Jul ०५, २०२४ १७:१०
पार्सटुडे- एक शोध व अध्ययनकर्ता का कहना है कि इंसानों को जब आघात पहुंचता है तो उनकी समझ में आता है कि केवल अल्लाह निर्धारित व फ़ैसला करने वाला है, सब कुछ उसी के हाथ में है तो वे सब अल्लाह की शरण में जाना चाहते हैं परंतु जब वे आराम और नेअमत में होते हैं तो वे अल्लाह के अलावा भी दूसरों की भूमिका को मानने लगते हैं मगर वे इस बात को भूल जाते हैं कि समूचे ब्रह्मांड का संचालन केवल अल्लाह के हाथ में है।