसे दो मंज़िला बनाया गया है।

इसे काजारी काल मे मेहदी ख़ान मलिक ने रहने के लिए बनाया था। इस इमारत को दो भागों में बनाया गया है एक भाग मुख्य इमारत है और दूसरा नौकरों के लिए बनाया गया है। इस इमारत को बेहद अच्छे डिज़ाइन के साथ बनाया गया है और इसके साथ ही इस इलाक़े के मौसम को ध्यान में रख कर भी उसे बनाया गया है इसी लिए यह इमारत दर्शनीय है।

संग्रहालय में इसी तरह से तांबे के बर्तन बनाने और बुनाई की पुराने तरीक़ों से अवगत कराया गया है इसी तरह जाजिम व दरी की बुनाई, रुई की कतायी, खराद और चटाई बुनने की प्राचीन शैलियों से भी अवगत कराया गया है। इस संग्रहालय को ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों सूयीमें पंजीकृत किया गया है।

संग्हालय के निकट ही ईरान का एक बेहद पुराना स्कूल भी है और वह भी गुरगान की बेहद प्राचीन इमारतों में से हैऔ यह इमारत आज भी प्रयोग में है। इसे “ मदरसए इमादिया” के नाम से जाना जाता है।

एमादिया स्कूल की सब से बड़ी विशेषता इसकी बेपनाह ख़ूबसूरती है। एमादिया स्कूल की इमारत को एक तरह की और साधारण डिज़ाइन में बनाया गया लेकिन वह बेहद ख़ूबसूरत नज़र आती है। इमारत दो मंज़िला है।  इमारत के चारों तरफ़ दालान हैं। इमारत के प्रवेश दूवार पर भी दो छोटे चबूतरे बने हैं जहां रास्ता चलने वाले सुस्ता सकते थे। स्कूल की इमारत के दूसरे मंज़िले के ऊपर लकड़ी का एक छोटा सा मीनार बनाया गया है जहां खड़े होकर अज़ान दी जाती थी।

एमादिया स्कूल

 

गुरगान नगर के केन्द्र में सिटी पार्क के साथ ही एक बेहद ख़ूबसूरत इमारत है जिसे लगभग ८० साल पहले बनाया गया। यह वास्तव में पहलवी शासन श्रंखला का एक महल है।

इस इमारत का फाउंडेशन लगभग २५० वर्गमीटर है जिसका संबंध सफ़वी काल से है। इस इमारत को युरोपीय शैली में और दो मंज़िला बनाया गया है।

गुरगान के दर्शनीय स्थल नगर के भीतर ही नहीं हैं बल्कि उसके बस पास भी देखने के लिए बहुत कुछ है। आप को यह जान कर हैरत होगी कि चीन के बाद दुनिया की दूसरी सब से लंबी दीवपार इसी क्षेत्र में है।

इस समय यह दीवार लगभग पूरी तरह से तबाह हो चुकी है लेकिन उसके अवशेष अब भी बाक़ी है। गुरगान की सुरक्षा दीवार बेहद शानदार है र इसे पांचवीं ईसवी सदी में बनाया गया था।

गुरगान दीवार का एक भाग

हम आप को यह बता चुके हैं कि गुलिस्तान प्रांत का प्राकृतिक सौन्दर्य हर साल बहुत से पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। गुलिस्तान प्रान्त की ख़ूबसूरती को देखने के लिए बहुत अधिक दूर भी नहीं जाना पड़ता । गुरगान नगर से मात्र चार किलो मीटर दक्षिण में नहार खोरान नामक एक जंगल है जिसे ईरान के प्रसिद्ध हीरकानी जंगलों में समझा जाता है।

नहार खोरान जंगलों की प्राचीनता चार करोड़ साल की है। यह ३०० हेक्टेया पर फैला है जिसमें से लगभग १६८ हेक्टेयर नगरपालिका को दे दिया गया है जिसे उसने जंगल पार्क बना दिया है और उसने जगह विभिन्न प्रकार के केन्द्र बने हैं। कैस्पियन सागर के किनारे फैला यह जंगल हर देखने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता है।

गुरगान में नहार खोरान पहाड़ों में कई वादियां हैं, झरने हैं जो पूरे जंगल को ख़बसूरत बनाते हैं इसके अलावा इस जंगल के पहाड़, पर्तवोहण का शौक रखने वालों के लिए उचित जगह है।

नहारख़ोरान जंगल पार्क

गुलिस्तान पूरे ईरान में अपनी हरियाली के लिए मशहूर है र कैस्पियन सागर इस प्रांत के सौन्दर्य में चार चांद लगाता

 

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