क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-783
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-783
فَلَمَّا قَضَيْنَا عَلَيْهِ الْمَوْتَ مَا دَلَّهُمْ عَلَى مَوْتِهِ إِلَّا دَابَّةُ الْأَرْضِ تَأْكُلُ مِنْسَأَتَهُ فَلَمَّا خَرَّ تَبَيَّنَتِ الْجِنُّ أَنْ لَوْ كَانُوا يَعْلَمُونَ الْغَيْبَ مَا لَبِثُوا فِي الْعَذَابِ الْمُهِينِ (14)
फिर जब हमने सुलैमान पर मौत का फ़ैसला लागू किया तो जिन्नों को उनकी मौत का पता देने वाली वाली कोई चीज़ धरती के उस कीड़े (दीमक) के अलावा न थी जो उनकी लाठी को खा रही थी। फिर जब वे गिर पड़े, तब जिन्नों पर यह स्पष्ट हुआ कि यदि वे ग़ैब अर्थात गुप्त ज्ञान के जानने वाले होते तो उस अपमानजनक दंड में पड़े न रहते। (34:14)
لَقَدْ كَانَ لِسَبَإٍ فِي مَسْكَنِهِمْ آَيَةٌ جَنَّتَانِ عَنْ يَمِينٍ وَشِمَالٍ كُلُوا مِنْ رِزْقِ رَبِّكُمْ وَاشْكُرُوا لَهُ بَلْدَةٌ طَيِّبَةٌ وَرَبٌّ غَفُورٌ (15)
निश्चित रूप से सबा (जाति के लोगों) के लिए उनके निवास की जगह में ही (ईश्वर की शक्ति व दया की) एक निशानी थी, दाएँ और बाएँ दो (बड़े) बाग़, अपने पालनहार की रोज़ी में से खाओ, और उसका आभार प्रकट करो। एक पवित्र शहर और एक क्षमाशील पालनहार। (34:15)
فَأَعْرَضُوا فَأَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ سَيْلَ الْعَرِمِ وَبَدَّلْنَاهُمْ بِجَنَّتَيْهِمْ جَنَّتَيْنِ ذَوَاتَيْ أُكُلٍ خَمْطٍ وَأَثْلٍ وَشَيْءٍ مِنْ سِدْرٍ قَلِيلٍ (16) ذَلِكَ جَزَيْنَاهُمْ بِمَا كَفَرُوا وَهَلْ نُجَازِي إِلَّا الْكَفُورَ (17)
लेकिन (सबा जाति के लोगों ने ईश्वर की ओर से) मुंह मोड़ लिया तो हमने उन पर भयंकर बाढ़ भेज दी और उनके दोनों (फलदार) बाग़ों के बदले में उन्हें दो दूसरे बाग़ दिए, जिनमें कड़वे-कसैले फल और झाड़ थे और कुछ थोड़ी सी बेरियाँ। (34:16) यह बदला हमने उन्हें इसलिए दिया कि उन्होंने अकृतज्ञता दिखाई और क्या अकृतज्ञ इंसान के अलावा हम किसी को ऐसा बदला देते हैं? (34:17)